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गरीबी के कारण धर्म जिंदा है!

खरी-खरी            Jan 29, 2016


dhiraj-singhधीरज सिंह कहते हैं कि ईश्वर हमेशा मुफलिसी में ही याद आता है, गरीबी में ही याद आता है,मुसीबत मे ईश्वर से लगाव पैदा होता है,मुझे तो यह बात सही भी लगती है,शायद इसीलिए ईश्वर भी हमेशा अधिकतर लोगो को गरीब ही बना कर रखता है, ताकि लोग उसे याद करें,उसका अस्तित्व खतरे में न आए? उसकी सत्ता सुरक्षित रहे। "अंधेरा कायम रहे"....गरीब,आथिर्क रूप से समृद्ध नहीं होता,उसके पास शिक्षा का अभाव होता है?यह ईश्वर के अस्तित्व के लिए खाद पानी का काम करती है। गरीबी के कारण धर्म जिंदा है,अन्यथा धर्म को कौन पूछता? दुनिया में कहीं थी देख लीजिए धार्मिकता सिर्फ और सिर्फ गरीब मुल्कों में कायम है, गरीब की बस्तियों में कायम है, ईश्वर के अनुयायी अधिकतर गरीब,पिछड़े, अशिक्षित ही होते हैं? यही वर्ग धर्म का सबसे बड़ा सुरक्षा कवच होता है, धर्म के लिए मरने मारने को तैयार रहता है, स्वर्ग मे जाने की सबसे ज्यादा तमन्ना इसी वर्ग को होती है। धार्मिक ठेकेदार भी स्वर्ग के सपने हमेशा इनको ही दिखाते भी है। बुढे,अपाहिज और बिमार हो चुके धर्म को यही गरीब,अशिक्षित तबका अपने कंधो पर ढोए जा रहा है? जिंदा रखा है। दुनिया भर के करोडपतियों मे 32% नास्तिक हैं। यूरोप की 38% जनसंख्या नास्तिक है, 6% की राय अभी डंबाडोल है,इग्लैंड की कुल आबादी का 52% नास्तिक है,अमेरिका की 28% आबादी नास्तिक है,जापान, सिंगापूर, कोरिया,आस्टेलिया मे दिन पर दिन नास्तिको की संख्या मे इजाफा ही हो रहा है, चीन मे सिर्फ 7% आबादी आस्तिक है।धार्मिक संगठन या संस्थाए भी धर्म के प्रचार प्रसार के लिए गरीब मुल्कों या गरीब व पिछड़े इलाकों का ही चुनाव करती है,क्योंकि उन्हें यह अच्छी तरह पता है कि जहां दैनिक जीवन में आम आदमी अधिक सुरक्षित महसूस करता है, आत्मनिर्भर होता है,वहां धर्म का कारोबार मंदा चलता है।जिन देशों में जीवन स्तर बेहतर है वहां के लोग सेकुलर हैं। यह भी जानना दिलचस्प है कि नास्तिकों का 35% हिस्सा तीस साल से कम उम्र वालो का है,हमारे भारत मे भी नास्तिक लोगों का प्रतिशत बढा है, औसत से लगभग 12% आबादी नास्तिक है। दुनिया के सबसे महान नास्तिक गौतम बुद्ध और चार्वाक भी भारत भूमि की देन हैं,उनके विचारों को आगे बढ़ाने का कार्य वर्तमान विश्व में बदस्तूर जारी है। अगर आज विश्व का असतित्व कायम है तो सिर्फ और सिर्फ इंसानियत के कारण,नास्तिकता की वजह से? वैसे भी धर्म ने मारकाट,भेदभाव,अशांति,असहिष्णुता,असभ्यता,अशिक्षा,बेरोजगारी,दंगो, व्यभिचार के सिवाय विश्व और मनुष्यता को दिया क्या है?मुझे तो इतिहास व वर्तमान विश्व मे धर्म का कोई और योगदान नजर नही आता है । धीरज सिंह के फेसबुक वॉल से


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