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पत्रकारिता की नई पौध हेरत में,सवाल पूछने वालों में ही शामिल हैं घूसखोर पत्रकारों के नाम

मीडिया            Apr 30, 2016


मल्हार मीडिया डेस्क ऑगस्ता वेस्टलेंड का चॉपरगेट अच्छा उदाहरण है कि ये बतलाने का कि ‘हमाम में सभी नंगे’ थे, लुटियन जोन में ही साजिश होती रही। तथाकथित रुप से ना केवल पॉलिटिक्स के बल्कि मीडिया के दिग्गजों को भी उनका हिस्सा पहुंचाया जाता रहा और हर कोई खामोश रहा। पूरे चार साल मीडिया ने कोई खबर इस सौदे को लेकर नहीं छापी, तो इसके पीछ वो मीडिया मैनेजमेंट जिम्मेदार था, जिसके लिए मिशेल की कंपनी को हायर किया गया था, पूरे पचास करोड़ में? अब हर बड़ा पत्रकार पूछ रहा है उन पत्रकारों का नाम, जबकि लोग कह रहे हैं कि इन्हीं पूछने वालों में शामिल हैं कुछ घूसखोर पत्रकार भी। अभी तक चॉपरगेट में पूर्व एयरफोर्स चीफ एसपी त्यागी के अलावा केवल सोनिया गांधी जैसा बड़ा चेहरा और उनके कुछ करीबियों का नाम ही उछल रहा था, लेकिन अब एक कॉन्ट्रैक्ट पेपर सामने आने से मीडिया की गलियों में खलबली मच गई है। ये कॉन्ट्रैक्ट किया था ऑगस्ता वेस्टलेंड ने क्रिश्चियन मिशेल की कंपनी ग्लोबल सर्विसेज एफजेडई के साथ, इस कॉन्ट्रैक्ट में लिखा था कि ऑगस्ता मिशेल की कंपनी को 22 महीनों के मीडिया मैनेजमेंट के लिए 2,75 लाख यूरो हर महीने देगी, जबकि कुल रकम 60 मिलियन यूरो अलॉट की गई। हालांकि कॉन्ट्रैक्ट में ये लिखा गया था कि ये रकम इसलिए दी जाएगी कि भारतीय मीडिया में इस सौदे या कंपनी के बारे में कुछ भी गलत या नेगेटिव छपने की जानकारी मिशेल की कंपनी ऑगस्ता वेस्टलेंड को देगी। इतना ही नहीं उनसे निपटने के लिए भी ऑगस्ता की मदद भी करेगी। इसके लिए मिशेल ने बाकायदा अपना ठिकाना लुटियन जोन के ठीक बीचोंबीच होटल क्लेरेजिज में बनाया। वहीं उसने तमाम मीडिया वालों से, ब्यूरोक्रेट्स से मीटिंग्स कीं। माना जा रहा है कि उसकी मदद कुख्यात हथियार सौदागर अभिषेक वर्मा ने की, जो जेल में बंद है और दो बार के कांग्रेसी राज्यसभा सांसद श्रीकांत वर्मा का बेटा है। श्रीकांत वर्मा पत्रकार थे और सालों तक गांधी परिवार के हिंदी टीचर रहे, ऐसे में उनके रिश्ते सत्ता के काफी प्रभावशाली लोगों के साथ बने रहे। दिलचस्प बात ये है कि पिछली सरकार को ये बात पता थी, बावजूद इसके अभी तक केवल एक पत्रकार राजू संथानम से पूछताछ की गई और बात तभी दब गई। लेकिन जैसे ही एक विदेशी वेबसाइट में ये खबर बाकायदा कॉन्ट्रैक्ट पेपर के साथ छपी तो सुब्र्हामण्यम स्वामी ने उस खबर के लिंक को गुरुवार सुबह ट्वीट करके माहौल गरमा दिया, फिर उन्होंने ये मुद्दा राज्यसभा में उठाया तो मीनाक्षी लेखी ने लोकसभा में उठाया। शाम होते होते ये मुद्दा ट्विटर पर ट्रेंड होने लगा, राजदीप सरदेसाई और अजीत अंजुम जैसे पत्रकारों ने भी ट्वीट करके उन पत्रकारों के नाम जानने की ख्वाहिश जाहिर की। राजदीप ने तो स्वामी को अपने शो में लाइव चैट के लिए बुला लिया, लेकिन स्वामी लाइव से उठकर चले गए क्योंकि अकेले चैट पर लेने के वायदे के वाबजूद उस शो में अभिषेक सिंघवी भी मौजूद थे। लेकिन टाइम्स नाउ ने इसे मुद्दा बना लिया और अरनव गोस्वामी का शो न्यूज ऑवर इसी मुद्दे के नाम था। मीडिया में काम करने वाली नई पौध भी हैरत में है, उन पत्रकारों के नाम वो भी जानना चाहते हैं, उनका भी खुमार बड़े चेहरों की आभा से उतरने लगा है। अभी ये मुद्दा थमने वाला नहीं, जब नाम सामने आएंगे तो तहलका होना तय है। s4m


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