डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।
जो पाकिस्तानी मीडिया भारत की हर बात पर प्रशंसा करता रहता था, उसका रूख बदला हुआ है। जो पाकिस्तानी मीडिया कहता था कि भारत एक महाशक्ति है और पाकिस्तान उसके आगे बिल्ली का बच्चा। जो पाकिस्तानी मीडिया कहता था कि भारत की हिन्दी, बॉलीवुड, भारत का क्रिकेट, भारत की विदेश और रक्षा नीति, भारतीय प्रधानमंत्री की दुनियाभर में लोकप्रियता और एनआरआई लोगों का दुनियाभर में दबदबा बना हुआ है, वह पाकिस्तानी मीडिया अब सुर बदल रहा है। एक पाकिस्तानी अखबार में व्यंग्य छपा है-
पाकिस्तान ने सात दशक पुरानी कश्मीर की मांग वापस ले ली है और अब मांग की है कि भारत कश्मीर के बजाय जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय उसके हवाले कर दे।
जो पाकिस्तानी मीडिया भारतीय मीडिया से ज्यादा नरेन्द्र मोदी की तारीफ किया करता था। अब जेएनयू मामले के बाद चटखारे ले-लेकर भारत और नरेन्द्र मोदी को कोस रहा है। पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर जेएनयू के वीडियो फुटेज तोड़-मरोड़ कर दिखाए जा रहे है। पाक टीवी पर बताया जा रहा है कि जेएनयू में हुआ कार्यक्रम हिन्दू राइट विंग और बीजेपी की कलई खोलने वाला था। टीवी वाले चिल्ला रहे है कि भारत में विरोध की आवाज कैसे दबाई जा रही है?
पाकिस्तान की जानी-मानी नेता सैयद आबिदा हुसैन ने तो यहां तक कह डाला कि जब तक नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री है, पाकिस्तान को कश्मीर पर यथास्थिति बनाए रखना चाहिए, क्योंकि मोदी मुस्लिम विरोधी है और पाकिस्तान के जानी-दुश्मन। नरेन्द्र मोदी को पाकिस्तान से संबंध सुधारने में कोई रूचि नहीं है। मोदी केवल इतिहास में नाम दर्ज कराने की जिद पर दोस्ती का नाटक कर रहे है।
पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर बताया जा रहा है कि जेएनयू में हुई क्रांति ने मोदी सरकार की नाक में दम कर रखा है। मोदी सरकार की छात्रों के खिलाफ हुई कार्रवाई का भारत की तमाम पार्टियां विरोध कर रही है। पाकिस्तानी एंकर कह रहा है कि अगर भारत में महात्मा गांधी के कातिल की बरसी मनाई गई थी, तो अफजल गुरू की बरसी क्यों नहीं मनाई जा सकती?
पाकिस्तान के अखबार द न्यूज इंटरनेशनल ने जेएनयू मामले में संपादकीय लिख डाला और आरोप लगाया कि मोदी के भारत का असली चेहरा जेएनयू विरोध के वक्त सामने आ गया। गृहमंत्री राजनाथ सिंह के इस बयान का, कि जेएनयू मामले में हाफिज सईद भी एक पक्ष हो सकते है, पाकिस्तानी अखबार ने लिखा कि भारतीय गृहमंत्री अपुष्ट खबरों को लेकर हंगामा खड़ा कर रहे हैं। इसके पहले भी भारत सरकार गौमांस खाने के मामले में विवादों में आ चुकी है।
एक पाकिस्तानी अखबार में यह व्यंग्य छपा है-
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के विदेशी मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने एक बयान दे डाला कि पाकिस्तान को सात दशक पुरानी कश्मीर की मांग वापस ले लेनी चाहिए और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय पर अधिकार की मांग रख लेनी चाहिए। हमें खुशी होगी अगर भारत जेएनयू पाकिस्तान को सौंप देगा। इससे भारत और पाकिस्तान के बीच के कई तनाव दूर हो जाएंगे। अगर जेएनयू में ये नारे लगते है कि शहीद अफजल गुरू अमर रहे, कश्मीर मांगे आजादी और भारत की बर्बादी तक जंग रहेगी, तो यह नारे हमारे लिए शुभ संकेत है। अगर जेएनयू के लोग प्रो-अफजल, प्रो-याकूब और प्रो-इशरत है, तो यह वहीं स्थिति है, जो हम चाहते है। जो लोग इस तरह के आंदोलन कर रहे है, हमें उन्हें पाकिस्तान की नागरिकता दे देनी चाहिए और मिल-जुलकर भारत को तबाह कर देना चाहिए। माशा अल्लाह!
पाकिस्तानी टीवी चैनलों पर पाक अधिग्रहित कश्मीर और अन्य जगहों के फुटेज जेएनयू के नाम पर दिखाए जा रहे है, जिनमें अफजल गुरू को शहीद का दर्जा दिया गया है। इसी के साथ भारतीय न्याय व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए गए और कहा गया कि अफजल गुरू को फांसी गलत आधार पर दी गई और इसका भारत के एक बहुत बड़े वर्ग में तीखा विरोध है। अरविन्द केजरीवाल और राहुल गांधी के बयानों को भी पाकिस्तानी टीवी चैनलों ने अपने हिसाब से काट-छाटकर दिखाया। पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार जेएनयू प्रकरण में एबीवीपी ही सबसे बड़ी दोषी है।
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