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मेरे मन की बात:एक घोषणा के लिए करोड़ों खर्च

खरी-खरी            Feb 18, 2016


सीहोर से शैलेश तिवारी। जब चाय बेचने वाला ज़मीन से जुड़ा व्यक्ति सत्ता की बुलंदी पर हो तो उससे जनता द्वारा मितव्ययता की आशा करना भी स्वाभाविक है, वो भी आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रहे देश में। जहाँ आधे से ज्यादा लोगों का पेट पानी पीकर भरत़ा हो। उस देश की सत्ता का शीर्ष पुरुष केवल एक घोषणा करने सीहोर के शेरपुर आये और करोड़ों की राशि उस के आगमन पर खर्च हो जाए, न्यायसंगत नहीं लगता। pm-modi-in-sherpura-2 जनता की गाढ़ी कमाई को फिजूल खर्च करना बेमानी है। ये घोषणा मन की बात जैसे कार्यक्रम से भी हो सकती थी। टीवी चेनल के माध्यम से भी पूरे देश में दिखाई जा सकती थी। लेकिन नहीं ऐसी सोच पर विचार करने की जहमत नहीं की गयी। शेरपुर गाँव के नाम पर सीहोर शहर की नजदीकी जगह चुनी गयी। ताकि मेरे साहित्यकार मित्र पंकज सुबीर के किसानों के दर्द पर लिखे गए उपन्यास की तरह अकाल में उत्सव मनाया जा सके। बात सच भी है सोयाबीन की खरीफ की फसल में बर्बाद हुए किसान ने बारिश की असमानता की वजह से रबी की फसल की पूरी बोवनी भी नहीं की। कम रकबे में पैदा हो रही फसल उस के आंसूओं को किस हद तक पोंछ पाएगी, ये आने वाला समय जाने। परन्तु आज के अकाल में खुद को किसानों की रहनुमा साबित कर रही सरकार ने उस योजना की घोषणा करने के नाम पर करोड़ों फूंक दिए जिस का अभी केवल मसौदा भर तैयार हुआ है। ऐसा ही बताया है किसान नेता शिव कुमार शर्मा कक्का ने। उनका तो ये भी कहना है कि फसल बीमा योजना के इस ड्राफ्ट में किसानों से ली जाने वाली राशि प्रीमियम सरकार ने एक प्रतिशत घटाने का प्रस्ताव रखा है। जब कि किसानों को फसल के नुकसान की एवज में मिलने वाली बीमा राशी में दस प्रतिशत की कटौती की जाएगी। अगर ये सही है तो किसानों के साथ छलावा होगा। मज़े की एक और बात ये भी है कि पीएम के आगमन की तैयारी में जुटने वाले प्रशासन ने अपने जन सामान्य के दैनिक काम भी अघोषित रूप से रोक कर पेंडिंग कामों की फेहरिश्त को और लम्बा कर दिया है। समय, श्रम, धन और प्रशासन को जनता और किसानों से दूर करने आये सत्ता के शीर्ष पुरुष तुम्हें प्रणाम।


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