रवीश कुमार
आनंदप्रिय विजय माल्या जी,
आमतौर पर आदरणीय का प्रयोग होता है लेकिन आपके लिए आनंदप्रिय ठीक है। इसका कत्तई मतलब नहीं कि आप आदरणीय नहीं है। आपके कैलेंडर सराहनीय हो सकते हैं तो आप आदरणीय क्यों नहीं हो सकते हैं। आपने समाज में मनोरंजन और रसरंजन को प्रतिष्ठित किया है। आप हमारे मुल्क ( भारत नहीं लिख रहा पता नहीं कब कौन सेडिशन लगवा दे) के उदास चेहरों के बीच खिलखिलाने का ब्रांड एंबेसडर हैं। जिसे देखिये वही दुखी है। आपको देखकर लगता था कि एक है जो सबसे सुखी है। इसलिए आपको आनंदप्रिय कहा है। लोकप्रिय तो बहुत मिल जाते हैं।
न्यूज़ चैनलों से पता चला कि आप भारत से भाग गए हैं। उन्हें पता था कि आप कबके परदेसी हो चुके हैं फिर भी वे दिन भर आपको पुकारते रहे। चैनलों को बता कर जाते तो वे भी आपके पीछे भागने आ जाते। इस मामले में ललित मोदी जी बेहतर हैं। कितने पत्रकारों को उनके पीछे भागने का मौका मिला। उस लिहाज़ से आपने भागने की क्रिया को बदनाम किया है। आप अकेले ही भागे।
मेरे ख़्याल से आपने भागकर अच्छा किया। आपने अपने पीछे रंगीन तस्वीरों की जो विरासत छोड़ी है उसके कारण आपकी कमी कभी नहीं खलेगी। हम क़र्ज़दारों को बैंकों ने कितना सताया है। मकान मिला नहीं लेकिन ई एम आई वसूले जा रहे हैं। बैंकों ने किसानों को कितना सताया है। आप गैंग आफ वासेपुर के फैज़ल हैं। आपने सबका बदला लिया है। मैं कहता भी था कि फैज़ल सबका बदला लेगा। आपने कुछ भी गलत नहीं किया। जब सारी दुनिया क़र्ज़ लेकर ऐश कर रही है। मकान कार ख़रीद रही है तो आप क्यों न जहाज़ ख़रीदें। ऐश करें।
आपने विदेश जाकर भागने की परंपरा को समृद्ध किया है। क्वात्रोकी और ललित मोदी के बाद बहुत दिनों से कोई भागा नहीं था। लग रहा था कि इस मुल्क में भागने वाले ही नहीं रहे । सरकार और संस्थाओं में ऐसे लोग अब भी हैं जो भागने वाले को जाने देते हैं। दाऊद को भगाने को लेकर इस देश के चैनलों पर पुराना फुटेज ही चलता रहता है। आप चले क्या गए चैनल आपकी हर तस्वीर पर मर मिटने लगे हैं। जब से मुझे पता चला कि आप चले गए हैं तब से मैं सबको समझा रहा हूँ कि भाई आपके लेवल का कोई थाना नहीं है इस देश में। ज़्यादातर थानों की लोकेशन बहुत ख़राब है।
आपने भाग कर आने वाले विदेशी निवेशकों का हौसला बढ़ाया है। मेरा मानना है कि आप भाग कर नहीं बल्कि चलकर गए हैं। पासपोर्ट वीजा सब दिखाते हुए। आपने जाने का नियम नहीं तोड़ा है। अगर कोई आपको पकड़ने के नियम का पालन न करें तो इसमें आपकी क्या ग़लती है। क्या आपके भागने पर कोई पाबंदी थी? शायद नहीं। क्या पाबंदी लग सकती थी? कैसे लगती। जब क्वात्रोकी ललित मोदी जा सकते हैं तो क्या आपका हक नहीं बनता। सोचिये आपको नहीं जाने दिया जाता तो कितनी ग़लत परंपरा बन जाती।
विजय सर, किंगफिशर के उन कर्मचारियों की चिंता मत कीजिये जिनके टीडीएस का पैसा कट गया और अब आयकर विभाग उन्हे खोज रहा है। वे लोग कहीं भाग नहीं पा रहे हैं। बैंक वाले ग्रुप बनाकर कभी कर्नाटक भाग रहे हैं तो कभी सुप्रीम कोर्ट। आप हैं कि अकेले भागे। संसद में भी आपको लेकर भागा भागी हुई। आप भी ललित मोदी जी की तरह अपनी पार्टी का सीडी चैनलों को दे दीजिये। जिसमें कांग्रेस और बीजेपी के नेता भारत की ग़रीबी से तंग आकर आपके पास भाग आए हों। सुना है आपने पत्रकारों का भी खूब मनोरंजन कराया है। आपका ट्वीट पढ़ा कि आपने मीडिया के कई लोगों का आदर सत्कार किया है। काश मैं आपकी सूची में होता। आपके ललका जहाज़ की सीट के पाकेट से मैं लाल रंग वाला ईयर फोन ले आया था। हम तो उसी में ख़ुश थे।
आप जहाँ भी हैं स्वस्थ रहें। आपको लेकर कांग्रेस बीजेपी के बीच बहस हो रही है। कोई असली बात नहीं बता रहा। दोनों बासी भात खाने खिलाने में माहिर हैं एकाध एंकर भी लगे हुए हैं । ललित मोदी को नहीं ला सके तो आपको कैसे लायेंगे। इसलिए आप भागिये। भागना जितना ग्लैमरस हुआ है, उतना कभी नहीं हुआ। भागते भागते ललित जी से मुलाक़ात हो जाए तो नमस्कार कहियेगा। हम राजनीति के इस खेल को कभी नहीं जान पायेंगे। सब आपके पीछे भागेंगे और आप हमें पीछे छोड़ कहीं और के लिए भागेंगे।
मेरी दुआ है कि आप कामयाब हों। आप इस देश के लाखों करोड़ों छोटे-मोटे क़र्ज़दारों की उम्मीद हैं। आपकी सफलता उन्हें लोन न देने के लिए प्रेरित करेगी। लोन के जितने भी पैसे बचे हैं आप जमकर ख़र्च कीजिये। घूमिये फिरिये और नई तस्वीरें ट्वीट कर दीजिये। बाकी चैनलों की चिन्ता मत कीजिये। टीवी तो है ही ग़रीब विरोधी। अब वो आपका भी विरोधी हो गया है। आपने जिन उद्योगपतियों के नाम लिये हैं कि उन्होंने आपसे ज़्यादा क़र्ज़ लिये हैं उन पर कांग्रेस बीजेपी और चैनल चुप ही रहेंगे। औकात नहीं है उनकी। सो डियर माल्या आप घूमिये फिरिये। टीवी मत देखिये। चिल्ल सर।
आपका
नहीं भाग सकने वाला रवीश कुमार
कस्बा
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