हर्षवर्द्धन प्रकाश।
मामला-एक
उत्तरप्रदेश के बुलंदशहर की डीएम बी. चंद्रकला द्वारा एक अख़बार के रिपोर्टर को फ़ोन पर आपराधिक बदतमीज़ी करते हुए धमकाया गया। रिपोर्टर का कसूर बस इतना था कि उसने डीएम से एक ख़बर की तसदीक के लिए विनम्र लहजे में औपचारिक बयान भर चाहा था। इस बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल है। शायद आपने भी सुना होगा। उस रिपोर्टर की जगह ख़ुद को रखकर देखिए, आपका ख़ून खौल जाएगा।
मामला-दो
मध्यप्रदेश के धार में पत्रकारों पर पुलिस के आला अफसरों ने मामला दर्ज कर लिया. इनका कसूर बस इतना था कि वे भोजशाला मसले में एक असंतुष्ट धड़े द्वारा संघ कार्यालय और एक हिंदूवादी संगठन के पदाधिकारीे के घर पथराव का कवरेज करने पहुँच गए थे।
दो पड़ोसी प्रदेशों के अलग-अलग मामले, लेकिन इनका निचोड़ एक ही है। कुर्सी की ताकत से कुछ नौकरशाह इस कदर मगरूर हो चुके हैं कि वे पत्रकारों को उनका काम करने से रोकना चाहते हैं।
आख़िर इन नौकरशाहों को इस जुर्रत की हिम्मत कहाँ से मिलती है ? सत्ता से नज़दीकी से या सिविल सोसायटी की चुप्पी से ?
हर्षवर्द्धन प्रकाश के फेसबुक वॉल से
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