डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।
शनिवार (27 फरवरी 2016) को जब ढाका में भारत और पाकिस्तान का टी-20 एशिया कप मैच हो रहा था, तभी महाराष्ट्र के ठाणे में हसनैन वारेकर अपने रिश्तेदारों को पार्टी दे रहा था। ऐसी पार्टियां वह पहले भी दे चुका था और इसमें कोई नई बात नहीं थी। पार्टी में शामिल लोगों में उसके अपने माता-पिता, पत्नी, बच्चे, बहनें और दूसरे 15 रिश्तेदार शामिल थे। दावत के बाद सभी लोग गहरी नींद में थे, शायद उन्हें खाने में कोई नशीला पदार्थ दिया गया था।
आधी रात के बाद हसनैन चुपके से उठा और उसने बकरे को हलाल करने वाले चाकू से एक-एक करके अपने परिवार के सभी लोगों का गला रेत दिया। इनमें 7 बच्चे, 6 महिलाएं और एक पुरूष शामिल था। इन सबका गला रेतने के बाद उसने खुद भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। हसनैन की एक बहन किसी तरह भागकर छुप गई और बाद में उसके चीखने-चिल्लाने पर पड़ोसियों ने आकर उसे अस्पताल भिजवाया।
यह वाकया कितना दर्दनाक रहा होगा, इसकी कल्पना इसी बात से की जा सकती है कि जब इन सभी की खून से लथपथ लाशें कवर करने के लिए एक फोटोग्राफर घटनास्थल पर पहुंचा, तो उसे नजारा देखते ही दिल का दौरा पड़ा और उसकी भी मौत हो गई।
पुलिस अभी इस मामले की जांच कर रही है। पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट हसनैन ने यह भीषण हत्याकांड क्यों किया और आत्महत्या क्यों की, इसकी पड़ताल की जा रही है। पुलिस में दर्ज प्राइमरी रिपोर्ट के अनुसार हसनैन ने अपनी बहन सुबिया से कहा था कि उसे सबसे नफरत है और वह एक दिन सबको मार डालेगा।
आमतौर पर हसनैन सामान्य अवस्था में रहता था। उसे देखकर कोई यह अंदाज नहीं लगा सकता था कि यह शख्स अपने ही कुटुम्ब के इतने लोगों की हत्या कर देगा और फिर मौत को गले लगा लेगा। इस हत्याकांड के पीछे कोई पारिवारिक कारण भी हो सकता है। पुलिस अभी इस मामले की पड़ताल कर रही है, लेकिन वह किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची है।
मीडिया की खबरों के अनुसार ठाणे के एक पार्षद ने दावा किया है कि हसनैन तंत्र, मंत्र और काले जादू के चक्कर में पड़ गया था। तथाकथित तांत्रिकों से भी उसका मिलना-जुलना था। हो सकता है किसी तांत्रिक ने उसे कोई ऐसी बात कही हो कि अगर उसने ऐसा किया, तो सभी को जन्नत नसीब होगी। इस हत्याकांड के पहले भी वह जानवरों की बलि देता रहा था। हसनैन की बहन सुबिया की जान अभी बच गई है, लेकिन उसके गले में 25 टांके लगे है।
ठाणे की यह खबर दुनियाभर के अखबारों में सुर्खियां बन गई। इतना जंघन्य हत्याकांड अधिकांश लोगों ने पहले कभी नहीं सुना था। आखिर वह क्या बात है कि एक अच्छा भला खुशहाल परिवार मौत के घाट उतार दिया गया और वह भी अपने ही परिवार के सदस्य के हाथों। क्या यह जन्नत जाकर 72 हूरों के साथ हमेशा-हमेशा के लिए रहने का लालच था?
कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के ओकारा जिले में पन्द्रह साल के एक किशोर मोहम्मद अनवर ने भी हैरान कर देने वाला एक आत्मघाती कदम उठाया था। इन दोनों घटनाओं में कोई साम्य हो सकता है और नहीं भी, लेकिन यह धार्मिक शिक्षा का एक अंग हो सकता है, इसमें शक नहीं।
ओकारा जिले के हुुजरा शाह मुकीम कस्बे की वारदात है। उस कस्बे में एक इमाम शब्बीर एहमद महफिल-ए-मिलाद को संबोधित कर रहा था। इमाम ने अपने भाषण में कहा कि जो लोग पैगम्बर मोहम्मद को प्यार करते हैं, वे हमेशा उनके सजदे करते हैं और हमेशा प्रार्थना करते हैं। इसके बाद इमाम ने उपस्थित लोगों से कहा कि जो लोग पैगम्बर मोहम्मद को पसंद नहीं करते, वे अपना हाथ ऊपर उठाए।
पन्द्रह साल का मोहम्मद अनवर इमाम की बात ठीक से सुन नहीं पाया, उसे लगा कि जो लोग पैगम्बर साहब को प्यार करते है, उन्हें हाथ उठाना है और उसने अपना हाथ उठा लिया। बाद में जब उसे पूरी बात समझ में आई, तब तक बहुत देर हो चुकी थी। सभा में मौजूद लोगों ने मोहम्मद अनवर को इसके लिए लानते दीं और कहा कि उसे इमाम का भाषण ठीक से सुनना चाहिए था।
मोहम्मद अनवर के मन में यह बात घर कर गई। उसे लगा कि उसने सचमुच एक बहुत बड़ा अपराध कर दिया है। अपराध भी छोटा-मोटा नहीं, ईशनिंदा का। वह अपने उस हाथ को इसके लिए दोषी बताने लगा, जो इमाम की बात सुनने के बाद खड़ा किया गया था। उसे लगा कि यह हाथ ही दोषी है, जिसने पैगम्बर मोहम्मद के प्रति नाफरमानी की है। इस हाथ को सजा मिलनी ही चाहिए।
वह लड़का अपने घर में से तलवार निकाल लाया। उसने एक हाथ से अपना वह हाथ काटकर अलग कर दिया, जो पैगम्बर मोहम्मद के प्रति असम्मान जताते हुए उठाया गया था। वह लड़का इस पर भी शांत नहीं हुआ, उसने एक थाली में वह कटा हुआ हाथ रखा और उसे लेकर इमाम के पास पहुंच गया। उसने कहा कि मेरा यह हाथ पैगम्बर साहब के बारे में बात करते वक्त गलत काम करते पाया गया था, इसलिए सजा के तौर पर मैंने उसे काटकर अलग कर दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इमाम उस लड़के की वफादारी से बहुत खुश हुआ और उन्होंने उसकी तारीफ की। इमाम की बातें उस लड़के के माता-पिता तक भी पहुंची और उन्होंने भी इस पर फक्र महसूस किया कि उनका बेटा पैगम्बर साहब के प्रति निष्ठावान है। कस्बे के अन्य लोगों को भी जब यह घटना पता चली, तो उन्होंने उस लड़के की जमकर तारीफ की।
अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह खबर भी प्रमुखता से प्रकाशित की गई। वैश्विक दबाव के बाद पाकिस्तान की पुलिस ने इस मामले में जांच शुरू की और इमाम को हिंसा भड़काने के मामले में गिरफ्तार कर लिया। ईशनिंदा का मामला पाकिस्तान में बेहद संवेदनशील मुद्दा है। ईशनिंदा के मामले में हिंसा के ऐसे मामले भी सामने आ चुके हैं, जब पुलिस ने मामले को कार्रवाई के योग्य नहीं माना, लेकिन लोगों की हिंसक भीड़ ऐसे लोगों को पीट-पीटकर मार देती है। पाकिस्तानी अभिनेत्री वीना मलिक और एक टीवी चैनल के मालिक को भी ईशनिंदा के मामले में 16 साल की सजा पाकिस्तानी कोर्ट सुनाई है।
किसी भी धर्म के प्रति सम्मान होना, उसका अनुयायी होना अच्छी बात है। धर्म हमें जीवन जीने का एक रास्ता दिखाता है, लेकिन क्या होता है, जब वहीं रास्ता दिखाने वाले हमें दिग्भ्रमित कर देते हैं या हम जिसे धर्म का मार्ग समझते हैं, वह धर्म का मार्ग न होकर कुछ और निकलता है। पाकिस्तान के उस लड़के की अपने धर्म में पूरी आस्था थी और वह पैगम्बर साहब के प्रति पूरा आदर भी रखता था।
उसकी एक छोटी सी चूक ने धर्मांधता के कारण उसके जीवन को कहीं का कहीं पहुंचा दिया। पूरी दुनिया में आतंकवाद फैलाने वालों को बालपन से ही धर्मांधता का पाठ पढ़ाया जाता है। उन्हें कहा जाता है कि धर्म के लिए वे बड़े से बड़ा बलिदान करने के लिए तैयार रहे। अगर धर्म की रक्षा करते हुए वे मर भी गए, तो उन्हें जन्नत नसीब होगी। जन्नत में वे हमेशा-हमेशा के लिए ऐशों अराम से रहेंगे और 72 कुंवारी हूरें हमेशा उनकी सेवा में लगी रहेंगी। इसी जन्नत और हूरों के लालच में नौजवान आतंकी मानव बम बनने से भी नहीं हिचकते।
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