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पटना जाने की हिम्मत कैसे हुई अरविंद केजरीवाल की...?

खरी-खरी            Nov 23, 2015


sriprakash-dixitश्रीप्रकाश दीक्षित अरविंद केजरीवाल ने बड़ी भोली सफाई दी है कि नीतीश मंत्रिमंडल के शपथ समारोह मे उनके न चाहते हुए भी लालू यादव ने जबरदस्ती उन्हे गले लगा लिया था ..!लालू तो चाहते ही थे कि उन्हे सीने से और गले से लगाकर और अपने हाथ के साथ उनका हाथ उठवा कर आप पार्टी के भ्रष्टाचार विरोधी अभियान की फजीहत करवा दें। केजरीवाल ने यह सब आसानी से होने क्यों दिया..? लाख टके का सवाल यह भी है कि उस समारोह मे जाने की उनकी हिम्मत ही कैसे हुई जहां भारतीय राजनीति के बदनाम चेहरों का जमावड़ा लगने वाला हो।यह ऐसा दुर्लभ शपथ समारोह था जहां राहुल गांधी मौजूद थे जिनके जीजाजी के बाद अब खुद उनके कारोबार के बारे मे खुलासे हो रहे हैं।जहां शरद पवार मौजूद हों, जो इतने धनी लीडर हैं कि न केवल अकेले पार्टी चला सकते हैं बल्कि इतने लोकसभा सदस्य जितवा सकते हैं कि केंद्र मे मंत्री बन जाएँ। जहां संवैधानिक प्रावधानों का मखौल उड़ा कर पत्नी को चौके–चूल्हे से उठा कर सीधे मुख्यमंत्री बना देने वाले लालूप्रसाद का नौवीं फेल बेटा डिप्टी सीएम की शपथ लेने वाला हो।जहां देवगौड़ा और फारुख अब्दुल्ला भी हों जिनका एक सूत्रीय कार्यक्रम येन-केन-प्रकारेण अपने साहबज़ादों को मुख्यमंत्री बनवाना रहा हो और अब भी हो। अरविंद केजरीवाल योगेंद्र यादव पर तोहमत लगाते रहे हैं कि उनके कारण ही पार्टी ने लोकसभा की बहुत सारी सीटों पर चुनाव लड़ा जिसके कारण उसकी भद्द पिटी। यदि वाकई ऐसा है तब तो उन्हें और पटना ना जाकर शातिर और भ्रष्ट नेताओं की संगत से बचना था। आज की ताजा खबर यह है कि अरविंद केजरीवाल फिलहाल आप पार्टी के संयोजक बने रहेंगे अर्थात दो पदों पर बिराजमान रहेंगे। क्या यह सब संकेत नहीं कर रहा कि वे आप पार्टी को भी अन्य पार्टियों के रंग मे धकेल रहे हैं जिन्हे अनावृत कर ही वे सत्तारूढ़ हुए हैं..? श्रीप्रकाश दीक्षित के फेसबुक वॉल से


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