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ब्रम्हदत्त शर्मा को बिसार दिया नाशुक्रे मध्यप्रदेश ने..!

खरी-खरी            Dec 11, 2015


sriprakash-dixitश्रीप्रकाश दीक्षित भारतीय प्रशासनिक सेवा में 1956 में आए कालजयी डाक्टर ब्रह्मदत्त शर्मा ने रिटायर होने के बाद भले बस्तर को अपनी कर्मभूमि बना लिया पर थे वे मध्यप्रदेश केडर के अधिकारी। अपना आखिरी वक्त उन्होंने ग्वालियर में बिताया और वहीं अंतिम सांस भी ली। इसके बावजूद उनके निधन पर मध्यप्रदेश के राजनैतिक और प्रशासनिक हल्कों की चुप्पी एहसान फरामोशी की इंतेहा है। राज्यपाल और मुख्यमंत्री पता नहीं कैसे-कैसे महत्वहीन और अनजाने लोगों के मरने पर दुखी होकर अपना संवेदना संदेश जारी करने मे देर नहीं करते हैं। लेकिन मानवता और आदिवासियों के लिए तन-मन-धन से समर्पित ब्रह्मदत्त शर्मा के लिए दो लाइन का श्रद्धांजलि संदेश देने की उन्हें फुर्सत नहीं मिली..! भव्य अरेरा क्लब में बिराजने वाले आईएएस अफसरों की एसोसिएशन ने अपनी बिरादरी के बिरले सदस्य की स्मृति मे कोई शोकसभा की, इसकी भी खबर नहीं है। और तो और दैनिक भास्कर,भोपाल ने उनकी याद में लेख छापना तो दूर निधन पर चार लाइन की खबर तक छापने की जरूरत नहीं समझी,यही हाल कमोवेश अन्य अखबारों का रहा । जब नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ में 2012 में एक कलेक्टर को अगवा कर लिया तब सरकार के कहने पर डॉक्टर ब्रह्मदेव ने उन्हें मुक्त कराया था। बस्तर गोलीकांड के बाद,जिसमें तत्कालीन पूर्व राजा प्रवीरचंद्र भंजदेव सहित कई आदिवासी मारे गए थे, ब्रह्मदेव बस्तर के कलक्टर बनाए गए थे। डॉक्टर ब्रह्मदेव ने तब बैलाडीला में करीब 300 आदिवासी लड़कियों की उन गैर जनजातीय पुरुषों से करवा दी थी जो उनका दैहिक शोषण किया करते थे।


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