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भास्कर में उपेक्षित होता और डीबी पोस्ट से गायब संपादकीय पेज...?

मीडिया            Mar 13, 2016


sriprakash-dixitश्रीप्रकाश दीक्षित। इन दिनों सातवें आसमान पर सवार दैनिक भास्कर समूह ने भोपाल से अंगरेजी दैनिक शुरू किया है। डीबी पोस्ट नाम से बाजार मे आए दैनिक की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमे संपादकीय पेज ही गायब है जो किसी भी दैनिक की रीति-नीति का प्रतिबिंब होता है। इस पेज पर राष्ट्रीय घटनाओ और प्रमुख खबरों पर अखबार का मत व्यक्त करने वाली संपादकीय टिप्पणियाँ और ज्वलंत मुद्दों पर निष्पक्ष लेख होते हैं। इसके अलावा अखबार के पाठकों को समर्पित संपादक के नाम पत्र कालम भी होता है, जहां वे खबरों पर अपने विचार व्यक्त करते हैं। लीडर, अफसर और अन्य रसूखदार इसी पेज से सबसे ज्यादा खौफ खाते हैं सो यह बिरादरी चैन की सांस ले सकती है। वैसे दैनिक भास्कर मे भी संपादकीय पेज दिनोंदिन उपेक्षित हो रहा है और संपादक के नाम पत्र कालम बहुत पहले बंद किया जा चुका है। वैसे बताते चलें कि यह पहला मौका नहीं है जब भास्कर समूह ने अंगरेजी का दैनिक निकाला है। सबसे पहले भोपाल से डेली भास्कर नाम से अंगरेजी अखबार निकाला जो बुरी तरह फ्लाप रहा। फिर भोपाल से ही नेशनल मेल निकाला गया, पर बात बनी नहीं और इसे भी बंद करना पड़ा। इसके बाद जीटीवी के सुभाषचंद्रा के साथ भास्कर समूह ने मुंबई से बड़े पैमाने पर अंगरेजी अखबार डीएनए शुरू किया। यहाँ टक्कर टाइम्स ऑफ इंडिया और हिंदुस्तान टाइम्स जैसे दिग्गज कारोबारी और इंडियन एक्सप्रेस जैसे साहस की पत्रकारिता करने वाले अंगरेजी अखबारों से थी सो यह अखबार पिछड़ा ही रहा।तब भास्कर समूह ने मुंबई संस्करण से हाथ खींचना श्रेयस्कर समझा। अब भास्कर समूह के पास जयपुर और अहमदाबाद से प्रकाशित डीएनए का ही स्वामित्व है। समूह ने इंदौर से भी इसे निकाला था पर भोपाल की तरह वहाँ भी अंगरेजी अखबार चलाने मे नाकामी हाथ लगी। सवाल उठता है कि बार-बार की नाकामी के बाद फिर से भोपाल मे अंगरेजी अखबार क्यों शुरू किया गया है..? यहाँ भी हिंदुस्तान टाइम्स और टाइम्स ऑफ इंडिया के संस्करण पहले से मौजूद हैं,वैसे उनकी हालत मुंबई के मुक़ाबले शून्य है।यह भी समझ से परे है कि भोपाल से डीएनए के बजाय नए नाम से अखबार शुरू करने की जरूरत क्यों पड़ी..!शायद यह मार्केटिंग का कोई फंडा रहा होगा। वैसे बड़े अखबारों की अच्छी-ख़ासी नौकरी छोड़ कर डीबी पोस्ट ज्वाइन करने वाले आधा दर्जन से ज्यादा पत्रकार शुरू होने से पहले ही इसे अलविदा कह चुके हैं..! क्या इसे बेहतर शुरुआत कहा जा सकता है..? श्रीप्रकाश दीक्षित के फेसबुक वॉल से


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