मल्हार मीडिया विशेष।
लंबे समय बाद आखिरकार मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल का मास्टर प्लान का ड्राफ्ट जारी कर दिया गया। मुख्यमंत्री शिवराज की अनुमति के बाद मंत्री भूपेंद्र सिंह ने भोपाल का मास्टर प्लान 2031 जारी किया।
पिछले 17 वर्षों से राजधानी का मास्टर प्लान फाइलों में ही बंद पड़ा था। नए संशोधन के अनुसार बड़े तालाब का कैचमेंट क्षेत्र 331 हेक्टेयर बढ़ जाएगा। अरेरा कालोनी मिश्रित भूमि से मुक्त होगी। अब केवल यहां आवसीय निर्माण ही हो सकेगा।
गौरतलब है कि राजधानी भोपाल का आखिरी मास्टर प्लान 1995 में तत्कालीन दिग्विजय सिंह सरकार ने जारी किया था।
यह मास्टर प्लान 2005 में समाप्त हो गया था। साल 2018 में सत्ता में वापसी के बाद कांग्रेस सरकार ने मास्टर प्लान बनाने की पहल शुरू की थी। हालांकि, 15 महीने में सरकार गिरने के बाद मास्टर प्लान फाइलों में दफ्न हो गई।
मास्टर प्लान 2005 में अवधपुरी से हताईखेड़ा तक 60 मीटर चौड़ा मार्ग प्रस्तावित किया गया था, जिसका 5.2 किलोमीटर लम्बा भाग भोपाल विकास योजना ( प्रारूप ) 2031 में विलोपित किया गया था।
इस मार्ग से लगकर अनेक अनुमतियों जारी की गई है एवं इससे कई कालोनियों का प्रवेश दर्शाया गया है, अतः इसे विलोपित किया जाना उचित नहीं है। यह भी सही है कि, इस मार्ग के एलाईमेंट में अनेक निर्माण हो गये है, अतः इसका युक्तियुक्तकरण किया जाकर इसकी चौड़ाई को 30.0 मीटर निर्धारित करते हुये प्रस्तावित किया गया है।
मास्टर प्लान 2031 में कोलार रोड से बिलकिसगंज तक 60 मीटर चौड़ा मार्ग प्रस्तावित है। इसका मार्ग मौजूदा कान्हाकुंज कालोनी के ऊपर से गुजरता है। विकसित एवं अधिवासित कालोनी होने के कारण मार्ग निर्माण में बाधा उत्पन्न होने की सम्भावना होने के कारण इस मार्ग के खण्ड को आंशिक रूप से संशोधित कर निकटस्थ शासकीय भूमि पर प्रस्तावित किया गया है।
नहरों के लिये अधिग्रहित की गई भूमि पर नहर के दोनो ओर 15-15 मीटर चौड़े मार्ग प्रस्तावित किये गये है। भूमि की उपलब्धता के आधार पर यह मार्ग सुलभ रूप से निर्मित किये जा सकेगें, जिससे नवीन क्षेत्रों में यातायात प्रणाली विकसित करने में सहायता होगी।
भोपाल का मास्टर प्लान 2031 विस्तार से
भोपाल के मास्टर प्लान.2031 के मुख्य बिंदु
नैसर्गिक सुन्दरता एवं प्राकृतिक धरोहर लिये हुये झीलो की नगरी, भोपाल पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील नगर है। नगर में रामसर साइट के रूप में चिन्हित भोजताल (बडी झील), राष्ट्रीय उद्यान के साथ-साथ बाघ भम्रण क्षेत्र भी स्थित हैं। भोपाल विकास योजना ( प्रारूप ) 2031 का दिनांक 10/07/2020 को प्रकाशित किया गया। प्रारूप विकास योजना- 2031 पर प्राप्त प्राप्त आपत्तियों एवं सुझावों एवं नगर की पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए शासन ने भोपाल
मास्टर प्लान 2031 में कतिपय संशोधन करने का निर्णय लिया है। इन संशोधनों का मुख्य उद्देश्य निम्नानुसार है:-
बड़ी शील एवं इसके जलग्रहण क्षेत्र का संखाण एवं सर्वद्धन ।
अन्य झीलो एवं जल भराव क्षेत्रों का संरक्षण एवं संवद्धन ।
भोपाल विकास योजना - 2005 में झीलों से संबद्ध हरित क्षेत्रों का यथावत रखा जाना।
बाघ भ्रमण क्षेत्र में वन भूमि का संरक्षण मार्ग अलाईमेंट में व्यवहारिकता के आधार पर सुधार एवं गतिशीलता बढाने के लिए समन्वय मार्गो का प्रावधान।
मेट्रो रेल से संबद्ध ट्रांजिट ओरियन्टेड डेवलपमेंट (TOD) कॉरिडोर की चौड़ाई का युक्तियुक्तकरण किया जाना । बेस एफएआर का पुनर्निचारण किया जाना, जिससे टीडीआर एवं प्रीमीयम ऑन एफएआर को प्रोत्साहन प्राप्त हो सके। .
