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सीबीआई करेगी जेएनयू के लापता छात्र नजीब के गुमशुदगी की जांच

खास खबर            May 16, 2017


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी के मामले की जांच मंगलवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को सौंप दी। नजीब अहमद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कुछ सदस्यों से कथित झगड़े के बाद अक्टूबर 2016 से ही गुमशुदा हैं।

न्यायमूर्ति जी.एस.सिस्तानी और न्यायमूर्ति रेखा पिल्लई की खंडपीठ ने दिल्ली पुलिस की अनापत्ति के बाद मामले को तत्काल प्रभाव से सीबीआई को सौंप दिया और मामले की अगली सुनवाई के लिए 17 जुलाई की तिथि निर्धारित की। अदालत ने मामले की आगे की जांच सीबीआई से कराने का निर्देश देते हुए यह भी स्पष्ट किया कि जांच की अगुवाई करने वाला अधिकारी डीआईजी रैंक से कम का नहीं होना चाहिए। इससे पहले दिल्ली पुलिस ने कहा कि यदि अदालत इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपती है तो उसे कोई आपत्ति नहीं होगी।

दिल्ली पुलिस की ओर से अधिवक्ता राहुल मेहरा ने कहा कि उसने मामले की उचित तरीके से जांच की। नजीब को देशभर में तलाशा गया, लेकिन उसका पता नहीं चल पाया। दिल्ली पुलिस का पक्ष सुनने के बाद पीठ ने कहा, "मामले की जांच किसी अन्य एजेंसी से कराए जाने पर दिल्ली पुलिस को कोई आपत्ति नहीं है.. हम इस मामले को आगे की जांच के लिए तत्काल प्रभाव से सीबीआई को सौंपते हैं।" उच्च न्यायालय का यह निर्देश नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के दौरान आया, जिन्होंने अपनी याचिका में मांग की है कि दिल्ली पुलिस तथा दिल्ली सरकार उनके बेटे को अदालत के समक्ष पेश करे।

जेएनयू में एमएससी प्रथम वर्ष के छात्र नजीब (27) एबीवीपी के कुछ सदस्यों के साथ कथित तौर पर झगड़े के बाद 14-15 अक्टूबर, 2016 की रात से ही जेएनयू छात्रावास से लापता हैं। एबीवीपी ने हालांकि इस मामले में अपनी किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है। नजीब की मां की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेज ने इस मामले में अन्य राज्यों के अधिकारियों को मिलाकर एक विशेष जांच टीम (एसआईटी) गठित करने की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि दिल्ली पुलिस की जांच 'राजनीति से प्रेरित' है।

अधिवक्ता ने कहा कि नजीब के लापता होने से पहले उसे प्रताड़ित करने वाले नौ संदिग्ध छात्रों के साथ पुलिस ने 'वीआईपी व्यवहार' किया और आज तक उन्हें हिरासत में लेकर उनसे पूछताछ नहीं की गई। इससे पहले न्यायालय ने पुलिस को इस मामले में नौ संदिग्ध छात्रों से पूछताछ नहीं करने और उन्हें हिरासत में नहीं लेने को लेकर फटकार लगाई थी। इन नौ संदिग्ध छात्रों ने इस मामले में लाई-डिटेक्टर टेस्ट के लिए न तो अपनी सहमति दी है और न ही असहमति जताई है। न्यायालय ने कहा कि वह उन्हें पॉलीग्राफी टेस्ट के लिए बाध्य नहीं कर सकती, पर उन्हें खुद आगे आना चाहिए और इसके लिए सहमति देनी चाहिए।



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