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मीडिया को गाली देना फैशन बन गया है

मीडिया            Mar 26, 2016


sanjay-singhसंजय कुमार सिंह। मैं मीडिया का बचाव नहीं कर रहा, गाली दीजिए, मैं भी देता ही रहता हूं। पर ये तो देखिए कि मीडिया को गाली देने के साथ आप क्या कर रहे हैं। कल फेसबुक के साथ व्हाट्स ऐप पर भी ये दो खबरें खूब घूमती रहीं। मेरे पास कई बार आईं। एक इंडियन एक्सप्रेस की है जिसमें पुणे में मरने वाले टेकी को मुस्लिम बताया गया है जबकि दिल्ली में मरने वाले दांतों के डॉक्टर पंकज नारंग को डेंटिस्ट लिखा गया है। media-abbusing अब देखिए कि सच क्या है। दोनों मामले अलग किस्म के हैं और दोनों अखबारों ने इसी हिसाब से शीर्षक लगाया है और शब्दों का चयन भी किया है। मुझे लगता है कि कम से कम ये दोनों खबरें पत्रकारिता के उसूलों के हिसाब से ठीक हैं और सच्चाई भी यही है जिसकी पुष्टि साथी Ajit Anjum ने अपनी पोस्ट में की है। इसके अलावा, इलाके के डीसीपी के ट्वीट्स भी हैं। twitt-monika-bhardwaj सोशल मीडिया में मीडिया की शैतानी पर लिखने के लिए कई विशेषज्ञ और जानकार हैं। हालांकि भक्तों को उनपर यकीन नहीं है और भक्तों की पत्रकारिता अलग है। उनकी इच्छा जरूरत और चाहत भी अलग है। अगर आप भक्त नहीं हैं तो ऐसी खबरें फैलाने और साझा करने से पहले सोचिए कि आप क्या करने जा रहे हैं। media-abbusing-2 मीडिया वाले मीडिया की कारस्तानियों के खिलाफ लिखते रहे हैं और जरूरत पड़ने पर नौकरी छोड़कर भी मीडिया की कारस्तानियों का विरोध करते हैं। इसलिए चिन्ता ना करें, हम हैं। साप्ताहिक ‘शुक्रवार’ में प्रकाशित एक रिपोर्ट की शीर्षक देखिए, “मीडिया तब भी कराता था दंगा”। यह तथ्यों पर आधारित है। मीडिया दंगा कराता था या कराएगा तो आपको बताएंगे पर सोशल मीडिया पर आप ही कराने लगे तो हम किसे बताएंगे? किसलिए बताएंगे? अजीत अंजुम ने लिखा है, “सोशल मीडिया पर बेहद संगठित तरीके से दिल्ली में हुई डॉक्टर पंकज की हत्या को हिंदू -मुस्लिम का रंग दिया जा रहा है एक हिंदू डॉक्टर की मुसलमानों द्वारा हत्या की बात साजिशन फैलाई जा रही है ,जबकि 9 कातिलों में से 5 हिंदू थे। पहली बार जिन दो बाइक सवारों से डॉक्टर की झड़प हुई ,उनमे भी एक हिंदू था . जो भीड़ डॉक्टर पंकज को मारने आई ,उनमें 4 नाबालिग हिंदू लड़के थे . कल दिन भर हमारे रिपोर्टर्स मौके पर मौजूद रहे हैं .मैं दावे के साथ कह सकता हूं की इस हत्याकांड में हिन्दू -मुसलमान का एंगल नहीं है ..आप लोग या तो सच को कुचलकर इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं ..या आपको अधूरी जानकारी है ..इलाके की DCP का Tweeter Status पढ़ लीजिये ..इसके बाद भी अगर आप अफवाह फैलाते रहेंगे तो आपका केंचुल उतरेगा और कुछ नहीं ...ये मामला लॉ एंड आर्डर का है..दिल्ली में कैसे उन्मादी लोगों ने एक डॉक्टर के घर पर उसकी हत्या कर दी?” संजय कुमार सिंह के फेसबुक वॉल से।


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