मल्हार मीडिया भोपाल।
राजस्व अधिकारियों को न्यायिक और गैर-न्यायिक वर्गों में बांटने के शासन के निर्देश के खिलाफ मध्यप्रदेश में तहसीलदारों का विरोध लगातार तेज हो रहा है। इसी कड़ी में आज इंदौर सहित पूरे प्रदेश के तहसीलदारों ने कामकाज पूरी तरह से बंद कर दिया।
सभी अधिकारी कलेक्टर कार्यालय पहुंचे, लेकिन किसी ने कोई शासकीय कार्य नहीं किया।
अधिकारियों ने अपने सरकारी वाहन सरेंडर कर दिए और डिजिटल सिग्नेचर वाले डोंगल भी सीलबंद कर जिला अध्यक्ष को सौंप दिए। इसके अलावा, सभी तहसीलदारों ने संबंधित जिलों के आधिकारिक वॉट्सऐप ग्रुप से भी खुद को अलग कर लिया है।
हालांकि, शाम 6 बजे सभी अधिकारी स्थापना शाखा में उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं जिससे यह आंदोलन न तो हड़ताल के अंतर्गत आए और न ही इसे सामूहिक अवकाश कहा जा सके।
पायलट प्रोजेक्ट बन गया स्थायी आदेश?
भोपाल में हाल ही में मंत्रियों के साथ हुई बैठक में अधिकारियों ने इस विभाजन से उत्पन्न होने वाली व्यावहारिक दिक्कतों को सामने रखा था। तब उन्हें मौखिक आश्वासन मिला था कि योजना को फिलहाल केवल 12 जिलों में तीन माह के लिए पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया जाएगा।
साथ ही यह भी वादा किया गया था कि न्यायिक और कार्यपालिक मजिस्ट्रेट को आवश्यक संसाधन वाहन, बैठक व्यवस्था आदि मुहैया कराए जाएंगे लेकिन अधिकारियों का आरोप है कि बिना पूर्व सूचना के धार, भिंड, खरगोन, बालाघाट, मंदसौर, देवास, कटनी, मंडला और रीवा जैसे जिलों में योजना को जबरन लागू कर दिया गया।
मांगें स्पष्ट: शक्तियां किसी अन्य विभाग को दी जाएं
तहसीलदार संघ का कहना है कि इस योजना के लागू होने से 45% अधिकारियों को उनके मूल राजस्व कार्यों से अलग किया जा रहा है, जो न केवल अव्यवहारिक है बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था को भी प्रभावित करेगा। संघ की मांग है कि कार्यपालिक दंडाधिकारी की शक्तियां यदि आवश्यक हों, तो पुलिस, सामान्य प्रशासन या किसी अन्य उपयुक्त विभाग को दी जाएं।
संघ ने स्पष्ट किया है कि वे किसी अवकाश या हड़ताल पर नहीं हैं। अधिकारी मुख्यालय पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहेंगे लेकिन आपदा प्रबंधन को छोड़ अन्य कोई भी कार्य नहीं करेंगे, जब तक कि शासन इस विभाजन योजना को वापस नहीं लेता।
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