सोशल नेटवर्क के नियमन हेतु क्या हैं कानूनी प्रावधान

मीडिया            Sep 25, 2022


आशीष तैलंग।

ज़्यादातर लोगों ने साइबर वर्ल्ड और सोशल मीडिया, व्हाट्सएप, टेलीग्राम वगैरह को मज़ाक समझ रखा है।

भाई इस साइबर दुनिया में भी नियम कायदे हैं, कानून हैं जो आईटी एक्ट में कवर होते हैं और इन्हें तोड़ने पर कई बार तो आईपीसी से भी सख्त सज़ा का प्रावधान है।

इन निम्नलिखित हरकतों को करना मतलब कानून तोड़ना मान लीजिए:

  1. पोर्नोग्राफिक कंटेंट को फेसबुक, इंस्टा, वेबसाइट या और कहीं पर पोस्ट करना या फिर ईमेल, व्हाट्सएप्प, टेलीग्राम इत्यादि पर भेजना।

पकड़े गए तो आईटी एक्ट की धारा 67A में 5 साल तक की सज़ा और 10 लाख तक का जुर्माना। दूसरी बार पकड़े गए तो और कड़ी।

हां, पोर्नोग्राफिक कंटेंट डाउनलोड या कलेक्ट करना और देखना जुर्म नहीं है।

लेकिन यदि इन पोर्नोग्राफिक कंटेंट में 18 साल से नीचे के बच्चे हैं मतलब चाइल्ड पोर्नोग्राफी का कंटेंट है फिर तो ये डाउनलोड करना, कलेक्ट करना और देखना तक जुर्म है। धारा 67B लग जाती है इसमें। सज़ा वही है।

  1. हैकिंग, मतलब किसी के लैपटॉप, मोबाइल वगैरह में बिना परमिशन एंट्री या डाऊनलोड। धारा 66 में तीन साल तक की सज़ा और/या 5 लाख तक का जुर्माना।
  2. किसी का पासवर्ड या डिजिटल सिग्नेचर चुराना या फिर किसी के नाम से फेक प्रोफाइल, ईमेल या वेबसाइट बना लेना। 66C और 66D में तीन साल तक की सज़ा और 1 लाख तक का जुर्माना।
  3. किसी व्यक्ति की नग्न या प्राइवेट पार्ट्स की फ़ोटो लेना, पब्लिश या प्रसारित करना। 66E में तीन साल तक की सज़ा और/या 2 लाख तक का जुर्माना।
  4. सायबर टेररिज्म- मतलब इंटरनेट पर ऐसा आतंक फैलाना जिससे देश या उसके नागरिकों की एकता, अंखडता या सुरक्षा पर खतरा उत्पन्न हो जाये। धारा 66F में उम्र कैद तक हो सकती है।

इनके अलावा एक धारा है 66A जिसके तहत आपकी कोई पोस्ट या मैसेज को प्रशासन अपमानजनक, झूठी, शत्रुतापूर्ण या नफरत से भरी मान कर कार्यवाही कर सकता है।

हालांकि सुप्रीम कोर्ट इस धारा को निरस्त कर चुका है पर तब भी पोलिस, प्रशासन द्वारा इसके दुरुपयोग के उदाहरण आज भी मिलते रहते हैं। इसमें इसके अलावा कुछ आईपीसी की धाराएं भी लग सकती हैं।

इसी से मिलती जुलती पर एक और धारा है 67 जो आज भी है। मतलब किसी अश्लील सामग्री को पब्लिश या पोस्ट करना।

अब क्या अश्लील है और क्या नहीं, कुछ क्लियर कट नहीं है जिसके चलते पुलिस ज़्यादातर इसी में लोगों को धर लेती है।

इसमें 3 साल तक की सज़ा और 5 लाख तक का जुर्माना है।

इन सबके बीच सबसे ख्याल में रखने वाली बात यह है कि 3 या उससे ज़्यादा साल की सज़ा वाले जुर्म में पुलिस बिना किसी वारंट के आपको गिरफ्तार करने का अधिकार रखती है और 3 साल से ज़्यादा की सज़ा वाले जुर्म में ज़मानत भी नहीं मिलती।

ये सब मैंने नालसार यूनिवर्सिटी में साइबर लॉ पढ़ते हुए जाना था जो आज सभी को जानना अत्यावश्यक है।

 

 



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