कलेक्टर-कमिश्नर कान्फ्रेंस बोले मुख्यमंत्री, प्रो-एक्टिव होकर काम करें संभागायुक्त

खास खबर            Feb 27, 2019


मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ ने कहा है कि आज वर्तमान जरूरतों के मुताबिक शासन तंत्र में बदलाव जरूरी है। अंग्रेजों के जमाने की इस व्यवस्था में परिवर्तन करने पर सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा कि आम लोगों की सहायता, सहयोग और समर्थन की व्यवस्था लागू होना चाहिए। यह हमारा लक्ष्य है।

उन्होंने कहा कि कमिश्नर और कलेक्टर संभाग और जिला स्तर पर सरकार का चेहरा हैं। दोनों अधिकारी जनता और सरकार के बीच नोडल पाइंट हैं, इसलिये इनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। जब सबसे कमजोर और गरीब वर्ग को तत्काल और त्वरित न्याय मिलेगा, तभी प्रदेश में सुशासन की स्थापना कर पाएंगे।

मुख्यमंत्री आज मंत्रालय में कमिश्नर-कलेक्टर कांफ्रेंस को संबोधित कर रहे थे। मुख्य सचिव एस.आर. मोहंती कॉन्फ्रेंस में उपस्थित थे।

कान्फ्रेंस के प्रमुख बिन्दु

कमिश्नर, कलेक्टर सरकार का चेहरा और नोडल पॉइन्ट हैं। जनता और सरकार के बीच तालमेल के लिए जिम्मेदार।

सुशासन का अर्थ है कमजोर और गरीब वर्गों को त्वरित न्याय।

मुख्यमंत्री, मंत्री और मंत्रालय तक वही समस्याएँ आए, जिनका सम्भाग और जिले में समाधान न हों।

अंग्रेजों के जमाने के तंत्र में वर्तमान जरूरतों के मुताबिक बदलाव जरूरी है।

जहाँ सुशासन नहीं है वहाँ समस्याएँ अधिक।

जन-सुनवाई, सीएम हेल्पलाइन और लोक सेवा गारंटी जैसी व्यवस्थाएँ दिखावे के लिए न हो।

निवेश नीति से नहीं वातावरण और विश्वास से आता है।

कौशल विकास के बाद नौजवानों को रोजगार भी मिले।

ऋण माफी योजना का तय समय-सीमा में किसानों को लाभ मिले।

श्री कमल नाथ ने कहा कि आज लोगों की जरूरतों, अपेक्षाओं और आकांक्षाओं में परिवर्तन हुआ है। जो मौजूदा व्यवस्था काम कर रही है, वह 60-70 साल पुरानी है। इस व्यवस्था को हमें आज के संदर्भ में बदलना होगा ताकि वह लोगों की अपेक्षाओं पर खरा उतरे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई सरकार का सोच स्पष्ट है। कानून और नियम के कारण आम आदमी को दिक्कत नहीं होना चाहिए। जिसके पास कुछ भी नहीं है, वह सरकार की योजनाओं का लाभ पाएं, यह सुनिश्चित करने का काम जिला कलेक्टरों का है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कलेक्टर-कमिश्नर शासन तंत्र के नोडल पाइंट हैं। इनका आपस में और विभिन्न विभागों के बीच बेहतर तालमेल हो, यह उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।

श्री नाथ ने कहा कि मेरा अनुभव यह है कि जिस जिले में सुशासन नहीं है, वहाँ समस्याओं के सबसे अधिक आवेदन मिलते हैं और यही उस जिले का रिपोर्ट कार्ड बतलाता है। उन्होंने कहा कि आज जरूरत इस बात की है कि जनता से जुड़ी संस्थाओं को ऐसा स्वरूप दें कि वे तत्काल तत्परता के साथ लोगों की समस्याओं का समाधान कर सकें। उन्होंने कहा कि जो काम जिला और संभाग स्तर पर हो सकते हैं, उसके लिये आम-आदमी को अगर मुख्यमंत्री, मंत्री और मंत्रालय के पास तक आना पड़े, यह उचित नहीं है। अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी समझना होगी और जवाबदेही तय करना होगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संविधान ने हमारे नागरिकों को स्वतंत्रता, समानता और न्याय का जो बुनियादी अधिकार दिया है, उससे वे वंचित न हों, यह मेरी सरकार का लक्ष्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि समानता और स्वतंत्रता असीमित नहीं है, लेकिन न्याय असीमित है और उसे अधिकार है कि वह स्वतंत्रता और समानता के अधिकार में हस्तक्षेप कर सके। यही हमारे लोकतंत्र की नींव है। सरकार की इस मंशा को अधिकारियों को आत्मसात करना होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि जन-सुनवाई, सीएम हेल्पलाइन, लोकसेवा गारंटी दिखावे के लिये न हो। इन्हें और अधिक प्रभावी बनाने की जरूरत है। इनके जरिये हम लोगों की समस्याओं का शीघ्रता से समाधान कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संभाग आयुक्त अपनी भूमिका को नये सिरे से तय करें। वे अपने अधीनस्थ जिलों में निरंतर मॉनिटरिंग करें और प्रो-एक्टिव होकर काम करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि हम को मैदानी समस्याओं की जानकारी अखबारों, आंदोलनों और शिकायतों से नहीं मिलना चाहिए।

