मल्हार मीडिया ब्यूरो।
बेंगलुरु पुलिस ने एससी और एसटी समुदाय के सदस्यों को एक विशेष उम्मीदवार को वोट न देने के लिए कथित तौर पर आपत्तिजनक एक सोशल मीडिया पोस्ट के सिलसिले में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और पार्टी की आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय को तलब किया है.
अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि उन्हें यहां हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में जांच में शामिल होने के लिए कहा गया है. पुलिस के समन में कहा गया है कि उस मामले की जांच के उद्देश्य से आपको इस नोटिस के मिलने के सात दिनों के भीतर हाई ग्राउंड्स पुलिस स्टेशन में सुबह 11 बजे जांच अधिकारी के सामने पेश होने का निर्देश दिया जाता है.
5 मई को कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) ने चुनाव आयोग और पुलिस के साथ सोशल मीडिया के जरिये आदर्श आचार संहिता के उल्लंघन का आरोप लगाते हुए शिकायत दायर की थी. इसके बाद एक सोशल मीडिया पोस्ट के संबंध में नड्डा, मालवीय और भाजपा की कर्नाटक इकाई के प्रमुख बीवाई विजयेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया गया.
इसके बाद यह कदम उठाया गया है. एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि उन पर लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धाराओं और भारतीय दंड संहिता की धारा 505 (2) (वर्गों के बीच शत्रुता, घृणा या दुर्भावना पैदा करने या बढ़ावा देने वाले बयान) के तहत मामला दर्ज किया गया है.
अपनी शिकायत में केपीसीसी ने कर्नाटक राज्य भाजपा के आधिकारिक अकाउंट के जरिये सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपलोड किए गए वीडियो का हवाला दिया.
जिसमें आरोप लगाया गया कि यह भाजपा के सोशल मीडिया प्रभारी मालवीय द्वारा नड्डा और राज्य अध्यक्ष विजयेंद्र के निर्देश पर संचालित है.
कर्नाटक बीजेपी के 4 मई को सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक वीडियो में (कांग्रेस नेता) राहुल गांधी और (मुख्यमंत्री) सिद्धारमैया के एनिमेटेड फोटो दिखाए गए हैं.
इस क्लिप में एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय को एक घोंसले में रखे अंडों के रूप में दिखाया गया है. इसमें राहुल गांधी को मुस्लिम समुदाय के रूप में लेबल वाला एक बड़ा अंडा रखने का भी सुझाव देते दिखाया गया.
इसमें ऐसा पेश किया गया जैसे कि मुस्लिम समुदाय को दर्शाने वाले चूजे को धन दिया जा रहा है, जो बाद में एससी, एसटी और ओबीसी समुदाय को बाहर कर देता है.
पुलिस के मुताबिक आरोपियों का यह काम जानबूझकर दंगा भड़काने और विभिन्न धर्मों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना है. शिकायत में आरोप लगाया गया है कि यह एससी/एसटी समुदाय के सदस्यों को विशेष उम्मीदवार को वोट न देने के लिए डराने-धमकाने और एससी/एसटी के सदस्यों के खिलाफ दुश्मनी पैदा करने के अलावा सद्भाव बनाए रखने के लिए हानिकारक है.
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