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ड्रग माफिया का कमाल, बाईडन की ministry of truth काले को सफेद सिद्ध करेगी

खरी-खरी            May 03, 2022


डॉ. राम श्रीवास्तव।

यूक्रेन युद्ध में अमेरिका ‘आग में घी’डाल रहा है। इस कारण जो तेल अमेरिका में एक डालर 50 सेन्ट का एक गैलन मिल रहा था,अब लगभग पॉच डालर में मिल रहा है। मंहगाई के कारण आम अमेरिकन छटपटा रहा है।

अमेरिकनों की पीड़ा अब सोशल मीड़िया पर कोहराम मचा रही है। आम अमेरिकन के मुंह पर चुप रहने की पट्टी चिपकाने के लिए प्रेसीड़ेन्ट बाईडन ने एक नया मंत्रालय बनाया है जिसे लोग Ministry of TRUTH कहने लगे हैं।

ऐसा भी अनुमान है यह सब “ड्रग और हथियार माफिया” के इशारों पर हो रहा है। ड्रग माफिया कितना जबरजस्त है अनुमान लगाना कठिन है।

उसके निर्देशों की अवहेलना करने वाले राष्ट्र प्रमुखों की क्या दुर्गति होती है, ‘जान एफ कैनेडी’ की हत्या को अमेरिकन कभी नहीं भूल सकते।

हमारे भारत में भी इसकी काली साया बहुत सक्रिय है ।

अजीबो गरीब संयोग होते हैं, संजय गांधी हों या हों प्रमोद महाजन, माधवराव सिन्धिया हों या राजेश पायलट, जैसे ही कोई प्रधानमंत्री की कुर्सी के करीब आते दिखने लगते हैं तो कमबख्त दुर्भाग्य चुपचाप उन्हें हमेशा—हमेशा के लिए प्रधानमंत्री की कुर्सी से दूर खींच ले जाता है।

कुछ लोगों का अनुमान है कि इस “दुर्भाग्य” का निवास इटली के दक्षिण में स्थित “सिसली” नाम के टापू में है।

यहां पर पूरी दुनिया में पसरे “ड्रग माफिया और हथियार फरोशों” का हैडक्वाटर है

यही नशीली दवाओं और हथियारों के ‘बेताज बादशाह’ यह निर्धारित करते हैं कि “भविष्य में किस देश में कौन “प्रेसीडेन्ट या प्रधानमंत्री”बनेगा।

”इसके लिए अक्सर वह बहुत पहले से अनुमान लगा लेते हैं कि किस देश के ताकतवर नेता के पुत्र या पुत्री को “सुरा सुन्दरी “ के मायाजाल में फसाकर उस देश के खजानें में “सैंध” लगाई जा।

जिससे उनके ‘गुलाम’ बने व्यक्ति के सत्तानसीन होने पर वह भविष्य का राजनेता हथियार के दलालों की ऊंगलियों पर नाचे।

हथियार और नशीली दवाओं के यह बादशाह हथियार सप्लाय से मिले कमीशन की धनराशि को “तालिबान” को देकर “अफीम “ खरीदते हैं।

इससे वह “कोकीन” जैसी नशीली ड्रग बनाकर अमेरिका और यूरोप जैसे देशों में नाईट क्लब और पब जैसी जगहों में बेचते हैं।

इन ड्रग माफिया की कठपुतली सरकार बनने के चुनावी रास्तों में जो भी व्यक्ति आता है ,उसे तुरन्त अज्ञात तरीकों से रास्ते से हमेशा के लिए हटा दिया जाता है।

इन कठपुतली राजनीतिक गुलामों को और उनकी पार्टी को चुनावों में विजय दिलाने के लिए “बिटक्वाईन” जैसी क्रिप्टो करेन्सी के माध्यम से हजारों करोड़ डालर विदेशी बैंकों के व्दारा पार्टी के गुप्त खजानें में भर दिया जाता है।