कलेक्टर और कमिश्नर की ओर से हमें सूचना आएं, तभी हम सुचारु तंत्र संचालन का दावा कर सकते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय स्तर पर कौन सी समस्या विकास में बाधक है, जो लोगों की समस्याओं का कारण बनेगी, इसकी जानकारी से कमिश्नर-कलेक्टर मुझे अवगत करवाएँ। वे मुझसे सीधे संवाद कर सकते हैं और अपने सुझाव दे सकते हैं।

श्री नाथ ने कहा कि हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि मध्यप्रदेश में निवेश क्यों नहीं आता। उन्होंने कहा कि औद्योगिक जगत से निरंतर उन्हें यह फीडबैक मिला है कि यहाँ निवेश में प्रारंभ से ही दिक्कतें शुरु हो जाती हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हम मध्यप्रदेश में नीति नहीं, ऐसा वातावरण और विश्वास पैदा करना चाहते हैं, जिससे निवेश अपने आप प्रदेश की तरफ आकर्षित हो। उन्होंने कहा कि निवेश की हमें आज सबसे ज्यादा जरूरत इसलिये हैं, क्योंकि हम इसके जरिए बड़े पैमाने पर रोजगार उपलब्ध करवाने के साथ ही प्रदेश में आर्थिक गतिविधियों का विस्तार कर पायेंगे। उन्होंने इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत बतायी।


मुख्यमंत्री ने कहा कि कौशल विकास के बारे में भी हमें सोचना होगा। उन्होंने कहा कि अगर हमने नौजवानों को प्रशिक्षित कर दिया और उन्हें रोजगार नहीं मिला, तो ऐसे कौशल विकास का कोई अर्थ नहीं है। हमें ऐसी नीति अपनाना होगी जिससे हम अपने नौजवानों को रोजगार दिला सकें, तभी हमारे कौशल विकास के प्रयास का कोई लाभ है।

मुख्यमंत्री ने जय किसान फसल ऋण माफी योजना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है। इस योजना का लाभ तय समय-सीमा में लोगों को मिले, यह सुनिश्चित करना आप लोगों की जिम्मेदारी है। मुख्यमंत्री ने कम समय में इतनी बड़ी योजना पर अमल पर अधिकारियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि नागरिकों को मिलने वाली बुनियादी सुविधा, जिनमें स्वास्थ्य, बिजली, स्कूल, पेयजल सहित अन्य सुविधाएँ शामिल हैं, उनकी डिलेवरी में कोताही नहीं होना चाहिए। उन्होंने बिजली आपूर्ति सुचारु रूप से सुनिश्चित करने को कहा।

मुख्यमंत्री ने कानून-व्यवस्था के मामले में भी संभाग आयुक्त और कलेक्टरों से सक्रिय भूमिका निभाने को कहा। उन्होंने कहा कि पुलिस के साथ आपको प्रदेश में शांति व्यवस्था बनाये रखने में पूरी जिम्मेदारी निभाना है।

कॉन्फ्रेंस में जय किसान फसल ऋण माफी योजना, स्व-रोजगार योजना, पेयजल व्यवस्था, प्रोजेक्ट गौ-शाला, राजस्व प्रकरण के वितरण गलत विद्युत देयकों के निराकरण, अपराधिक प्रकरणों का प्रत्याहरण, कानून-व्यवस्था, आगामी लोकसभा चुनाव, युवा स्वाभिमान योजना, स्वास्थ्य सेवाएँ, मातृ-शिशु मृत्यु दर तथा बोर्ड परीक्षा की व्यवस्थाओं की समीक्षा की गई।


मुख्यमंत्री ने इस मौके पर कृषि प्रयोजन भूमि को अन्य प्रयोजन में लाने के लिये शुरू की गई ऑनलाइन प्रक्रिया का शुभारंभ किया। श्री नाथ ने ऑनलाइन प्रक्रिया के जरिए हुए डायवर्जन की प्रथम प्रति दो हितग्राहियों को सौंपी।

 


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