Breaking News

शहीद संपादक रामदहिन ओझा की विरासत अब सप्रे संग्रहालय की दुर्लभ संपदा

मीडिया            Jun 11, 2018


15 पत्रकारों को राज्य स्तरीय पत्रकारिता पुरस्कार

मल्हार मीडिया भोपाल।

देश के बौद्धिक तीर्थ माने जाने वाले माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के खजाने में तब एक और नया आयाम जुड़ा, जब सत्याग्रह आंदोलन के पहले शहीद संपादक रामदहिन ओझा द्वारा संपादित साप्ताहिक समाचार पत्र ‘युगांतर’ की प्रतियाँ संग्रहालय को प्राप्त हुई। संग्रहालय द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय पत्रकारिता पुरस्कार समारोह में यह सामग्री ओझा के पौत्र एवं वरिष्ठ पत्रकार डा. प्रभात ओझा ने भेंट की। इन क्षणों के साक्षी प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर तथा मप्र-छत्तीसगढ़ के मंत्री सत्यनारायण शर्मा सहित शहर के प्रबुद्धजन बने। इसके अलावा कार्यक्रम में पत्रकारिता जगत की दर्जन भर से ज्यादा विभूतियों को सम्मानित किया गया।

सप्र्रे संग्रहालय के पं. झाबरमल्ल शर्मा सभागार में संपन्न कार्यक्रम में यह ऐतिहासिक दस्तावेज सौंपते हुए डा. प्रभात ओझा ने कहा कि सप्रे संग्रहालय अपने आप में अनूठा संग्रहालय है। यहाँ रामदहिन जी की धरोहर सौंपना एक मायने में सही हाथों में सामग्री सौंपना है। यह ओझा जी के संपादन में वर्ष 1923 तथा 1924 में निकले ‘युगांतर’ के अंक हैं।

इस ऐतिहासिक धरोहर को प्राप्त करते हुए संग्रहालय के संस्थापक-संयोजक विजयदत्त श्रीधर ने कहा कि इस सामग्री का प्राप्त होना सप्रे संग्रहालय के लिए वर्ष 2018 की बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने कहा कि इसके प्राप्त होने से संग्रहालय की संदर्भ सामग्री में और वृद्धि होगी जिसका लाभ इतिहास प्रेमी और शोधार्थी उठा सकेंगे। श्रीधर ने संग्रहालय के प्रति इस अनुग्रह के लिए प्रभात ओझा जी का आभार भी माना।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर ने कहा कि रामदहिन जी का साहित्य प्राप्त होना सप्रे संग्रहालय और भोपाल दोनों के लिए गौरव की बात है। उन्होंने सभी सम्मानित पत्रकारों को बधाई देते हुए कहा कि पत्रकारिता का धर्म ही निष्पक्षता है। पत्रकारिता देश हित में काम करे यह समय की आवश्यकता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पूर्व मंत्री सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि संग्रहालय द्वारा इस तरह के सम्मान दिए जाने की परंपरा जहाँ सम्मानित पत्रकारों का मनोबल बढ़ाती है वहीं नए पत्रकारों को भी प्रेरित करती है। यह समाज और पत्रकारिता दोनों के लिए ही बड़ा कार्य है।

इसके पूर्व पत्रकारिता की विभिन्न विधाओं में श्रेष्ठ कार्य कर रहे करीब पंद्रह पत्रकारों को अतिथियों द्वारा प्रशस्ति पत्र, शॉल, कलम, पुस्तकों का सेट प्रदान कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर संदर्भ सामग्री प्रदान करने वाले प्रभात ओझा को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।

इनका हुआ सम्मान

अमन नम्र - माखनलाल चतुर्वेदी पुरस्कार, सुनील मिश्र - लाल बलदेव सिंह पुरस्कार, विनायक बड़ोदिया - जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी पुरस्कार, पवन शर्मा - हुक्मचंद नारद पुरस्कार, डा. एच.एल. चौधरी एवं अशोक मनवानी - संतोष कुमार शुक्ल लोक संप्रेषण पुरस्कार, समीर वर्मा - झाबरमल्ल शर्मा पुरस्कार, मासिक पत्रिका शिवम पूर्णा - रामेश्वर गुरु पुरस्कार, राजेन्द्र शर्मा - के.पी. नारायणन, श्री देव श्रीमाली - राजेन्द्र नूतन पुरस्कार, हिमांशु सोनी - यशवंत अरगरे पुरस्कार, देवेन्द्र गोरे - जगत पाठक पुरस्कार, शफीक खान - आरोग्य सुधा पुरस्कार, राजेन्द्र जैन - होमई व्यारावाला पुरस्कार, संजीव श्रीवास्तव - सुरेश खरे पुरस्कार।

कौन थे रामदहिन ओझा

उत्तरप्रदेश के बलिया जिले के सामान्य परिवार में जन्मे रामदहिन ओझा का सत्याग्रह आंदोलन में विशेष योगदान रहा। वे सत्याग्रह आंदोलन के पहले शहीद संपादक थे। उन्होंने बलिया से निकलकर कोलकाता में साप्ताहिक ‘युगांतर’ का प्रकाशन किया। जिसका ध्येय था स्वतंत्रता के लिए लोगों के मन में अलख जगाना। उनके इन कार्यों से नाराज होकर अँगरेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया था, जहां वर्ष 1931 में मृत्यु हो गई। ऐसा कहा जाता है कि जेल में उनके भोजन में धीमा जहर दिया जाता था, जिससे उनके प्राण गए।



इस खबर को शेयर करें


Comments