Breaking News

जो भी हो रहा है कुछ भी देशप्रेम नहीं है...!

खरी-खरी            Feb 16, 2016


ममता यादव। न तो अफजल गुरू का नाम लेना देशप्रेम है,न गोडसे की पूजा देशप्रेम है, न कंधार में हाफिज की रिहाई देशप्रेम है, न देश विरोधी नारे लगाना देशप्रेम है। अब दिक्कत यही है कि जो भी विचार आ रहे हैं वे किसी न किसी विचारधारा से प्रेरित होकर आ रहे हैं। किसी वाद, किसी धारा, किसी पार्टी से इतर सोचिये फिर लिखिये,बोलिये,आगे बढ़ाईये। ये सवाल भी जरूर उठाईये कि हमारे शिक्षा के मंदिरों को राजनीति का अखाड़ा क्यों बनाया जा रहा है? और हर कोई जज की भूमिका में क्यों आ गया है? एक—दूसरे के खिलाफ बिना अपने ​गिरेबान में झांके निष्पक्ष और खुले दिमाग से सोचिये वास्तव में देश के साथ हो क्या रहा है? कोई कांग्रेस,कोई भाजपा,कोई वाम,कोई आप। कोई हिंदुस्तानी या भारतीय बनकर नहीं सोचना चाहता। भारतीय जनमानस में ये वाद और विचारधारायें भी हमारे देश की रगों में उसी तरह बस गई हैं जिस तरह मैं हिंदू तू मुसलमान वो सिख वो ईसाई वो दलित वो ब्राम्हण की सोच बस गई हैं। इन सबसे उपर सिर्फ इनसान या भारतीय बनकर न तो हमें सोचना गवारा है न मुंह खोलना गवारा है। ये किस तरह के बीज बो दिये गये हैं और बोये जा रहे हैं तय करिये कि जो अभी की पीढ़ियों को मिल रहा है आने वाली पीढ़ियों को इससे बेहतर मिलना है या इससे बदतर...?


इस खबर को शेयर करें


Comments