श्रीप्रकाश दीक्षित
हिन्दी के अखबारों ने एनआरआई रवि पिल्लई की बेटी की तिरुवनंतपुरम में हुई 55 करोड़ की शादी का खूब महिमामंडन किया। भारत जैसे देश में जहां अमीरी और गरीबी में फासला लगातार बढ़ता ही जा रहा है, ऐसी दिखावटी और भोंडी शादियाँ सामाजिक अपराध हैं। 
जिस देश में 80 करोड से ज्यादा गरीब हों वहाँ रईसी के ऐसे फूहड़ प्रदर्शनों पर पाबंदी लगा दी जानी चाहिए। इसके बरक्स हमारे सत्तारूढ़ नेता इनमें खुशी-खुशी इन्हें शिरकत कर मान्यता प्रदान करते नजर आते हैं। इन दिनों तिहाड़ जेल की शोभा बढ़ा रहे सहारा के सुब्रत राय ने अपने दोनों बेटों की शादी मे 550 करोड़ रुपये बहा दिये थे। इसमें तब के प्रधानमंत्री वाजपेयी शामिल हुये थे और तब के यूपी में मुख्यमंत्री मुलायमसिंह मेहमानो की अगवानी की ड्यूटी कर रहे थे..?
दूर क्यों जाएँ, राज गए, ताज गए पर पुराने राजे-रजवाड़ों में ठसक बाकी है। इसकी फूहड़ नुमाइश कर्नाटक और अपने मध्यप्रदेश में देखने को मिली। कर्नाटक के मैसूर में गोद लिए बेटे की बिना ताज के ताजपोशी की गई और समारोह मे वहाँ के काँग्रेसी मुख्यमंत्री बतौर दरबारी शामिल थे..? मध्यप्रदेश के देवास में जहां हाल के उपचुनाव में वहाँ की पूर्व रानी भाजपा के टिकट पर विधायक चुन ली गईं, उनके पति के निधन पर पुत्र को ताजपोशी के लिए जेल से जमानत पर रिहा कराया गया था, वो हत्या के अपराध में बंद हैं।
                  
                  
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