ममता मल्हार।
मध्यप्रदेश का ग्वालियर अंचल यहां की राजनीति में हमेशा से महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। कई बार सरकारों की दशा और दिशा यह क्षेत्र तय करता रहा है।
अगर यह कहा जाए कि सिंधिया खानदान का गढ़ रहा ग्वालियर किंगमेकर की भूमिका में रहा है तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी।
सबसे बड़ा उदाहरण वर्ष 2018 से 2020 तक चला राजनीतिक घटनाक्रम है, जिसमें 2018 में कांग्रेस ने 15 साल बाद अपना वनवास खत्म कर जीत हासिल की और सरकार बनाई।
लेकिन पार्टी और सरकार में सही तवज्जो न मिलने के कारण अपने 26 विधायकों के साथ भाजपा का दामन थामा और 15 महीने बाद ही कांग्रेस सत्ता को सत्ता से बाहर करने का जरिया बन गए।
गौरतलब है कि यहां सिंधिया परिवार का आजादी के बाद से ही सियासत में सीधा दखल है तो वहीं भाजपा के कई बड़े दिग्गज नेताओं का गृहक्षेत्र भी है।
केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, मप्र के गृहमंत्री, नरोत्तम मिश्रा सहित कई दिग्ग्ज इसी अंचल से आते हैं।
यही कारण है कि कि इस अंचल से जो भी दल ज्यादा सीटें जीतता है सरकार उसी की बनती है 2018 में कांग्रेस ने जिन ज्योतिरादित्य सिंधिया के बल पर 34 सीटों में से 26 सीटें हासिल की थीं,उन्हीं सिंधिया ने कांग्रेस की कमलनाथ सरकार को सड़क पर ला दिया।
अब सिंधिया भाजपा के साथ हैं केंद्र में मंत्री हैं और प्रदेश में उनके खेमे के ज्यादातर विधायक मंत्री हैं।
ऐसे में 2023 का चुनावी मुकाबला बेहद रोचक होने वाला है।
यहां मिशन 2023 के लिए कांग्रेस को ताकत देने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने मोर्चा संभाला हुआ है।
उपचुनाव के बाद दोनों दलों के बीच सीटों का आंकड़ा बराबरी का है।
तो दूसरी तरफ बसपा और आम आदमी पार्टी भी मैदानी जमावट में जुटे हैं।
2018 में इस क्षेत्र से भाजपा को महज़ 7 सीटें मिली थीं और कांग्रेस ने 26 सीटें हासिल कर एतिहासिक जीत दर्ज की थी। एक सीट बसपा के खाते में गई थी।
2020 में सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा तो..कांग्रेस की सरकार गिर गई। 2020 में ही विधानसभा उप चुनाव हुए तो भाजपा ने इस अंचल की 16 में से 9 सीटों पर जीत दर्ज की।
वहीं कांग्रेस 26 से घटकर 17 सीटों पर आ गई। इसी साल भिंड के बसपा विधायक संजीव सिंह ने भाजपा का दामन थाम लिया।
संभागवार और जिलेवार सीटें
ग्वालियर चंबल संभाग में 8 जिले
ग्वालियर,दतिया,शिवपुरी,श्योपुर,मुरैना,भिंड,गुना,अशोकनगर
विस सीट कुल 34
-ग्वालियर (6सीट)-ग्वालियर ग्रामीण,ग्वालियर,ग्वालियर पूर्व,ग्वालियरदक्षिण,भितरवार,डबरा
-शिवपुरी (5सीट)-करेरा,पोहरी,शिवपुरी,पिछोर,कोलारस
-गुना (4सीट)-बमोरी,गुना,चाचौड़ा,राघौगढ़
-अशोकनगर (3सीट)-अशोकनगर,चंदेरी,मुंगावली
-दतिया (3सीट)-दतिया,सेंवढ़ा,भांडेर
-मुरैना (6सीट)-मुरैना,सबलगढ़,जौरा,सुमावली,दिमनी,अंबाह
-भिंड (5सीट)-भिंड,अटेर,लहार,मेहगांव,गोदह
-श्योपुर (2सीट)-श्योपुर,विजयपुर
ग्राफिक्स...
