नवीन रंगियाल।
मैं आत्महत्या का समर्थक हूँ, जब तक की मुझे जिंदगी के लिए कन्विंस करने वाला कोई मिल नहीं जाता,
हालांकि आत्महत्या के किसी भी कारण को मैं जायज़ नहीं मानता, लेकिन संकट से गुजरते हुए जिन क्षणों में आत्महत्या रचने की योजना मैं बना रहा हूँ उस क्षण कोई मेरे पास आए और मुझे उस संकट से बाहर निकाले जिस संकट की वजह से मैं आत्महत्या करने की सोच रहा हूँ.
कोई मेरे पास आए और मुझे जीने की वाज़िब वजह बताएं. मुझे नहीं मरने का कारण बताएं. मैं वादा करता हूँ मैं नहीं मरूँगा. मैं जियूँगा और अंत तक जियूँगा.
किंतु इसके विरुद्ध मुझे सभी जगह आत्महत्या का मोटिव मिला.
मरने की सबसे बड़ी वजह में धीमें- धीमें बहुत सारी वजह भी शामिल होती गई. कितनी निराशाओं, उपेक्षाओं, तिरस्कार, अवसाद, तनाव और अकेलेपन ने मुझे घेर लिया, क्योंकि मेरे आसपास बहुत सी जगह खाली हो चुकी थी, मेरे पास कोई नहीं था, इसलिए बहुत जगह खाली थी.
मेरे कमरे में जगह थी, मेरा दिल भी बहुत खाली था. मैं जहां भी गया, कमरे में, बगीचे में, छत पर सभी जगह एक खालीपन था. कहीं कोई आवाज नहीं थी. वहां सभी जगह ढेर सारी उदासियाँ रहने लगी. मेरे मन की किरीचें तो दूर कोई मेरे बिस्तर की सलवटें दुरस्त करने नहीं आया. मेरी मदद के कोई आहट नहीं थी. कोई साया नहीं था.
कभी किसी ने पूछा नहीं मुझसे कि तुम कहाँ खोये-खोये रहते हो इन दिनों. कहां गुम रहते हो आजकल. तुम्हारी आंखें इतनी सूनी- सूनी सी क्यों हैं?
कितने दिनों से मेरा दिल बेतरतीब तरीके से धड़क रहा था. कभी सांस बहुत तेज़ी से चलने लगती थी, कभी - कभी रुक सी जाती थी. कितनी बार मैं हलक को अपने हाथों में लेकर चीखा. कितनी रातों में बैचेन रहा. आधी रात को उठा, जागा और फिर नहीं सो पाया.
कितनी दफे चलते- चलते मेरे कदम उलझ गए, लड़खड़ा गए. नींद ने धोखे दिए. घण्टों तक मैं अपने बाथरूम में और शयनकक्ष में बैठे सुबकता रहा. कितने डार्क सर्कल उभर आए. मैं अपने शून्य में ताकता रहा, जैसे कोई संसार की महफिल में आकर भटक जाए. लेकिन मुझे किसी ने नहीं देखा.न जीते हुए न मरते हुए. न दोस्तों ने न दुश्मनों ने.
मैं दुनिया के सबसे इंटेलएक्चुअल प्रोफेशन में काम करता था. वो जगह कोई लेबर मिल, कोई फैक्टरी या कारखाना नहीं था. वहां मेरे आसपास सब पढ़े- लिखे लोग थे. सब कविता जानते थे. भाषा से खेलते थे. छोटी इ और बड़ी ई की मात्रा को भी समझते थे, जानते थे.
उन्हें पता था कहां बिंदी लगेगी और कहां रफा. वो जानते थे कि कितने सेंटीमीटर में लिखना है और कितना स्पेस खाली छोड़ना है, लेकिन उन्हें मेरे भीतर का खाली स्पेस नज़र नहीं आया.
आप संकट में नहीं हो, इसलिए आप समाधान के बारे में नहीं सोच रहे हो. मैं संकट में था, इसलिए मैं समाधान के बारे में सोच रहा था. ऐसा नहीं कि संकट आते ही अगले ही क्षण मैं ऊंची इमारत की छत से कूद गया. या धाएं से कनपटी पर गोली मार ली.
मैं बहुत जिया, बहुत नजर आया. मैंने खुद को बहुत मौके दिए. एक बेतहाशा भीड़ मेरे आसपास रही, लेकिन किसी ने मुझे जीने के लिए नहीं कहा. किसी ने मुझे जिंदगी के लिए कन्विंस नहीं किया.
बहुत सोचने और सर खपाने के बाद मुझे इतना ही समाधान मिला कि मेरे घर में इतनी भी जगह नहीं बची थी कि मैं वहां आत्महत्या कर सकूं. एक दिन मुझे लगा कि 'सुसाइड इज़ द मोस्ट सिन्सियर फॉर्म ऑफ सेल्फ़'
यह मेरे द्वारा लिया गया इतना ईमानदार फैसला था कि इस फ़ैसले को लेने के बाद पश्चाताप के लिए भी मेरे पास गुंजाइश नहीं थी. लाशें कभी रिग्रेट नहीं करती.
आत्महत्या करने वाला कायर नहीं है, जो जिंदा थे वे कायर थे, क्योंकि वे एक आदमी को जीते हुए देख नहीं सके और उसे मरते हुए भी बचा नहीं सके।
मैं आत्महत्या का समर्थक हूँ जब तक कि मुझे जिंदगी के लिए कन्विंस करने वाला कोई मिल नहीं जाता.
Comments