Breaking News

दिल्ली की एक आत्महत्या बिहार के तूफान पर भारी

मीडिया            Apr 27, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क राजधानी दिल्ली में एक किसान की ख़ुदकुशी सुर्खियां बन गईं, लेकिन बिहार के सीमांचल और कोसी इलाके में 50 से अधिक लोगों की मौत भी मीडिया का ध्यान नहीं खींच सकी. हालांकि ऑल इंडिया रेडियो के मुताबिक़, 65 मृतकों के अलावा 2000 लोगों के घायल होने की ख़बर है. पटना के अलग-अलग तबक़े के लोगों की बातों से लगता है कि उन्हें इस बात का मलाल है कि बिहार की आपदा पर मीडिया कवरेज नाममात्र ही रही. मज़दूरी करने वाले मसौढ़ी के धर्मेंद्र कुमार कहते हैं, "बाहर के लोग बिहार को हाइलाइट करने से घबराते हैं. अगर दिल्ली के लोग यहाँ ध्यान देंगे तो यहाँ की स्थिति ठीक हो सकती है. बिहार के लोग पंजाब और हरियाणा जाना बंद कर देंगे." उनकी शिकायत है, "मीडिया वाले भी बिहार को वैल्यू नहीं देना चाहते."बारहवीं की छात्रा श्रुति वर्मा कहती हैं, "बिहार की ख़बरों को, दूसरे राज्यों की अपेक्षा अधिक तवज्जो नहीं दी जाती."वो कहती हैं, "इसके लिए राज्य सरकार ज़िम्मेवार है क्योंकि स्थानीय समस्याओं की ओर उसका ध्यान नहीं है और वो जागरूक भी नहीं है."उनका कहना है कि शायद इसीलिए मीडिया का ध्यान भी उस ओर नहीं जा पाता. अमूमन हर साल भीषण तबाही झेलने वाले बिहार के सीमांचल और कोसी का इलाका हर बार तबाह होता रहता है.साल 2008 में कुसहा महाप्रलय, 2009 और 2011 का तूफ़ान और 2014 के बाढ़ ने हज़ारों जानें लीं.इस बार भी तूफ़ान के कारण जान माल का भारी नुकसान हुआ है.लेकिन मीडिया ने भयावह स्थिति को रिपोर्ट करने में काफ़ी कंजूसी दिखाई. राहत तो दूर की बात है. हालांकि वरिष्ठ पत्रकार संकर्षण ठाकुर कहते हैं कि, "हमेशा से ही स्थान और समय के हिसाब से मीडिया का कवरेज करता है."उनके मुताबिक़, "इराक़ के मुक़ाबले लंदन में हुई मौत की ख़बर बड़ी होती है. यह सही नहीं है लेकिन यही यथार्थ भी है. सूचना का क्रम ऐसे ही चलता है. इसे लेकर कितनी ही बात कर ली जाए, खबरों की वरीयताक्रम तो तय होता ही रहेगा."


इस खबर को शेयर करें


Comments