बांदा से आशीष सागर।
उत्तरप्रदेश के बाँदा,चित्रकूट,महोबा,झाँसी,हमीरपुर,ललितपुर,जालौन इनमें महज सात फ़ीसदी वन बचे है शेष वन भूमि में या तो अवैध कब्जे है या परती है। हर साल वनविभाग सरकारी पौधरोपण माह जुलाई से सितम्बर के बीच करता है जिसमें लाखों रुपया खपाया जाता है। उन्हीं पुराने गड्ढों को दुरस्त करके फिर नया पौधरोपण होता है। पिछले एक दशक में बुन्देलखण्ड में 200 करोड़ से ऊपर का पौधरोपण हुआ है। इस बीते वर्ष 2016-17 में यूपी में 5 करोड़ पौधे अखिलेश यादव की अगुआई में लगे। जिसमें प्रत्येक जिले में 5 लाख का लक्ष्य दिया गया उधर वनविभाग ने अपनी पीठ थपथपाने के लिए निर्धारित लक्ष्य से अधिक का कागजी पौधरोपण दिखलाया।
इस साझी पौधों की होली में पूर्व सीएम अखिलेश ने अपने पिछले विश्व रिकार्ड एक दिन में एक करोड़ पौधरोपण को तोड़ते हुए अबकी एक दिन में 5 करोड़ पौध लगवाकर गिनीज बुक आफ वर्ल्ड रिकार्ड को और मेंटेन किया। इस विश्व रिकार्डधारी पौधरोपण का जमीन में जो हाल है उसकी सत्यता के लिए नवनिर्वाचित सीएम महंत योगी आदित्यनाथ जी को सत्यापन करवाकर हरियाली का रुपया डकारने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाना चाहिए। इस खेल में शामिल हैं प्रमुख सचिव वन,जोन वन संरक्षक,सभी जनपद के डीएफओ,वन रेंजर...खाली 19 करोड़ का घोटाला हमीरपुर में हुआ है ब्रिक गार्ड के नाम पर।
हाल ही में चित्रकूट मंडल के चार जिलों से सूचनाधिकार में जो आकड़े जुटाए है उन्हें यहाँ नहीं दे रहा हूँ ,एक पत्र की अपील भी आयोग में की जा चुकी है बावजूद वन संरक्षक बाँदा मंडल मौन है। हो भी क्यों न उनके अधीनस्थ प्रभागीय वन अधिकारी अपने उप प्रभागीय वन अधिकारी के इशारे पर कंजरवेटर के आदेश को कूड़ा मानते हैं। मसलन बाँदा के उप प्रभागीय वन अधिकारी टीएन सिंह, ये साहेब बाँदा से जाते ही नहीं है,हरियाली से लेकर तार बेचने,वन कटान,सरकारी हेर-फेर में अन्य रेंजर के मुखिया जो है। कई साल से इनका बाँदा प्रेम स्थानीय लोगों को मालूम है।
ऐसे ही एक अन्य नफीस खां वन रेंजर है,यहाँ एक रेंजर दो से अधिक रेंज का पदभार लिए है तैनात बाँदा में है काम मानिकपुर रेंज में करता है। लाखों रुपये का कटीला तार बाँदा,महोबा,हमीरपुर में बेचा गया है पौध सुरक्षा के नाम पे लेकिन धन की भूख शांत नहीं होती। चार जिलों के हासिल दस्तावेज इनकी काली परत खोलने को बहुत हैं। अभी भी एक आरटीआई वन संरक्षक बाँदा के पास लंबित है जिसकी भी अपील आयोग में करनी पड़ेगी ये सच है।
उल्लेखनीय है कि गत 5 वर्षो में यहाँ अर्थ और संख्या विभाग के ही आंकड़े नजर दे तो बाँदा में 2533.85 लाख रूपये से 37.84 लाख पौधे,महोबा में 2533.85 लाख रूपये से 43.77 लाख पौधे,हमीरपुर में 2533.85 लाख रूपये से 16.73 लाख पौधे,जालौन में 4396.963 लाख रूपये से 98.65 लाख पौधे,झाँसी में 5496.963 लाख रूपये से 98.65 लाख पौधे,झाँसी में 5496.963 लाख रूपये से 45.00 लाख पौधे,चित्रकूट में 2533.85 लाख रूपये से 43.77 लाख पौधे रोपित बताये गए हैं। इन आंकड़ों में देखें तो चार जिलों की जारी धनराशी एक फिगर में है जबकि रोपित पौधे अलग-अलग संख्या में हैं।
अब आप समझ सकते हैं ये जंगल विभाग कैसे कागजी घोड़े दौड़ाकर सुखाड़ से जूझते बुन्देलखण्ड को हरा-भरा करता होगा। पर्यावरण दिवस हो,गौरैया दिवस हो ऐसे अन्य इवेंट को विभाग दफ्तर में बैठ के निपटा लेता है या खाना-पूर्ति को स्कूल के बच्चो के साथ खर्चा दिखाकर। बुन्देलखण्ड में आम नागरिक की अजागरुकता ने भी यहाँ के जंगलों को वीरान करने में बड़ी भूमिका अदा की है। चित्रकूट से लेकर ललितपुर तक कहीं भी 33 फीसदी वनक्षेत्र नहीं बचा है। सबसे कम बाँदा 1.21 %,चित्रकूट 18.14 %,महोबा 4.58 % है जबकि 33 % वन जिले में कुल भूमि का होना चाहिए। बढ़ती आबादी ने रिहायसी जमीन से पेड़ ख़तम किये और सरकार के इस वनविभाग ने उसमें नासूर बनकर सूखे,जंगल कटान का काम किया है।
इसपे आज तक सरकारी मिशनरी शिकंजा नहीं कस सकी कारण है हर साल पौधरोपण को जन नुकसान,आवारा पशु चरने,पानी की कमी से आबाद न होने का मजबूत बहाना इनके पास है। तब इस विभाग की क्या आवश्यकता है जिसके ऊपर सालाना करोड़ों रुपया पगार का खर्च किया जाता है? सीएम योगी ने जीरो टालरेन्स भ्रस्टाचार की बात कही है इस नाते उनसे मेरी सोशल मीडिया में अपील है कि वनविभाग से ही शुरूवात करे आपको जीवन देने वाले पौधों में किये गए बड़े सुराख का भान होगा। गौरतलब है आज भी पिछले 5 साल समाजवादी सरकार और तीन साल मोदी की केंद्र सरकार मे बुन्देलखण्ड पैकेज,मनरेगा से किये गए हरियाली प्रकरण की सीबीआई जाँच पूरी न हो सकी है और न कभी हो पायेगी ! आखिर गाज गिरी तो सबके गले सूख जायेंगे...
आज उजाला में प्रकाशित ये खबर तो नजीर बस है...लेकिन मात्र खबर से क्या होना है यूपी सीएम योगी जी ?
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