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उच्चतम वेतनमान न देने पर हिमाचल हाईकोर्ट की सरकार को चेतावनी

खास खबर            Dec 09, 2025


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने सोमवार को उच्चतर वेतनमान का लाभ न देने पर दायर एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार के प्रति सख्त रुख अपनाया। न्यायालय ने राज्य के उप महाधिवक्ता के आग्रह पर अधिकारियों को अदालत के पिछले आदेशों के अनुसार नए सिरे से विचार कर आदेश जारी करने के लिए एक सप्ताह का अंतिम अवसर दिया है।

न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने कहा कि यदि ऐसा नहीं होता है तो अगली सुनवाई पर न्यायालय उचित आदेश पारित करेगा और अधिकारियों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाएगी। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।

यह मामला रजत बुशैहरी बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य और अन्य की क्रियान्वयन याचिका से संबंधित है। याचिकाकर्ता ने 11 जुलाई 2025 को दिए गए न्यायालय के निर्णय को लागू करने की प्रार्थना की थी। इस निर्णय में प्रतिवादियों को मोहित शर्मा के मामले में निर्धारित कानून के अनुसार याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर विचार करने का निर्देश दिया गया था। पिछली सुनवाई पर प्रतिवादियों को अनुपालन हलफनामा दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का अंतिम अवसर दिया गया था।

प्रतिवादी मुख्य निर्वाचन अधिकारी-सह-सचिव चुनाव हिमाचल प्रदेश सरकार ने अनुपालन हलफनामा दायर किया, जिसके साथ 3 दिसंबर 2025 का एक आदेश संलग्न था। इस आदेश में याचिकाकर्ता के मामले पर विचार किया गया और उसे खारिज कर दिया गया। आदेश में कहा गया कि विभाग ने कानून और वित्त विभाग से मामला उठाया है, लेकिन वित्त विभाग से स्पष्टीकरण अभी भी प्रतीक्षित है। इसलिए वित्त विभाग की अधिसूचना का उल्लंघन करते हुए और स्पष्टीकरण के अभाव में अधिकारी को उच्चतर वेतनमान का लाभ देना संभव नहीं है। न्यायालय ने पाया कि प्रतिवादियों ने केवल इस आधार पर न्यायालय के निर्णय को लागू करने से इन्कार कर दिया है कि हिमाचल प्रदेश सरकार के वित्त विभाग से स्पष्टीकरण जारी नहीं हुआ है।

राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षक को एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि देने के निर्देश

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने एक शिक्षक के आवेदन पर राष्ट्रीय पुरस्कार के एवज में एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि की मांग पर प्रतिवादी प्रदेश सरकार सहित अन्य सक्षम अधिकारियों को 6 सप्ताह की अवधि के भीतर लागू कानून और अधिसूचनाओं की नीति के अनुसार विचार करने और निर्णय लेने का आदेश दिया है।

न्यायाधीश ज्योत्सना रिवॉल दुआ की अदालत ने गुण दोषों की जांच किए बिना याचिका का निपटारा कर दिया है। अदालत को बताया गया कि शिक्षक ने इस संबंध में 12 अगस्त और 22 सितंबर को अभ्यावेदन दिया है, लेकिन इस पर अभी कोई कार्रवाई नहीं हुई। याचिकाकर्ता कश्मीर सिंह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षक हैं। राष्ट्रीय पुरस्कार के बदले सेवा में 2 वर्ष का विस्तार उन्हें पहले ही दिया जा चुका है। उनका कहना था कि लागू अधिसूचनाओं और नीति के तहत वह अपने राष्ट्रीय पुरस्कार के एवज में एक अतिरिक्त वेतन वृद्धि का भी हकदार है,जो उन्हें अभी तक जारी नहीं की गई है।

हाईकोर्ट ने पीटीए टीचर की पुनः नियुक्ति की याचिका की खारिज

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता पीटीए शिक्षिका की सेवाओं को पुन: शामिल करने की मांग को लेकर दायर याचिका को विलंब और निष्क्रियता के आधार पर खारिज कर दिया है। याचिकाकर्ता ने प्रवक्ता (संस्कृत) के पद पर पैरेंट टीचर एसोसिएशन (पीटीए) के तहत अपनी सेवाओं को बहाल करने की मांग की थी। न्यायाधीश ज्योत्सना रिवाल दुआ की एकल पीठ ने यह फैसला दिया है।

याचिकाकर्ता कुसुम कुमारी ने 22 मई 2014 की अधिसूचना और अश्वनी कुमार शर्मा बनाम हिमाचल प्रदेश राज्य के मामले में दिए गए फैसले के संदर्भ में पीटीए के तहत प्रवक्ता के रूप में अपनी सेवाओं की पुनः नियुक्ति की मांग की थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि उन्हें 27 फरवरी 2007 को पीटीए आधार पर नियुक्त किया गया था। उनकी सेवाएं 30 सितंबर 2008 को समाप्त कर दी गईं।

याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि इसी तरह की स्थिति वाले कई पीटीए शिक्षकों को 22 मई 2014 की अधिसूचना के बाद फिर से नियुक्त किया गया था। न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ता ने सेवाओं की बहाली के लिए बहुत देरी से कदम उठाया है। याचिकाकर्ता की सेवाओं को 30 सितंबर 2008 को समाप्त किया गया है। 22 मई 2014 को पुनः नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने या एक अप्रैल 2014 को अश्वनी कुमार शर्मा मामले में निर्णय आने के बाद भी याचिकाकर्ता ने कोई अभ्यावेदन प्रस्तुत नहीं किया। याचिकाकर्ता की ओर से पुनः नियुक्ति के लिए किया गया पहला अभ्यावेदन 5 अगस्त 2025 को दिया गया है। न्यायालय ने उक्त आधारों पर याचिका को खारिज कर दिया।

 


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