रमेश शर्मा।
छत्तीसगढ़ के बस्तर के दरभा नक्सली हमले में जिस पुलिस अफ़सर को 2013 में तत्कालीन राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया था अब उनको जनसंपर्क महकमे की कमान सौंप दी गई है।
दरअसल घटना भीषण थी और कई कांग्रेस के बड़े नेता शिकार हुए थे।
घटना के बाद किसी न किसी की बलि तो चढ़नी ही थी लिहाजा ऊपर से होती हुई गाज़ नीचे तक आई और बस्तर जिले के तत्कालीन एसपी रहे मयंक श्रीवास्तव पर जा गिरी जबकि उनका ट्रैक रिकॉर्ड सदा दुरुस्त था।
अबूझमाड़ में उनके ऑपरेशन की सराहना पत्रकार भी करते रहे हैं। निलंबन के बाद भी मयंक श्रीवास्तव ने हार नहीं मानी, कई अफसर टूट जाते हैं।
दोबारा जब बहाल हुए और उनको जब नई पोस्टिंग मिली तो उनके जिले में राज्य में एक बहुत बड़ा हादसा हुआ जिसमें एक बच्चा बोरवेल में गिर गया।
तीन-चार दिनों तक यह ऑपरेशन बड़ी कठिन परिस्थितियों में चला, मयंक श्रीवास्तव इसमें जूझ पड़े और तप कर कुंदन की तरह निकले। रेस्क्यू ऑपरेशन में उस बच्चे की जान बचा ली गई।
बोरवेल में गिरे जांजगीर के राहुल साहू के 110 घंटे चले रेस्क्यू आपरेशन को मयंक श्रीवास्तव की अगुवाई वाली SDRF की टीम ने अंजाम दिया था।
जाहिर सी बात है, ऐसे काबिल अफसर को लंबे इंतजार या यूं कह लें धैर्य के साथ मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी को अंजाम देने का सार्थक फल तो मिलना ही था।
फिलहाल सरकार ने मयंक श्रीवास्तव को बहुत अहम जिम्मेदारी सौंपी है, उन्हें छत्तीसगढ़ जनसंपर्क संचालनालय में कमिश्नर बनाया गया है। साथ ही जनसंपर्क आयुक्त के साथ ही छत्तीसगढ़ संवाद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी की भी जिम्मेदारी मिली है।
कहा ही गया है सब दिन होत न एक समाना। धीरज राखे जो होय सयाना।
लेखक सहारा समय छत्तीसगढ़ के ब्यूरोचीफ हैं। यह समाचार उनके फेसबुक वॉल से लिया गया है।
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