मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्यप्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर और कटनी में शाम 7.30 बजे से 7.45 तक ब्लैक आउट रहा। इस दौरान लोगों ने घरों-दुकानों और दफ्तरों की लाइट बंद रखी। सड़कों पर दौड़ रही गाड़ियों की रफ्तार भी हेडलाइट बंद होती ही थम गई। ये ब्लैक आउट मॉक ड्रिल के तहत किया गया। ब्लैक आउट के दौरान कहीं-कहीं तो पूरी तरह अंधेरा रहा, जबकि कहीं-कहीं लोगों ने लाइट बंद नहीं की।
भोपाल
एमपी नगर स्थित डीबी मॉल में फायर सेफ्टी को लेकर मॉक ड्रिल की गई। यहां धुआं उड़ाया गया और आग बुझाने की प्रैक्टिस की। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां तेजी से आईं। मेडिकल टीम भी तत्काल पहुंची और लोगों को रेस्क्यू कर नूतन कॉलेज स्थित अस्थायी अस्पताल पहुंचाया। न्यू मार्केट, भेल परिसर और कोकता में भी मॉक ड्रिल की गई। रोशनपुरा चौराहे पर स्थित पंचानन बिल्डिंग में मॉक ड्रिल भी किया गया। इस दौरान ड्रोन से लिया गया वीडियो।
भोपाल एम्स में भी ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया। जिसका उद्देश्य आपातकालीन परिस्थितियों में आमजन की तत्परता और जागरूकता को बढ़ाना रहा। रेजिडेंट डॉक्टर्स संगठन ने नागरिकों और मरीजों के परिजन के लिए सीपीआर प्रशिक्षण सत्र का आयोजन भी किया। अगर सही समय पर सीपीआर दिया जाए तो 10 में से 7 लोगों की जान बचाई जा सकती है।
हमीदिया मेडिकल कॉलेज में रहा ब्लैकआउट
प्रदेश के सबसे बड़े भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज के हमीदिया अस्पताल में शाम 7:30 बजे से लेकर 7:42 तक पूरी तरह से ब्लैक आउट रहा। अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुनीत टंडन ने बताया कि अस्पताल में इस दौरान कोई भी एसेंशियल इक्विपमेंट बंद नहीं किए गए थे। ब्लैक आउट के दौरान सभी स्टाफ, मरीज और परिजन ने पूर्ण सहयोग करते लाइट बंद रखी। इसके अलावा अस्पताल की छत पर रेड कलर से प्लस का साइन बनाया गया है। उन्होंने कहा की जंग के दौरान का यह नियम है कि अस्पतालों या फिर रेड क्रॉस वाली बिल्डिंगों को निशाना नहीं बनाया जाता है। डॉ कैलाश नाथ काटजू अस्पताल की छत पर भी रेड कलर का प्लस साइन बनाया गया।
ग्वालियर
सिविल डिफेंस की मॉक ड्रिल के दौरान प्रतीकात्मक हवाई हमले में बिल्डिंग ध्वस्त हुई। रेलवे स्टेशन पर मलबे में फंसने का सीन क्रिएट किया गया। मलबे में कई लोग दबे। जिसके बाद घायलों को सुरक्षित मलबे से बाहर निकला गया। उन्हें एम्बुलेंस की मदद से अस्पताल भेजा गया। गोला का मंदिर आईटीआई तिराहे पर मॉक ड्रिल की गई। रेलवे स्टेशन के बाहर हमले में ध्वस्त इमारत के मलबे में फंसने का सीन क्रिएट किया गया।
ग्वालियर के सिटी सेंटर में पहले लाइट जल रही थी फिर अचानक बंद हो गई। ठीक शाम के 7.30 बजे सायरन बजने के साथ ही ब्लैक आउट करना था। पुलिस प्रशासन पूरी मेहनत कर रहा था। घर, दुकान की लाइट्स तो बंद हो गईं, लेकिन शहर के ट्रैफिक ने अवेयरनेस की कमी दिखाई। 80 फीसदी लाइट्स बंद रहीं, लेकिन 20 फीसदी वाहनों व घरों की लाइट चलती रही। यहां लोगों में अवेयरनेस की कमी दिखी। जबकि मुरार के बारादरी चौराहा पर नगर निगम के होर्डिंग्स भी ब्लैकआउट के दौरान लाइट से रोशन नजर आए। खुद कलेक्टर रुचिका चौहान और एसएसपी धर्मवीर सिंह बारादरी चौराहा पर होर्डिंग्स की लाइट बंद कराने की कहते रहे, लेकिन कोई असर नहीं पड़ा।
डबरा में भी मॉक ड्रिल के बाद ब्लैक आउट
केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देश के तहत डबरा में भी मॉक ड्रिल के बाद शाम 7:30 बजे प्रशासन ने 12 मिनट के लिए ब्लैक आउट किया गया। इस दौरान शहर की लाइट पूरी तरह से बंद थी। आम लोगों ने भी पूरा सहयोग किया। ब्लैक आउट के दौरान ट्रैफिक को बीच चौराहे पर रोक दिया गया। इस दौरान सायरन की आवाज के साथ ही लोगों ने बत्तियां बुझा दीं।
इंदौर
रेसिडेंसी कोठी में मॉक ड्रिल की गई। यहां पर एक बिल्डिंग में हमले की आशंका का सीन क्रिएट किया गया। लोगों को बाहर निकालकर रेसीडेंसी कोठी के बंकर में सुरक्षित पहुंचाया गया है। एक डेंटल कॉलेज में आगजनी के दौरान लोगों को रेस्क्यू करने और सुरक्षित जगहों व अस्पताल ले जाने का अभ्यास किया गया। महू में भी मॉक ड्रिल की गई।
जबलपुर
समदड़िया मॉल में प्रतीकात्मक तौर पर दो बम गिरे। मॉल की ऊपरी मंजिल पर आग लग गई। मॉल के प्रथम तल पर स्मोक बम भी आ गिरा और चारों तरफ धुआं ही धुआं हो गया। चीख-पुकार के साथ भगदड़ मच गई। खबर मिलते ही सायरन बज उठे। पुलिस, एम्बुलेंस, फायर फाइटर के वाहन घटनास्थल पर पहुंचे और लोगों को रेस्क्यू किया।
कटनी
साधु राम स्कूल में सायरन बजते ही जवान अलर्ट हो गए। स्कूल की छत पर प्रतीकात्मक बम फेंका गया। इसके बाद जवान छत पर चढ़े। फायर ब्रिगेड की गाड़ियां पहुंच गईं। आग बुझाने और यहां फंसे लोगों को बाहर निकालने की प्रैक्टिस की गई। इस दौरान सुरक्षा व्यवस्था को परखने के साथ लोगों को जागरूक किया जा रहा है।
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