 डॉ.वेद प्रताप वैदिक।
नरेंद्र मोदी की सरकार जाट आंदोलन के सामने इतनी जल्दी घुटने टेक देगी, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। यदि इस सरकार का स्वभाव ही घुटनेटेकू होता तो वह गुजरात के पटेल आंदोलन के सामने पहले ही घुटने टेक देती। पटेलों का नेता हार्दिक पटेल देशद्रोह के आरोप में जेल काट रहा है लेकिन मोदी सरकार धन्य है कि हरियाणा में एक भी जाट नेता को उसने छुआ तक नहीं!
क्यों? इसका कारण आप समझे या नहीं? इसका मूल कारण यह है कि पटेल आंदोलन सर्वथा अहिंसक था जबकि जाट आंदोलन घनघोर हिंसक था। इतना हिंसक कि उसने हरियाणा के जाट मंत्रियों को भी नहीं बख्शा। उनके घर जला दिए। कारें फूंक दी। गैर-जाटों के घर, कारखाने, दुकानें और खेत-खलिहान तो इस आंदोलन के शिकार हुए ही! जाटों को हरियाणा के लोग मोटी बुद्धि का मानते हैं लेकिन उन्होंने जिस बौद्धिक बारीकी का परिचय दिया, हरियाणा में उनसे पहले किसी ने नहीं दिया।
वे ही ऐसे पहले समुदाय हैं, जिन्होंने इस सरकार की असलियत को पहचान लिया। उसे पता चल गया कि 56 इंच की डींग मारने वाली इस सरकार का सीना 6 इंच का भी नहीं है। इस 6 इंच के सीने का उसने छह दिन में ही कचूमर निकाल दिया। उसने गुजरात के पटेलों, राजस्थान के गुर्जरों और आंध्र के कापुओं को भी पीछे छोड़ दिया। हरियाणा को उन्होंने 20 हजार करोड़ के नीचे ला दिया। जाट आंदोलन ने मोदी सरकार की साख को पैंदे में बिठा दिया है। उसे तैयार कर दिया है कि अब अगले तीन साल वह कुछ न करे, बस देश के हर प्रांत में जातीय आरक्षण के आंदोलनों के आगे घुटने टेकती चली जाए।
सच्चाई तो यह है कि जाटों ने देश पर बड़ी कृपा की है। अब उनसे प्रेरणा पाकर देश की सभी दबंग जातियां आरक्षण के अखाड़े में खम ठोकने लगेंगी। वे जातीय जनसंख्या के आधार पर अपना-अपना‘कोटा’ मांगेंगी। क्यों न मांगे? माले—मुफ्त, दिले बेरहम! अब 50 प्रतिशत से काम नहीं चलेगा। 100प्रतिशत सीटें नौकरियों और शिक्षा-संस्थाओं में आरक्षित हो जाएंगी। वे भी कम पड़ेंगी, क्योंकि यह बेचारी सरकार अपना ही रोजगार नहीं संभाल पा रही है। वह नए रोजगार क्या पैदा करेगी? वह हिंसक आंदोलनों से कैसे निपटेगी? यदि वह इसी तरह घुटने टेकती रही तो थोड़े दिन बाद उसके पास टेकने के लिए कुछ भी नहीं रहेगा। यदि उसके पास 56 इंच का सीना होता तो मैं उससे कहता कि वह समस्त जातीय आरक्षण को एक झटके में खत्म कर दें। नौकरियों में किसी को कोई आरक्षण न हो और शिक्षा में वंचितों को शतप्रतिशत आरक्षण और आवश्यक सुविधाएं दी जाएं।
Website : www.vpvaidik.com
डॉ.वेद प्रताप वैदिक।
नरेंद्र मोदी की सरकार जाट आंदोलन के सामने इतनी जल्दी घुटने टेक देगी, इसकी उम्मीद किसी को नहीं थी। यदि इस सरकार का स्वभाव ही घुटनेटेकू होता तो वह गुजरात के पटेल आंदोलन के सामने पहले ही घुटने टेक देती। पटेलों का नेता हार्दिक पटेल देशद्रोह के आरोप में जेल काट रहा है लेकिन मोदी सरकार धन्य है कि हरियाणा में एक भी जाट नेता को उसने छुआ तक नहीं!
क्यों? इसका कारण आप समझे या नहीं? इसका मूल कारण यह है कि पटेल आंदोलन सर्वथा अहिंसक था जबकि जाट आंदोलन घनघोर हिंसक था। इतना हिंसक कि उसने हरियाणा के जाट मंत्रियों को भी नहीं बख्शा। उनके घर जला दिए। कारें फूंक दी। गैर-जाटों के घर, कारखाने, दुकानें और खेत-खलिहान तो इस आंदोलन के शिकार हुए ही! जाटों को हरियाणा के लोग मोटी बुद्धि का मानते हैं लेकिन उन्होंने जिस बौद्धिक बारीकी का परिचय दिया, हरियाणा में उनसे पहले किसी ने नहीं दिया।
वे ही ऐसे पहले समुदाय हैं, जिन्होंने इस सरकार की असलियत को पहचान लिया। उसे पता चल गया कि 56 इंच की डींग मारने वाली इस सरकार का सीना 6 इंच का भी नहीं है। इस 6 इंच के सीने का उसने छह दिन में ही कचूमर निकाल दिया। उसने गुजरात के पटेलों, राजस्थान के गुर्जरों और आंध्र के कापुओं को भी पीछे छोड़ दिया। हरियाणा को उन्होंने 20 हजार करोड़ के नीचे ला दिया। जाट आंदोलन ने मोदी सरकार की साख को पैंदे में बिठा दिया है। उसे तैयार कर दिया है कि अब अगले तीन साल वह कुछ न करे, बस देश के हर प्रांत में जातीय आरक्षण के आंदोलनों के आगे घुटने टेकती चली जाए।
सच्चाई तो यह है कि जाटों ने देश पर बड़ी कृपा की है। अब उनसे प्रेरणा पाकर देश की सभी दबंग जातियां आरक्षण के अखाड़े में खम ठोकने लगेंगी। वे जातीय जनसंख्या के आधार पर अपना-अपना‘कोटा’ मांगेंगी। क्यों न मांगे? माले—मुफ्त, दिले बेरहम! अब 50 प्रतिशत से काम नहीं चलेगा। 100प्रतिशत सीटें नौकरियों और शिक्षा-संस्थाओं में आरक्षित हो जाएंगी। वे भी कम पड़ेंगी, क्योंकि यह बेचारी सरकार अपना ही रोजगार नहीं संभाल पा रही है। वह नए रोजगार क्या पैदा करेगी? वह हिंसक आंदोलनों से कैसे निपटेगी? यदि वह इसी तरह घुटने टेकती रही तो थोड़े दिन बाद उसके पास टेकने के लिए कुछ भी नहीं रहेगा। यदि उसके पास 56 इंच का सीना होता तो मैं उससे कहता कि वह समस्त जातीय आरक्षण को एक झटके में खत्म कर दें। नौकरियों में किसी को कोई आरक्षण न हो और शिक्षा में वंचितों को शतप्रतिशत आरक्षण और आवश्यक सुविधाएं दी जाएं।
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