राकेश दुबे।
तो कमलनाथ ने सारे खेमों को जोड़-तोड़ के मंत्रिमंडल बना ही लिया फिर भी, कांग्रेस के भीतर, कांग्रेस के बाहर और खास तौर पर उन लोगों में असंतोष है जिनके दम पर सरकार टिकी है।
शपथ ग्रहण समारोह ने प्रदेश को बता दिया कि कांग्रेस सत्ता में आ गई है, आगे खुदा ख़ैर करे।
एक कहावत है हर एक को संतुष्ट नहीं किया जा सकता, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने भी यह जुमला दोहराया उनके जुमले के जवाब में भोपाल के “संजीदा मीडिया” ने दोहराया व्यवस्था तो ठीक रखी जा सकती थी। पूरा शपथ ग्रहण समारोह ‘नुमाइश’ हो गया था। पुलिस को माईक लगा कर व्यवस्था बनाना पड़ी। 15 साल बाद कांग्रेस लौटी है, इसकी बानगी थी, ‘संजीदा मीडिया’ हाशिये पर था।
अब मंत्रिमंडल ! कांग्रेस की गुटबाजी को ढंकने की सारी कोशिश दीवार की दरारों को पोस्टर से ढंकने की साबित हुई। कौन किस खेमे से है क्यों है और क्यों नहीं, साफ़ दिखा। कमलनाथ खेमे से -10, दिग्विजय खेमे से -7 ,सिंधिया खेमे से -7 और मिलेजुले माने जाने वाले 5 मंत्री शामिल हैं। कमलनाथ सहित 29 मंत्री बन गये है, संविधान के तहत 11 और बनाये जा सकते हैं।
दिखने को कमलनाथ खेमे के 10 मंत्री दिखते हैं, पर झुकता समीकरण इसे दिग्विजय सिंह की राजनीति की ओर इशारा करता है। ठाकुर बाहुल्यता उत्तरप्रदेश के मद्देनजर दिखती है।
एक मित्र ने बहुत बारीकी से एक रेखांकन किया है “ युद्ध में भाई का सहारा और बंटवारे में भाई से किनारा” उनका इशारा भी दिग्विजय सिंह की तरफ ही समझ आता है। सबसे युवा जयवर्धन सिंह की ताजपोशी जो हुई है।
कांग्रेस की पालकी को जादुई आंकड़े तक कन्धा देने वाले कहारों में इस बंटवारे से खासी नाराजी है। नाराज तो कांग्रेस के वे लोग भी है जिनकी छबि साफ़ है।
कल के गठन में वे भी चुन लिये गये हैं जिनके के खिलाफ हत्या का गम्भीर आरोप है। उनकी गुणवत्ता पर प्रकाश तो शपथ ग्रहण के दौरान ही कुछ वरिष्ठ लोगों ने डाला। सबका इशारा मजबूत ठाकुर लाबी थी। कांग्रेस अपने मंत्रिमंडल को “ऊँचे लोग – ऊँची पसंद” की संज्ञा दे रही है।
उसे यह नहीं भूलना चाहिए कि “ ऊंचाई पतंग की भी होती है और पेड़ की भी, पतंग की ऊंचाई डोर, हवा, और जोतों पर निर्भर होती है।
इसके विपरीत पेड़ जितना बड़ा होता है,उतना जमीन में गड़ा होता है। “ अभी कांग्रेस सरकार मध्यप्रदेश में उस पतंग की तरह है जिसकी डोर किसी ओंर के हाथ में है।
बहुत मेहनत लगेगी सब कुछ ठीक करने में। बदले की भावना से बदलाव कब और कहाँ होते हैं ? इतिहास गवाह है।
Comments