मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के भिंड जिले में कंप्यूटर घोटाले को हुये 16 साल हो गये और 7 साल से ईओडब्लयू इसकी जांच कर रहा है। लेकिन दोषियों पर कोई कार्रवाई अभी तक नहीं हुई है। दिलचस्प बात ये है कि प्रश्न उठाने वाले भाजपा विधायक के अनुसार इससे जुड़े अधिकारियों की उम्र 75 की होने को आई है और अन्य नेताओं की भी। ऐसे में उन्होंने चिंता जताई कि अगर इस मामले से जुड़े लोगों की मौत हो गई तब जांच का क्या होगा? विधायक ने कहा कि हर बार गलत जानकारी देकर मामले को टाल दिया जाता है।
ये मामला विधासभा में आज भाजपा विधायक नरेन्द्र सिंह कुशवाह ने उठाया। उन्होंने प्रश्नोत्तर काल में सवाल पूछते हुये कहा कि घोटाले को हुए 16 साल का समय बीत गया है, आखिरकार सरकार इसकी जांच कब पूरी करायेगी और दोषियों पर कब कार्रवाई करेगी? इसके जवाब में मंत्री लाल सिंह ने कहा कि ईओडब्ल्यू की रिपोर्ट आने के बाद दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने यह भी कहा कि इस मामले में दोषियों को बचाया जा रहा है। मंत्री लाल सिंह आर्य ने कहा कि यह मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी गया था। उसके बाद 2011 में इस मामले की जांच ईओडब्ल्यू को सौंपी गई थी। वह इसकी जांच कर रहा है।
इस पर विधायक ने कहा कि इस मामले से जुड़े कई अधिकारी अब 75 की उम्र के हो रहे हैं आखिर सरकार इसकी जांच कब तक पूरी कराएगी। इस पर मंत्री ने कहा कि जांच जल्दी पूरी हो इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं। इस पर मंत्री ने कहा कि ईओडब्ल्यू और लोकायुक्त पर सरकार दबाव नहीं डाल सकती।
हाईकोर्ट भी इस मामले में दिशा-निर्देश दे चुका है। इसका जवाब देते हुए सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री लालसिंह आर्य ने कहा कि 2011 में ईओडब्ल्यू को मामला सौंपा गया। जांच प्रकरण दर्ज हो गया है। भिंड कलेक्टर से तथ्य मांगे गए हैं। चार बिंदुओं पर जनवरी 2016 में फिर जानकारी मांगी। आंशिक तथ्य मुहैया कराए गए हैं।
जांच के लिए और जानकारी चाहिए, इसके लिए कलेक्टर को लिखा गया है। जैसे ही सभी तथ्य आ जाएंगे, जांच पूरी कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इस पर कुशवाह ने कहा कि इसकी कोई समयसीमा तो होगी। बार-बार प्रश्न उठाने पड़ते हैं। आखिर दोषियों के खिलाफ एफआईआर कब होगी। इस पर आर्य ने कहा कि ईओडब्ल्यू स्वतंत्र जांच एजेंसी है। सरकार इस पर दबाव नहीं डाल सकती है।
सदन के बाहर कुशवाह ने कहा कि पूर्व सांसद ने घपला किया है। कलेक्टर इसमें शामिल है। कलेक्टर का पत्र और जांच रिपोर्ट हमारे पास हैं। इसमें प्रमाणित हुआ कि अनियमितता हुई है। मंत्री झूठ बोल रहे हैं, क्योंकि चार माह पहले प्रश्न किया था, तब कहा था कि एक माह में जांच करा लेंगे। आज फिर वो ही जवाब आया। कोई न कोई दोषियों को बचा रहा है। एक-एक लाख के कम्प्यूटर खरीदे गए। विध्ाायक-सांसद को राशि भ्रष्टाचार के लिए नहीं मिलती है।
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