कठपुतली गुलाम के इशारों पर दंगा फसाद और राजनैतिक हत्याओं को भी अंजाम दिया जाता है ।यही एक कारण है कुछ राजनीतिज्ञ अपने चुनावों के पहिले “चुनावी गुप्त विदेश यात्राओं” पर विदेश में इटली के नीचे स्थित उनके राजनैतिक भविष्य के “तीर्थ-स्थल” पर चुनावी गंगा स्नान करने जरूर जाते हैं।

पूरी दुनिया में हमारा भारत देश एकमात्र ऐसा मुल्क है जिसके एक के बाद तीन तीन प्रधानमंत्रियों को मौत के घाट उतार दिया गया।

वैसे श्रीमान राजीव गांधी के “डेथ वारन्ट” पर तो उसी दिन हस्ताक्षर हो गए थे जब उन्होंने कुवैत आक्रमण के समय अमेरिकन हबाई जहाजों को भारत की जमीन पर “रीफ्यूल” करने की सुविधा का विरोध किया था।

यद्यपि राजीव गॉधी को तो उस दिन ही सतर्क हो जाना चाहिये था जब वे श्रीलंका में सिंहली सेना का गार्ड आफ आनर लेते समय वह सीधे जाने के बजाए सामने खड़े कमाण्डर को पार करके लाईन में खड़े सिपाहियों और कमाण्डर के बीच में से जाने लगे तो उसी समय एक सिंहली सैनिक ने बन्दूक की बट से उन पर हमला करने की कोशिश की। किन्तु राजीव गॉधी सम्भलकर सिर झुकाकर आगे बढ़ गए।

भारत को श्रीलंका में भेजी गई “शान्ति सेना” का प्रोग्राम बहुत मंहगा पड़ गया। इस पूरे षड़यन्त्र में विदेशी उथल पुथल ही नहीं, कहीं न कहीं देशी सांठ—गांठ की गहरी चाल छुपी है।

अन्यथा हत्यारों की जमात को राजीव गॉधी के परिजनों व्दारा माफ करने का क्या कारण हो सकता है।

लगता है माफिया नें अपने किसी कठपुतली को सत्ता पर बैठाने के इरादे से घटना का अंजाम करा दिया। इससे इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता कि सिसली के इन माफिया के तार व्हाईट हाऊस की नींव तक फैले हैं सचाई क्या है यह तो समय का इतिहास ही बतायेगा ।

ठीक इसी प्रकार रंगीन पर्दे की संगीन दुनिया में उस कीर्ति शिखर पर जहां आज “ट्रिपल-खान” बॉलीवुड की कुर्सी पर,देवकीनन्दन खत्री रचित चन्द्रकान्ता संतति के अय्यार “भूतनाथ के तिल्सिम” की तरह जादुई कील गाढ़ कर बैठे है।

उस ख्याति के करीब जैसे ही कोई एक्टर सुशान्त सिंह हों या सिद्धार्थ शुक्ला की तरह ,सुपर स्टार बनने की कील की ओर बढ़ते नजर आते हैं,’दुर्भाग्य’ उन्हें इस दुनिया से हमेशा के लिए दूर ले जाता है।

पुराने जमाने में दुर्भाग्य के इस कुकर्म के लिए जादू टोना टोटका,झाडफूंस और “मूठ मारना” आदि कहा जाता था।

आज के जमाने में इस रहस्यमय कार्यक्रम के लिए ड्रग माफिया का उस “जादुई छड़ी “ का इस्तेमाल किया जाता है, जिससे लालबहादुर शास्त्री,डा०श्यामा प्रसाद मुखर्जी,महामना जयप्रकाश नारायण,दीनदयाल उपाध्याय,सुनन्दा पुष्कर आदि को इस दुनिया से “महा प्रयाण “ कराया गया था,,,,,, आम लोगों को बस कहने को बचता है ,,,,शान्ति ॐ शान्ति,,,ॐ…आमीन…!

लेखक सेवानिवृत प्राचार्य हैं।

 



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