Breaking News

एक फोटो जर्नलिस्ट जो खुद तस्वीरे गम बन गया, धुंधली हो रही तस्वीर

मीडिया            Sep 23, 2025


आरिफ मिर्ज़ा।

"पूछ लेते वो बस मिज़ाज मिरा,

कितना आसान था इलाज मिरा"। ये शेर पढ़ते ही दिल कांप उठता है। लगता है जैसे ये अशआर हमारे अपने साथी फोटो जर्नलिस्ट निर्मल व्यास की हालत बयान कर रहे हों।

हमीदिया हॉस्पिटल के बिस्तर पर लेटे निर्मल, एक एक सांस की जंग लड़ रहे हैं। उम्र तो अभी अठावन ही हुई है, मगर जिस्म ऐसा है मानो सदियों का बोझ उठा लिया हो। घर में सांस लेने में तकलीफ़ हुई तो परिजन घबराए, फौरन अस्पताल ले आए।

डॉक्टरों ने जब देखा तो हालात इतने नाज़ुक थे कि उसी वक़्त एडमिट कर लिया। तफ्तीश हुई तो मालूम पड़ा कि पहले वायरल निमोनिया ने पकड़ा, ऊपर से डेंगू ने धर लिया। और जब सीटी स्कैन हुआ तो फेफड़ों का अठहत्तर फ़ीसदी हिस्सा इंफ़ेक्शन से भरा निकला।

डॉक्टरों ने बायोप्सी का फ़ैसला लिया कि कहीं कैंसर का शुब्हा न हो। कल ये बायोप्सी हो चुकी है।

अब सबके दिल से यही दुआ निकल रही है कि रिपोर्ट नेगेटिव आए। निर्मल की ज़िंदगी हमेशा आसान नहीं रही। वो हमेशा जद्दोजहद में रहे। परिवार की ज़िम्मेदारियों का बोझ, कम तनख्वाह में गुज़ारे का दर्द और काम की कशमकश सब वो झेल रहे हैं।

कभी स्वदेश और नवदुनिया में अपनी तस्वीरों से नाम रोशन करने वाला ये फोटो जर्नलिस्ट आज बस फ्रीलांस काम करके गुज़र बसर कर रहा है। यानी वो पक्की तनख़्वाह भी अब नहीं मिलती। ऊपर से ये बीमारी और उसका लंबा इलाज किसी पहाड़ से कम नहीं।

अब देखिए तज़ाद (विडम्बना) कभी कैमरे की क्लिक से नेताओं और अभिनेताओं को हीरो बनाने वाले निर्मल आज बिस्तर पर तन्हा पड़े हैं, और उनके लिए कोई यूनियन, कोई फोटोग्राफ़र बिरादरी खड़ी नहीं हुई।

हाँ, जर्नलिस्ट हेल्थ केयर सोसायटी ने, बावजूद इसके कि वो इनके मेम्बर नहीं हैं, कुछ मदद ज़रूर की। वरना बाक़ी सब तो बस ख़ामोशी से तमाशा देख रहे हैं। निर्मल जैसे नेक-दिल, सीधेसादे इंसान कम मिलते हैं। वो इंसानियत की तस्वीर हैं। और आज वही तस्वीर धुंधली हो रही है।

कभी अपने कैमरे से दूसरों की शानो-शौकत दिखाने वाले निर्मल, आज अपने लिए रोशनी तलाश रहे हैं। यही है ज़िंदगी की हक़ीक़त। दुनिया जिसे कहते हैं मिट्टी का खिलौना, जिसमें रिश्ते-नाते बस मतलब की डोर से बंधे रहते हैं।

मगर एक बात तय है बुरा वक्त ही असली पहचान कराता है। और शायद यही वजह है कि आज निर्मल के इर्द-गिर्द वही इक्का-दुक्का लोग खड़े हैं, जो वाक़ई उनके अपने हैं। फ़िलहाल तो निर्मल हर सांस के लिए लड़ रहे हैं।

 हम सब दुआगो हैं कि ख़ुदा उन्हें हिम्मत दे, और जल्द अज़ जल्द सहत्याब करे। ताकि फिर से वो अपने कैमरे की आंख से ज़िंदगी की तस्वीरें उतारें और हम सबको याद दिलाएं कि तस्वीरें तो पल भर की होती हैं, असल तस्वीर तो इंसानियत की होती है।

ऐसी जानकारी प्राप्त हुई है कि जनसंपर्क कमिश्नर दीपक सक्सेना ने इस मामले में संज्ञान लिया है। उम्मीद है निर्मल व्यास जी तक उचित सहायता पहुंच जाएगी।

लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं और खबरनवीसों की दुनिया के सुख-दुख को अलग अंदाज में लिखने के लिए जाने जाते हैं।

 


Tags:

malhaar-media photo-journalist-nirmal-vyas hamidia-hospital-bhopal

इस खबर को शेयर करें


Comments