मल्हार मीडिया ब्यूरो।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर शनिवार को हुई भगदड़ की घटना ने एक बार फिर रेलवे सुरक्षा व्यवस्था और भीड़ प्रबंधन के सिस्टम को कटघरे में खड़ा कर दिया है। यह हादसा कोई नया नहीं है। इससे पहले भी इस स्टेशन पर कई बार भगदड़ जैसी घटनाएं घट चुकी हैं। 2004, 2010 और 2012 में भी यहां भगदड़ मचने के कारण कई लोगों की जान गई थी। इस बार भी शनिवार रात ऐसे ही हादसे में 18 लोगों की मौत हो गई।
पिछले तीनों हादसे अचानक ट्रेन के प्लेटफार्म बदलने के दौरान मची अफरातरफी से हुए। 2004 में बिहार जाने वाली ट्रेन के प्लेटफार्म को लेकर भगदड़ मच गई थी, जिसमें पांच महिलाओं की जान गई। इसी तरह वर्ष 2010 में भी पटना जाने वाली ट्रेन के प्लेटफार्म को आखिरी वक्त में बदल दिया गया, जिससे भगदड़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी और वर्ष 2012 में बिहार जाने वाली ट्रेन के प्लेटफार्म में बदलाव के कारण एक महिला और एक किशोर की मौत हो गई थी। अब, वर्ष 2025 में भी वही कारण सामने आया है कि प्लेटफार्म का अचानक बदलाव करने के कारण एक और दर्दनाक हादसा हुआ।
यात्रियों के अनुसार, इस घटना से यह सवाल उठता है कि इतने वर्षों के बाद भी रेलवे प्रशासन ने इन हादसों से कोई ठोस सबक क्यों नहीं लिया? जब इतने बड़े स्टेशन पर भारी भीड़ होती है, तो वहां का सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन व्यवस्था में गंभीर खामियां क्यों हैं? क्या यह प्रशासन की सुस्ती, लापरवाही और अव्यवस्था का परिणाम है?
हालांकि रेलवे प्रशासन हर बार कहता है कि प्लेटफार्म बदलाव की जानकारी यात्रियों को समय पर दी जाती है, लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या उस जानकारी को सही तरीके से लागू किया जा रहा है? क्या यात्रियों के लिए सुगम रास्तों और उचित व्यवस्था की योजना बनाई गई है?
एक तरफ जहां रेलवे के पास पर्याप्त संसाधन और समय है, वहीं इस तरह के हादसों को रोकने के लिए प्राथमिक कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं?
यात्रियों का कहना है कि इन घटनाओं से सबक लेते हुए रेलवे को अपने सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन सिस्टम में गंभीर सुधार की आवश्यकता है। इसके लिए तकनीकी उपायों के साथ-साथ बेहतर योजना, जानकारी का प्रसार और हर यात्री की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने की जरूरत है। रेलवे को यह समझना होगा कि हर यात्री की जान अनमोल है और उनके जीवन की सुरक्षा किसी भी अन्य कार्य से अधिक महत्वपूर्ण है।
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