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प्रेमचंद के विचारों वाली टीप के साथ ओम थानवी ने फेसबुक को कहा अलविदा

मीडिया            Mar 16, 2016


वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार के बाद जनसत्ता के पूर्व संपादक और वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने भी फेसबुक को अलविदा कह दिया है। आज अपनी टाईमलाईन पर उन्होंने बकायदा एक लंबा संदेश लिखकर घोषणा की।उन्होंने लिखा:- दोस्तो, प्रेमचंद के विचारों वाली टीप के साथ मैं फेसबुक से विदा ले रहा हूँ। कह कर निकल रहा हूँ, ताकि बेवजह बात न बने कि कहाँ क्यों कैसे खिसक लिया। मेरे मित्र जानते हैं कि लम्बे अरसे से विदा कहने की फिराक में था। लेकिन कोई प्रसंग, विवाद, आंदोलन ऐसा चल पड़ता कि मैं चाहकर भी ऐसा कर न सका। कोई खास वजह नहीं है। मुख्यतः यही कि चाहने वाले इतने हो गए कि सबकी टिप्पणियां मैं पढ़ नहीं पाता, सब गंभीर टिप्पणियों या सवालों पर अपनी बात नहीं रख पाता। जितना करता हूँ, उसमें भी बहुत समय निकल जाता है। ऐसा भी हुआ कि एक पोस्ट पर पांच हजार से ज्यादा की हाजरी, दो हजार से ऊपर साझेदारी, हजार से बेशी टिप्पणियां। बाकी छोड़ दें, अगर टिप्पणियां ही न पढ़ सकूँ और सिर्फ पढ़ना क्यों जहाँ जरूरी हो वहां संवाद न बना सकूँ तो चौपाल जमाने का सबब क्या? फिर भी खूब मजमा जमा। अब इस से विश्राम चाहिए। उम्मीद है थोड़ा लिखना-पढ़ना बढ़ेगा, सिनेमा देखेंगे, घूमेंगे-फिरेंगे मौज करेंगे, और क्या? हाँ, यह जरूर कहूँगा कि यह महज आभासी माध्यम नहीं है। यहाँ मेरे बहुत दोस्त बने, फिर अनेक से प्रत्यक्ष मिलना हुआ, आगे भी होगा। दिल की खुलकर उंडेल देने वाले 'दुश्मन' भी मिले; उन्हें भी मैं दोस्त ही मानता हूँ, वरना आज के जमाने में किसे फुरसत है कि मेरी वॉल पर आएं और झगड़ें। कुछ ज्यादा जोशीले निकले, उन्होंने भाषा की मर्यादा अत्यधिक लांघी तो मैंने भी उन्हें दरवाजा दिखाने में देर नहीं की। इस 'असहिष्णुता' का मुझे अफसोस अनुभव होता है। बहरहाल, अभी जय हिन्द। फिर मिलेंगे गर खुदा लाया। किसी ने कहा है न कि गया वक्त नहीं हूँ फिर आ भी न सकूँ - इस पर वे गौर करें जो मेरे टाटा कहने पर बहुत खुश हो रहे हों! खुश रहें, खुश रखें। जितना बन सके। ओम थानवी के फेसबुक वॉल से।


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