मास्टर प्लान 2031 2031 में प्रस्तावित संशोधन निम्नानुसार है:-
बडी झील तथा इसके जलग्रहण क्षेत्र का संखाण एवं संवर्धन के लिये प्रस्तावित संशोधन :-
मास्टर प्लान 2031 2031 में भूमि उपयोग मानचित्र में बढी शील की सीमा दर्शाये जाने में त्रुटि हुई थी एवं जी.आई.एस. मानचित्र अनुसार इसका क्षेत्रफल 3541.00 हेक्टेयर है बड़ी झील के क्षेत्र को फुल टैंक लेवल (FTL) अनुसार ठीक किया गया है एवं इसका क्षेत्रफल संशोधन उपरान्त 3872.43 हेक्टेयर है।
वेटलेण्ड अर्थोरिटी द्वारा भोज वेटलेण्ड के लिये नियम तैयार कर दिनॉक 16.03.2022 को प्रकाशित किये गये है भोपाल विकास योजना ( प्रारूप) 2001 में इन नियमों को सम्मिलित किया गया है। वेटलेण्ड रूल्स के अंतर्गत बडा तालाब एवं उसके आसपास के क्षेत्र में ऐसी कोई गतिविधि संचालित नहीं की जा सकेगी जिससे तालाब पर विपरित प्रभाव पड़ेगा।
मास्टर प्लान 2031 में बड़ी झील के दक्षिणी ओर एफ.टी.एल. से लगकर एक 45.0 मीटर का 15.7 किलोमीटर लम्बा मार्ग, ग्राम बरखेड़ी कला, गौरा, बरखेड़ा नाथु होकर इन्दौर मार्ग पर खजूरी सड़क तक प्रस्तावित किया गया है। इस मार्ग के निर्माण से बड़ी झील के जलभराव क्षेत्र एवं उससे संबद्ध क्षेत्र में जल जीवो, प्रवासी पक्षियों का प्राकृतिक वास प्रभावित होगा एवं इस मार्ग के दोनो ओर अन्य गतिविधियों प्रोत्साहित होंगी जो कि, बड़ी झील एवं उसकी ecology को नकारात्मक रूप से प्रभावित करेगी। इस प्रस्तावित मार्ग से होने वाले संभावित गंभीर हानिकारक प्रभाव को ध्यान में रखते हुये इसे हटाया गया है।
मास्टर प्लान 2031 के जलग्रहण क्षेत्र के ग्रामीण आबादी से 250 मीटर तक ग्राम विस्तार का प्रावधान था। जलग्रहण क्षेत्र में ग्रामों की विकास की आवश्यकता और बड़े तालाब की ecology को संतुलित करते हुये इसे घटाकर 100 मीटर तक ग्राम विस्तार का प्रावधान किया गया है। इससे लगभग 484.67 हेक्टेयर ग्राम विस्तार हेतु प्रस्तावित अतिरिक्त भूमि को कृषि उपयोग के अंतर्गत प्रस्तावित किया गया है।
बैरागढ़ से इन्दौर मार्ग के उत्तर की ओर बड़ी झील के जलग्रहण क्षेत्र में मास्टर प्लान 2031 में लगभग 1659 हेक्टेयर भूमि पर आवासीय एवं अन्य भूमि उपयोग के प्रावधान किये गये थे बड़ी झील एवं इसके जलग्रहण क्षेत्र के संरक्षण की दृष्टि से इन प्रस्तावों को हटा कर इसे कृषि उपयोग के अंतर्गत किया गया है।
लालघाटी के समीप बड़ी झील से लगकर हलालपुर क्षेत्र में भोपाल विकास योजना - 2005 में प्रस्तावित लेकफ्रंट उपयोग की 30:48 हेक्टेयर भूमि को भोपाल विकास योजना ( प्रारूप ) 2001 में आवासीय भूमि उपयोग के रूप में प्रस्तावित किया गया था जिससे बढ़ी झील पर विपरित प्रभाव पड़ना संभावित था को पुनः लेकफ्रंट के अंतर्गत दर्शाया गया है।
बाघ भ्रमण क्षेत्र :-
