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वर्ल्ड प्रेस डे और अखबारों के खिलाफ साठ सांसदों का विशेषाधिकार नोटिस

मीडिया            May 03, 2015


श्रीप्रकाश दीक्षित फेसबुक और वाट्स ऐप के जरिए पता चला कि आज विश्व प्रेस डे है। अपने सामान्य ज्ञान को कोसते हुए सुबह एक बार पढ़ चुके-देश का सबसे विश्वसनीय और नंबर-1 अखबार होने का दावा कर रहे-दैनिक भास्कर को फिर से खंगाल डाला पर मूल अखबार के सोलह पन्नों और सिटी भास्कर के पन्नों मे कहीं भी, भूले से भी इसका उल्लेख नहीं मिला कि आज प्रेस डे है..? हाँ पत्रिका ने जरूर भीतर के पन्ने पर इस दिवस के बारे में छापा। प्रेस डे के बारे मे पता चलते ही अपने को इंडियन एक्सप्रेस मे 30 अप्रैल को छपी खबर और इस पर जनसत्ता मे 2 मई को छपे संपादकीय की याद हो आई। सो इस शुभ दिन आप भी इसे पढ़े। अभी इस खबर की स्याही भी नहीं छूटी है कि राज्यसभा के 58 सदस्यों ने मध्यप्रदेश के जबलपुर हाइकोर्ट मे पदस्थ जज के खिलाफ महाभियोग चलाने कि पहल की है। मीडिया से जुड़ी यह खबर भी कुछ-कुछ वैसी ही है। विभिन्न पार्टियों के साठ सांसदों ने एक दैनिक और एक साप्ताहिक अखबार के खिलाफ राज्यसभा मे विशेषाधिकार प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इन सांसदों का कहना है कि इन अखबारों ने राज्यसभा टीवी के कामकाज के बारे मे झूठी, मनगढ़ंत और दुर्भावनापूर्ण खबरें छापी हैं। यह मामला बुधवार को राज्यसभा मे आया जिस पर सरकार ने बचते हुए जवाब दिया। विशेषाधिकार का नोटिस अंगरेजी दैनिक डीएनए और तहलका पत्रिका के खिलाफ दिया गया है। बताते चलें की डीएनए को भास्कर के मालिक रमेश अग्रवाल ने जी टीवी के मालिक सुभाष अग्रवाल के साथ धूम-धड़ाके से मुंबई से शुरू किया था,पर बाद मे भास्कर अलग हो गया। वहीं तहलका के मालिक तरूण तेजपाल महिला उत्पीड़न मामले मे जेल जा चुके हैं। राज्यसभा मे काँग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद ने सभापति से नोटिस को स्वीकार करने कि मांग करते हुए कहा कि इन दोनों अखबारों ने यह खबर छापी कि 2010 से अब तक राज्यसभा टीवी पर 1700 करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं जबकि हकीकत मे 146 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं। इन अखबारों ने यह भी छापा की सीएजी ने इसके लिए राज्यसभा टीवी की आलोचना की और वित्त मंत्रालय ने नोटिस भेजा, जबकि दोनों बातें ही गलत हैं। जनता दल-यू के शरद यादव, सपा के नरेश अग्रवाल और सीपीआई के राजा ने आजाद का समर्थन करते हुए सुझाव दिया कि मामला विशेषाधिकार कमेटी को सौंप दिया जाए।इस पर संसदीय कार्य मंत्री वेंकया नायडू ने टालमटोल वाला जवाब देते हुए कहा कि अभी मामले के पूरे तथ्य सदन के सामने नहीं आए हैं। उपसभापति पी जे कुरियन ने कहा कि नोटिस पर सभी पहलुओं को देख कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।


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