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तिरूपति बालाजी लड्डू विवाद, राज्य सरकार की नियत पर सवाल तो है

खरी-खरी            Oct 03, 2024


अरविंद सिंह।

क्या तिरुपति के भगवान वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर के लड्डू प्रसाद में दूषित घी का इस्तेमाल हुआ?

यह सवाल भगवान में आस्था रखने वाले करोड़ों भक्तों के मन में है। सुप्रीम कोर्ट में इस मसले पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई का लिखित आदेश कल वेबसाइट पर आया है।

इस आदेश में कई तथ्य स्पष्ट हो रहे है, जिनका सार ये है

*जिस घी का लैब टेस्ट हुआ, उसका इस्तेमाल लड्डु प्रसाद में नहीं हुआ।

*जिस घी से पूरे जून महीने और 4 जुलाई तक प्रसाद बना और जिस घी में मिलावट मिली, उन दोनों घी का सप्लायर एक ही है।

दरअसल मंदिर का प्रबंधन करने वाले तिरुमला तिरूपति देवस्थानम( TTD) की ओर से पेश वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कोर्ट को बताया है कि घी के जो सैंपल लैब को टेस्ट के लिए भेजे गए , वो 6 जुलाई को 2 टैंकर और 12 जुलाई को 2 टैंकर में सप्लाई हुआ था। इन चारों सैंपल में घी में मिलावट मिली। हालांकि गौर करने वाली बात है कि

जिस घी के सैम्पल का टेस्ट हुआ,उस घी का इस्तेमाल लड्डू प्रसाद को बनाने में नहीं हुआ था। सिद्धार्थ लूथरा ने यह भी बताया कि कि TTD के एग्जीक्यूटिव ऑफिसर का बयान(कि दूषित घी का इस्तेमाल लड्डू प्रसाद बनाने में नहीं हुआ) इन्हीं दो तारीखों को सप्लाई हुए इन चार सैम्पल के संदर्भ में ही था।

पर यहाँ बात सिर्फ इतनी भर नहीं है। TTD की ओर से कोर्ट को बताया गया कि इससे पहले जून महीने और 4 जुलाई तक जो घी सप्लाई हुआ, वो भी इस सप्लायर का था( जिसके घी में बाद में मिलावट मिली)।

पूरे जून महीने और 4 जुलाई तक जो घी सप्लाई हुआ, उसका इस्तेमाल लड्डू प्रसाद बनाने में हुआ , पर इस घी का सैम्पल टेस्ट के लिए नहीं भेजा गया था।

TTD का कहना है कि चूंकि इससे पहले सप्लाई हुए लड्डुओं का स्वाद ठीक नहीं था। इसलिए इसके बाद इसी सप्लायर से आये घी के सैम्पल को राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के पशुधन और खाद्य विश्लेषण और अध्ययन केंद्र( NDDB CALF ) में भेजा गया। जहां उन चारों सैम्पल के दुषित होने की पुष्टि हुई।

सवाल कोर्ट में मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू के रवैये के बयान को लेकर भी उठा है। 18 सितंबर को दिए उनके बयान ने करोड़ो भक्तों के हृदय को उद्देलित कर दिया।

निश्चित तौर पर चूंकि इस पूरे अंतराल में घी का सप्लायर एक ही है तो आशंका तो थी ही, जांच होनी भी चाहिए थी। पर इस मामले में FIR 25 सितंबर को दर्ज हुई। 26 सितंबर को राज्य सरकार ने जांच के लिए SIT का गठन किया। लेकिन मुख्यमंत्री ने 18 सितंबर को ही बयान जारी कर दिया।

बयान भी ऐसा कि..आप सबको मालूम ही है ! बिना पुष्टि के ऐसे बयान जल्दबाज़ी ही कहा जाएगा। कोर्ट ने भी कहा कि जब इस पहलू की जाँच अभी जारी ही है कि क्या लड्डु प्रसाद में दूषित घी का इस्तेमाल हुआ है या नहीं, तब संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को ऐसे बयान नहीं देने चाहिए जो करोडों लोगों की धार्मिक भावनाओं को आहत करें।

कोर्ट का सवाल ये भी था कि जब SIT जांच कर ही है और मुख्यमंत्री पहले ही लड्डु प्रसाद में मिलवाट को लेकर अपना फैसला सुना रहे है तो फिर इस जांच का क्या औचित्य रह जाएगा?

बहरहाल राज्य सरकार की निष्पक्षता पट उठ रहे सवालों के मद्देनजर कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से पूछा है कि क्या इस मामले में राज्य सरकार की ओर से गठित एसआईटी की जांच जारी रहनी चाहिए या फिर जांच का जिम्मा किसी स्वतंत्र एजेंसी को सौंप दिया जाए। एस जी इस बारे में अपनी राय से कोर्ट को अवगत कराएंगे।

लेखक जी न्यूज में विशेष संवाददाता हैं।

 


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