शहर के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में कलियासोत बांध तथा केरवा बांध के समीप ग्राम रातापानी से ग्राम मेण्डोरा एवं ग्राम चंदनपुरा तक वन क्षेत्र फैला हुआ है। इस क्षेत्र में बाघों की उपस्थिति होने के कारण यह संवेदनशील क्षेत्र है अतः इस क्षेत्र में निम्नलिखित संशोधन प्रस्तावित है :-
केरवा बांध से संलग्न क्षेत्र को भोपाल विकास योजना - 2005 में हरित क्षेत्र में दर्शाया गया था किन्तु भोपाल विकास योजना ( प्रारूप) 2031 में इसमें से लगभग 51.66 हेक्टेयर भूमि को निम्न घनत्व आवासीय के रूप में प्रस्तावित किया गया है। वन क्षेत्र एवं जल भराव क्षेत्र के निकट होने के कारण यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील है एवं इस क्षेत्र में निर्माण होने से केरवा बांध एवं इस क्षेत्र की ecology पर प्रतिकूल प्रभाव पडना संभावित है। अतः प्रस्तावित निम्न घनत्व आवासीय उपयोग को पुनः हरित क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है।
मास्टर प्लान 2031 में ग्राम चंदनपुरा / मेण्डोरा मेण्डोरी स्थित 357.78 हेक्टयर भूमि शासकीय भूमि को सार्वजनिक एवं अर्द्धसार्वजनिक भूमि उपयोग के अंतर्गत प्रस्तावित किया गया था जो कि वन खण्ड की भूमि होने के कारण इसे वन भूमि के रूप में दर्शाया गया है। कलियासोत बांध से लगकर तथा केरवा मार्ग के पूर्वी ओर के 85.74 हेक्टेयर क्षेत्र को भोपाल विकास योजना- 2005 में हरित क्षेत्र के रूप में प्रस्तावित किया गया था। उक्त क्षेत्र को भोपाल विकास योजना ( प्रारूप ) 2031 में सार्वजनिक एवं अर्द्धसार्वजनिक भूमि उपयोग अंतर्गत प्रस्तावित किया गया है। उक्त क्षेत्र बढी झील एवं कलियासोत बांध के मध्य स्थित होकर कलियासोत बांध का जलग्रहण क्षेत्र है एवं पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील होने के कारण इसे सार्वजनिक एवं अर्द्धसार्वजनिक के स्थान पर पुनः हरित क्षेत्र के रूप में रखा गया है।
केरवा के जल भराव क्षेत्र को सेटेलाईट इमेज अनुसार निर्धारण:-
मास्टर प्लान 2031 में केरवा बांध के एफटीएल के अंतर्गत क्षेत्र को भूमि उपयोग मानचित्र पर 340.16 हेक्टेयर क्षेत्रफल में दर्शाया गया था, जो कि वास्तविक जल भराव क्षेत्र से कम था। सेटेलाईट इमेज के आधार पर वास्तवित जल भराव क्षेत्र के अनुरूप संशोधन कर केरवा बांध का क्षेत्रफल 448.93 हेक्टेयर निर्धारित कर दर्शाया गया है।
मास्टर प्लान 2031 में हताईखेड़ा बांध के उत्तर-पश्चिमी भाग में 32.26 हेक्टेयर क्षेत्र को निम्न घनत्व आवासीय क्षेत्र में प्रस्तावित किया गया है, जबकि यह क्षेत्र भोपाल विकास योजना - 2005 में हरित क्षेत्र के रूप में आरक्षित किया गया था। जल भराव क्षेत्र के निकट होने के कारण पुनः हरित क्षेत्र के रूप में दर्शाया गया है।
मिश्रित उपयोग के लिए मार्ग की न्यूनतम चौड़ाई का पुर्नर्निधारण:-
