वसीम खान बलोच।
मैं नहीं गारंटी लेता हूँ कन्हैया या कि केजरीवाल की तरह ?हो सकता है वो आज सही हों और कल ग़लत हो जाएँ। इसलिए मैं उनको कल ग़लत ही कहूँगा। किसी का भक्त नहीं हूँ। अगर कन्हैया ने ग़लत कहा है, जो मुझे ग़लत नहीं दिखा हो सकता है कोर्ट में वो ग़लत साबित हो जाए। तो उसपर आरोप साबित करवाएँ। कल मैं अपनी ग़लती मानकर दृष्टि में सुधार करूँगा, जो किसी खराब इंसान को पहचान नहीं पाई।
जब आप कन्हैया का पूरा भाषण सुनेंगे तो पता चलेगा कि वो अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर क्या बोल रहा था। वो बोला कि मैं सेना के जवानों का पूरा सम्मान करते हुए कहना चाहूँगा कि जम्मूकश्मीर और मणिपुर में सुरक्षाबलों द्वारा बलात्कार हुए हैं। पुलिस कस्टडी में महिलाओं के बहुत रेप हुए हैं, यह बात सही है। वो सबके सब पुलिस या सेना पर सवाल नहीं कर रहा है। जो ग़लत हैं उनको ही कहा है।
https://youtu.be/YPHTOsl3xD8
अगर आपको यकीन नहीं है तो एक बार गूगल पर कोर्ट मार्शल टाइप करके देख लीजिए। देश में सैकड़ों सैनिकों के कोर्ट मार्शल हुए हैं महिलाओं से रेप के कारण। हर समाज में कुछ ग़लत हुए हैं तो सेना में भी कुछ ग़लत होंगे, उनको सुधारने के क़ानून की बात कन्हैया करता है। मणिपुर में जब महिलाएँ नंगी होकर प्रदर्शन करती हैं, सीआरपीएफ के द्वारा हुए बलात्कार के खिलाफ तो क्या पूरा सीआरपीएफ खराब हो जाता है वो आंदोलन रेप करने वालों के खिलाफ था।
आप कोई भी आदिवासियों की लोकल मैगज़ीन उठाकर देख लो जिसमें पुलिस और सुरक्षा बलों के कई लोगों द्वारा उनकी महिलाओं के रेप केश आते हैं। जो ग़लत है वो तो ग़लत कहा ही जाएगा। हम लोकतंत्र को मजबूत करना चाहते हैं उसकी कमियों पर बातें करके। मजबूत पक्ष की तारीफ़ करते हैं। सेना में मेरे कई मित्र, रिश्तेदार हैं, जो अपनी जान की बाजी लगाकर देश की रक्षा कर रहे हैं। कन्हैया के भी चचेरे भाई ने सेना में रहकर जान दी है देश के लिए।
हम सेना को सलाम करते हैं, उनके लिए और उनके परिवार के लिए बेहतर सुविधाएँ चाहते हैं। लेकिन जो लोग ग़लत हैं उनको ग़लत कहकर सही करवाना चाहते हैं। अगर कोई कहे कि सेना में भ्रष्टाचार है तो क्या हम पूरी सेना पर सवाल उठा रहे हैं? ऐसा नहीं है हम सब जानते हैं कि 4-5 लाख ले देकर कितने अपात्रों को नौकरी दी जाती है। ऐसा सेना के ही बड़े आॅफीसर करते हैं।
सेना के असली दुश्मन तो वो लोग हैं जो सेना को पहले वन रैंक वन पेंशन के नाम पर सालों लटकाते हैं फिर उन्हें उल्लू बना देते हैं, उनकी राइफलें और बुनियादी ज़रूरतें नहीं दे पाते हैं। वो लोग जो उनको बुलेट प्रूफ़ जैकेट नहीं मुहैया करवा पाते हैं, और हमारे जवान शहीद हो जाते हैं। असली गद्दार तो वो लोग हैं। ये गद्दारी सालों से चल रही है, कांग्रेस भाजपा सबको देखा है, एक के बदले दश सिर लाने के केवल जुमले किए जाते हैं फिर लाहौर में बिरियानी(वेज) पार्टी होती ।
अगर आपको सच में सेना के प्रति वफ़ादारी है तो उनको दीजिए वो सुविधाएँ, क्यों सुरक्षा बजट कम हो जाता है? क्यों उनके मरने के बाद छत्तीसगढ़ में उनकी वर्दियाँ कचरे में फेंक दी जाती हैं? मैं एक बार फिर से सेना के लोगों को सलाम करते हुए कहता हूँ कि हमारी और उनकी नौकरी में एक मात्रा का फ़र्क है," हम वेतन के लिए काम करते हैं, और हमारी सेना के जवान वतन के लिए काम करते हैं।" लेकिन जो अपराध सेना के कुछ लोगों द्वारा हुए हैं, जिनको सेना के ही कोर्ट ने सज़ा दी है, उसका भी हम सपोर्ट तो नहीं कर सकते हैं।
वसीम खान बलोच के फेसबुक वॉल से।
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