मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश में मोहन यादव को काम संभाले हुए 45 दिन हो गए हैं। 45 दिन के कार्यकाल में मोहन यादव ने कई ऐसे कदम उठाए हैं, जो हैरान करने वाले हैं। साथ ही यह भी सवाल उठ रहे हैं कि पूर्व की शिवराज सरकार की रिवाजों और निशानियों को वह बदल रहे हैं क्या? इसकी झलक गुरुवार को भोपाल के एक कार्यक्रम में दिख गई है। मोहन यादव ने 45 दिन के कार्यकाल में चार बड़े बदलाव किए हैं, जिसकी चर्चा के साथ तारीफ भी हो रही है। आइए आपको एक-एक कर उन बदलावों के बारे में बताते हैं।
दरअसल, शिवराज सिंह चौहान के कार्यकाल में करोड़ों रुपए खर्च कर बीआरटीएस कॉरिडोर का निर्माण करवाया गया था। इस कॉरिडोर की औचित्य पर लगातार सवाल उठ रहे थे। इसके साथ ही हादसे भी हो रहे थे। बीते कुछ सालों से हटाने की चर्चा हो रही थी। मगर फैसले पर अंतिम मुहर नहीं लग पा रही थी। मोहन यादव ने सीएम बनने के बाद इसे लेकर पहली बैठक की। पहली बैठक में ही यह फैसला हो गया कि बीआरटीएस को भोपाल से हटाया जाएगा।
इसके बाद दूसरी मीटिंग हुई, जिसमें बीआरटीएस को हटाने को लेकर फैसला हो गया है। 20 जनवरी के भोपाल के बैरागढ़ इलाके से बीआरटीस को तोड़ने की कार्रवाई शुरू हो गई है। आने वाले कुछ दिनों में भोपाल से बीआरटीएस का निशान मिल जाएगा। इसके साथ ही शिवराज सरकार की यह निशानी खत्म हो जाएगी।
एक साल 86 दिन पहले तत्कालीन शिवराज सरकार ने यह फैसला किया था कि मध्य प्रदेश गान के समान में लोगों को खड़ा होना है। मोहन यादव ने 25 जनवरी को इस रिवाज और आदेश को पलट दिया है। एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान मध्य प्रदेश गान पर खड़े हुए लोगों को उन्होंने बैठा दिया। साथ ही कह दिया कि यह राष्ट्रगान से बड़ा नहीं है और खड़ा होने की जरूरत नहीं है।
तत्कालीन शिवराज सरकार के कार्यकाल में बड़ी मछलियों पर कार्रवाई कम ही होती थी। 45 दिन में मोहन यादव गुना से लेकर शाजापुर तक के मामले में अधिकारियों पर कार्रवाई कर मिसाल पेश की है। गुना बस हादसे में उन्होंने बड़े से लेकर छोटे अधिकारियों तक पर कार्रवाई की है। इसके साथ ही पब्लिक से गलत सलूक करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई कर यह संदेश दिए कि यह सरकार आमलोगों की है।
मध्य प्रदेश में लंबे समय से स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग अलग-अलग काम कर रहे थे। दोनों के अलग-अलग मंत्री होते थे। चिकित्सा शिक्षा विभाग के अंतर्गत प्रदेश के मेडिकल कॉलेज आते थे। इसकी वजह से केंद्र की योजनाओं को लागू करने में दिक्कत आती थी। मोहन यादव ने 45 दिनों के कार्यकाल में बीते मंगलवार को कैबिनेट की बैठक में दोनों विभागों को मर्ज कर दिया है। अब स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक ही हो गया है।
गौरतलब है कि सीएम मोहन यादव ने इन फैसलों से यह स्पष्ट कर दिए हैं कि उनका काम करने का अंदाज बिल्कुल होगा। साथ ही वह अपने फैसले से नई लकीर खींच रहे हैं। अपने हिसाब से वह अधिकारियों की तैनाती कर रहे हैं। शिवराज सरकार में फ्रंट पर रहे अधिकारी आज लूपलाइन में चले गए हैं।
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