मास्टर प्लान 2031 में 12.0 मीटर एवं इससे अधिक चौड़े सभी मार्गों पर मिश्रित उपयोग अनुज्ञेय किया गया था। इससे रिहायशी इलाकों के भीतर सघन वाणिज्यिक गतिविधियाँ संचालन की संभावना रहेगी, जिससे वहाँ के निवासियों को भीड़-भाड़, प्रदूषण एवं पार्किंग की समस्या होगी। अतः निश्चित उपयोग के लिये मार्ग की न्यूनतम चौड़ाई को 12.0 मीटर के स्थान पर 18.0 मीटर प्रस्तावित किया गया है।
मास्टर प्लान में अरेरा कॉलोनी (ई-1 से ई-8), चूनाभटटी, विजय नगर जैसे क्षेत्रों को विशेष आवासीय क्षेत्र के रूप में चिन्हित किया गया था। इन क्षेत्रों की पहचान को बनाये रखने के लिए एवं उपलब्ध नगरीय अधोसंरचना के आधार पर विशेष विकास मापदण्ड निर्धारित किये गये थे। भोपाल विकास योजना (प्रारूप ) 2031 में इस क्षेत्र में उच्चतर FAR क साथ मिश्रित गतिविधियों को भी प्रस्तावित किया गया था जो कि इन क्षेत्रों के लिए अनुकूल नहीं है। इसलिये इन क्षेत्रों के लिए मिश्रित उपयोग गतिविधियों और FAR के मापदण्डों को संशोधित किया गया है।
मेट्रो टी.ओ.डी. कॉरिडोर -
मास्टर प्लान 2031 मे मेट्रो रेल के दोनो ओर 500 मीटर के टी.ओ.डी. कॉरिडोर में निश्रित गतिविधियों के साथ, एफएआर 3. प्रस्तावित किया गया था। इस प्रावधान से 2.39819 हेक्टेयर क्षेत्रफल में बड़े स्तर पर सघन निर्माण के साथ वाणिज्यिक गतिविधियाँ संचालित होगी, जिससे वर्तमान शहरी अधोसंरचना जैसे सड़क, जलापूर्ति, जल निकासी आदि पर दबाव पड़ेगा। वास्तविक रूप से मेट्रो रेल का प्रभाव क्षेत्र इतना विस्तारित नहीं होता है एवं शहरी अधोसंरचनाओं पर संभावित दबाव कम करने के उद्देश्य से मेट्रो रेल के दोनो ओर टी.ओ.डी. कॉरिडोर को 100 मीटर चौड़ा प्रस्तावित किया गया है, जिसके अंतर्गत 514.25 हेक्टेयर क्षेत्रफल निर्धारित किया गया है।
मार्गों के संबंध में प्रस्तावित संशोधन -
मास्टर प्लान 2006 में अवधपुरी से हताईखेड़ा तक 60 मीटर चौड़ा मार्ग प्रस्तावित किया गया था, जिसका 52 किलोमीटर लम्बा भाग भोपाल विकास योजना ( प्रारूप ) 2001 में विलोपित किया गया था।
इस मार्ग से लगकर अनेक अनुमतियों जारी की गई है एवं इससे कई कालोनियों का प्रवेश दर्शाया गया है, अतः इसे विलोपित किया जाना उचित नहीं है। यह भी सही है कि इस मार्ग के एलाईमेंट में अनेक निर्माण हो गये है, अतः इसका युक्तियुक्तकरण किया जाकर इसकी चौड़ाई को 300 मीटर निर्धारित करते हुये प्रस्तावित किया गया है।
उक्त मार्ग के उत्तरी ओर इसे हताईखेड़ा बांध के जल भराव क्षेत्र के ऊपर से प्रस्तावित किया गया था, जिससे हाईखेड़ा बांध पर प्रतिकूल असर पड़ने की सम्भावना होने के कारण इस क्षेत्र में उक्त मार्ग के एलाईमेंट में परिवर्तन प्रस्तावित किया गया है। इस मार्ग रेखाकंन के साथ इस क्षेत्र के यातायात को सुचारू करने हेतु अतिरिक्त समन्वय मार्गों को भी प्रस्तावित किया गया है।
मास्टर प्लान 2001 में कोलार रोड से बिलकिसगंज तक 60 मीटर चौड़ा मार्ग प्रस्तावित है इस मार्ग का alignment मौजूदा कान्हाकुंज कालोनी के ऊपर से गुजरता है विकसित एवं अधिवासित कालोनी होने के कारण मार्ग निर्माण में बाधा उत्पन्न होने की सम्भावना होने के कारण इस मार्ग के खण्ड को आंशिक रूप से संशोधित कर निकटस्थ शासकीय भूमि पर प्रस्तावित किया गया है।