अंचल में लोकसभा सीट-4
ग्वालियर-सांसद विवेक नारायण शेजवलकर भाजपा
लोकसभा क्षेत्र की विस सीट
ग्वालियर ग्रामीण, डबरा, करेरा, भितरवार, ग्वालियर पूर्व, ग्वालियर, ग्वालियर दक्षिण, पोहरी
मुरैना-नरेंद्र सिंह तोमर भाजपा
लोकसभा क्षेत्र की विस सीट
श्योपुर,विजयपुर,सबलगढ़,जौरा,सुमावली,मंरैना,दिमनी,अंबाह
भिंड-संध्या राय भाजपा
लोकसभा क्षेत्र की विस सीट
अटेर,भिंड,मेहगांव,लहार,गोहद,सेंवड़ा,भांडेर,दतिया,
गुना-केपी यादव भाजपा
लोकसभा क्षेत्र की विस सीट
शिवपुरी,पिछोर,कोलारस,बमोरी,गुना, अशोकनगर,चंदेरी,मुंगावली
इधर कुनबे की कलह, उधर नई टीम बनाना बड़ी चुनौति
भाजपा के सभी बड़े नेता कई बड़ी बैठकें लेकर यहां के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मन टटोल चुके हैं।
निकाय चुनाव में ग्वालियर,मुरैना में महापौर की जीत से उत्साहित कांग्रेस ने भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को उनके ही गढ़ में ही घेरने की तैयारी में है।
पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह, पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को कमलनाथ ने जिम्मेदारी सौंपी है।
भाजपा के लिए जहां अपने कुनबे की कलह दूर कर चुनाव जीतना चुनौती है तो कांग्रेस को नई टीम खड़ी कर मैदान में उतरना।
सरकार और संगठन के बाद निगम-मंडलों की नियुक्तियों में ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थकों को महत्व दिए जाने को कांग्रेस सियासी मुदृा बना रही है। कांग्रेस का दावा है कि ग्वालियर-चंबल संभाग में भाजपा में भारी असंतोष पनपा है।
इन खबरों से भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की चिंता बढ़ी तो दिग्ग्ज नेताओं को असंतुष्टों को साधने की जिम्मेदारी सौंपी गई।
भाजपा नेतृत्व को एक आशंका यह भी है कि प्रदेश की सत्ता में भाजपा की वापसी और हारी हुई बाजी को जिताने में अहम किरदार रहे सिंधिया समर्थकों को थोक में टिकट और कुर्सियां बांटने से कहीं अंचल के गुटीय समीकरण न गड़बड़ा जाएं।
ग्वालियर उपचुनाव में हारे दोनों सिंधिया समर्थकों मुन्नालाल गोयल और इमरती देवी को निगम अध्यक्ष बनाया गया।
मुरैना में पराजित सिंधिया समर्थक पूर्व विधायक रघुराज सिंह कंसाना और गिर्राज डंडोतिया भी निगम की अध्यक्षी से नवाजे गए।
भिंड में उपचुनाव में पराजित हुए रणवीर सिंह जाटव सिंधिया की गुडबुक में रहने के चलते निगम अध्यक्ष बनने में कामयाब रहे हैं। इसी जिले में सिंधिया समर्थक ओपीएस भदौरिया पहले से ही शिवराज सिंह की कैबिनेट में हैं।
हालांकि भाजपा के तमाम बड़े नेता यह कहकर असन्तोष के सुरों को थामने की कोशिश कर रहे हैं कि जो नियुक्तियां हुई वो सब भाजपा के ही हैं।
भाजपा नेता सुधीर गुप्ता और माखन सिंह ने अंचल की नब्ज टटोल कार्यकर्ताओं की बात सुनी और संगठन को अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी है। अब देखना बाकी होगा कि भाजपा नाराजों को मनाने में कामयाब होगी या फिर कांग्रेस या अन्य दल इसका फायदा उठाएंगे
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