डॉ.वेद प्रताप वैदिक।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया की घड़ी आजकल बहुत प्रसिद्ध हो गई है। कहते हैं कि वह 70 लाख रु. की है। मैंने 5-7 लाख रु. की घडि़यों के बारे में तो सुना था लेकिन 70 लाख की घड़ी कौन सी है और वह कैसी होती है, मुझे पता नहीं। लेकिन वह 70 लाख की हो तो सकती ही है। उस पर हीरे मोती जड़े हों तो वह करोड़ों की भी हो सकती है। उनकी घड़ी पर विपक्ष के नेता कुमारास्वामी काफी शोर मचा रहे हैं। गुस्से में आकर मुख्यमंत्रीजी ने कहा कि कुमारास्वामी चाहें तो उस घड़ी को खरीद लें। कुमारास्वामी ने जवाब में कहा कि वे कोई कबाड़ी नहीं हैं, जो पहनी हुई पुरानी घड़ी खरीदेंगे।
एक घड़ी को लेकर चला यह विवाद रोचक बन गया है। यहां कुछ प्रश्न अचानक दिमाग में उठ खड़े होते हैं। जैसे पहला प्रश्न तो यही कि क्या नेताओं को इतने मंहगे तोहफे लोगों से लेने चाहिए? जो इतने मंहगे तोहफे देते हैं, उन्हें वे ब्याज समेत वसूल करते हैं। जो तोहफे लेते हैं, वे देने वालों की तोप के भूसे बनकर रह जाते हैं।
यह भ्रष्टाचार का लुका-छिपा रुप ही है। तो फिर क्या तोहफे लेना ही नहीं चाहिए? यह कैसे हो सकता है? कई लोग शुद्ध प्रेम-भाव, शुद्ध सम्मान-भाव, शुद्ध कृतज्ञता-भाव या शुद्ध दया-भाव से प्रेरित होकर तोहफे देते हैं। ऐसे तोहफे स्वीकार नहीं करना अपमानजनक भी हो सकता है। वह अकड़ और घमंड का प्रतीक भी हो सकता है। ऐसे में तोहफे लेते वक्त थोड़ी सावधानी रखी जाए तो अच्छा रहता है।
कभी-कभी अज्ञान के कारण असावधानी भी हो जाती है। मुझे कई देशों के प्रधानमंत्रियों और विदेश मंत्रियों ने फाउंटेन पेन भेंट किए तो मैंने ले लिए। मैंने भी उन्हें छोटी-मोटी भेंट या उपहार दे दिया लेकिन बाद में मुझे पता चला कि वे पेन पांच-पांच लाख लाख रु. के थे। मैं उनका क्या करता? मेरे लिए पांच रु. का बालपेन भी उतना उपयोगी होता है, जितना पांच लाख का ‘मोब्ला’ पेन। उसे अपने कुर्ते पर टांगकर उसकी प्रदर्शनी करना मुझे बड़ा अजीब-सा लगता है।
यह तब और भी अजीब लगता है, जब कोई नेता ऐसी बेहद कीमती चीज़ें धारण किए घूमते हैं। वह इंदिराजी की 50 हजार की शाल हो या मोदी का 10 लाख रू का सूट हो या सिद्धमरैया की 70 लाख रू की घड़ी हो। नेताओं को अपनी कीमत स्वयं आंकनी चाहिए। शालों, घडि़यों, सूटों, चश्मों और कारों से यदि किसी नेता की कीमत बढ़ती हो तो यह मानना पड़ेगा कि वह नेता अपनी हीनता-ग्रंथि को अभी तक खोल नहीं पाया है। लोकतंत्र में नेता का रहन-सहन, जितना लोक के करीब होगा, उसका कद उतना ही उंचा होगा।
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