मास्टर प्लान 2001 में ग्रामीण मार्गों की चौड़ाई प्रस्तावित नहीं किया गया था। चूंकि ग्रामीण मार्ग यातायात के लिये उपलब्ध होते है एवं इनके विस्तारीकरण किये जाने से यातायात के दबाव को कम किया जाना अधिक सहज है अतः ग्रामीण मार्गों की चौड़ाई को 18.0 मीटर किया जाना प्रस्तावित किया गया है।
नहरों के लिये अधिग्रहित की गई भूमि पर नहर के दोनो ओर 15-15 मीटर चौड़े मार्ग प्रस्तावित किये गये है। भूमि की उपलब्धता के आधार पर यह मार्ग सुलभ रूप से निर्मित किये जा सकेगें, जिससे नवीन क्षेत्रों में यातायात प्रणाली विकसित करने में सहायता होगी।
मास्टर प्लान में प्रस्तावित एफएआर तालिका में बेस एफएआर, टीडीआर / प्रीमीयम एफएआर तथा अधिकतम एफएआर को पुनर्विचार कर प्रस्तावित किया गया है।
प्रस्तावित नवीन आवासीय क्षेत्र में बेस एफएआर को कम रखा गया है। शेष क्षेत्रों में बेस एफएआर पूर्ववत है प्रीमीयम एफएआर और टीडीआर के माध्यम से अतिरिक्त एफ.ए.आर. का प्रावधान किया गया है। प्रीमीयम एफएआर के माध्यम से प्राप्त राजस्व का उपयोग शहरी अधोसंरचना के विकास के लिये किया जायेगा और टीडीआर के प्रावधानों का उपयोग सार्वजनिक उद्देश्यों के लिये भूमि को अर्जित करने के लिये किया जायेगा। भोपाल विकास योजना - 2006 के अनुसार निम्न घनत्व आवासीय क्षेत्रों में एफएआर 1:0.06 के प्रावधान रखे गये थे, जिसको प्रारूप विकास योजना - 2031 में बढ़ाकर 1:0.76 प्रस्तावित किया गया था चूकि यह क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्रों में अथवा इसके निकट स्थित है। अतः निम्न घनत्व वाले आवासीय क्षेत्रों का एफ.ए.आर. 10.06 किये जाने का प्रावधान किया गया है इससे प्रेमपुरा, सेवनिया गौड़, बरखेड़ी खुर्द, खुदागंज, मेण्डोरी, मेण्डोरा इत्यादी क्षेत्रों में निम्न घनत्व का निर्माण सुनिश्चित किया जा सकेगा।
ग्राम सतगढ़ी में राजस्व भूमि को वन / कृषि भूमि के अंतर्गत प्रस्तावित किया गया था राज्य शासन द्वारा इस भूमि पर स्पोर्ट सिटी प्रस्तावित किये जाने से सार्वजनिक एवं अर्द्धसार्वजनिक प्रस्तावित किया जा रहा है।
ग्राम हजामपुरा में प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र के समीप स्थित अतिरिक्त राजस्व भूमि को औद्योगिक क्षेत्र हेतु प्रस्तावित किया जा रहा है।
प्रस्तावित मास्टर प्लान 2031 में नियोजन मापदण्डों को भी सरलीकृत किया गया है भविष्य में भवन के आकार तथा ऊंचाई, लम्बाई-चौड़ाई को मार्ग की चौड़ाई के आधार पर निर्माण किये जाने के प्रावधान किये जा रहे है। भवन का उपयोग किस प्रयोजन के लिये हो सकेगा, इसके प्रावधान भी स्पष्ट रूप से मार्ग चौड़ाई के आधार पर रहेंगे। भवन के अंदर संचालित की जाने वाली गतिविधि को परिवर्तित भी किया जा सकेगा।.
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