मल्हार मीडिया डेस्क।
एक दु:खद खबर आ रही है. “आजतक” के डिजिटल चैनल में असिस्टेंट एडिटर पद पर कार्यरत युवा पत्रकार आकाशदीप शुक्ला ने सुसाइड कर लिया है. दिल्ली पुलिस ने बताया कि आकाशदीप ने पूर्वी दिल्ली के पांडवनगर स्थित किराए के मकान में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर लिया.
घटना आज सुबह पौने ग्यारह बजे पूर्वी दिल्ली के पांडवनगर इलाके की है. किसी ने पीसीआर कॉल कर पुलिस को सूचित किया तो मौके पर पहुंची पुलिस टीम ने देखा कि दरवाजा अंदर से बंद है. दरवाजा तोड़ने के लिए फायर ब्रिगेड को बुलाया गया. अंदर जाने पर पुलिस टीम ने देखा कि आकाशदीप पंखे से लटके हुए हैं. मौके से कोई सुसाइड नोट मिला. प्राथमिक जांच के बाद पुलिस ने बताया कि ये सुसाइड का ही मामला दिख रहा है. कोई अन्य प्रमाण या संकेत मौके से नहीं मिले हैं.
बताया जाता है कि वे कुछ पारिवारिक विवादों से परेशान थे. प्रतिभाशाली और संवेदनशील पत्रकार आकाश के आत्महत्या कर लेने से मीडिया से जुड़े साथी स्तब्ध हैं. सोशल मीडिया में आकाश को लोग श्रद्धांजलि दे रहे हैं. आकाश ने अपने एफबी एकाउंट पर ढेर सारी अच्छी पोस्ट्स लिख रखी हैं. लोग इन पोस्ट्स को शेयर करते हुए आकाश के सुसाइड करने पर बेहद गमगीन हैं.
हरदोई के मूल निवासी आकाश आजतक से पहले न्यूज18इंडिया और उससे भी पहले योरस्टोरी में कार्यरत थे. लोगों का कहना है कि प्रेम विवाद के बाद से पति पत्नी में अनबन बढ़ता गया और विवाद ने गंभीर रूप धारण कर लिया. कोर्ट कचहरी का चक्कर भी इस विवाद में शामिल हो जाने के कारण आकाश परेशान रहने लगे. उन्होंने कई लोगों से अपने डिप्रेशन को लेकर कंसल्ट भी किया था लेकिन आखिरकार वे खुद को संभाल नहीं पाए और जीवनलीला खत्म कर ली.
कुछ प्रतिक्रियाएं-
Rahul Vishwakarma
तुम इतने कमजोर नहीं थे आकाश. झगड़ा कहां नहीं होता? क्षणिक आवेग ने तुम्हें लील लिया. तुम्हारी देह मयूर विहार के जिस लाल बहादुर अस्पताल की मोर्चरी में रखी है, उसके बाहर खड़ा होकर सोच रहा हूं…तुम्हारे माता-पिता के बारे में… बहुत अखर रहा… गुस्सा भी आ रहा… फिलहाल जिस दुनिया को तुमने चुना है, वहां सुकून में रहना…
पवन कुमार शुक्ल
नाम “आकाशदीप” था, दीप बुझा और आकाश को चला गया…..।। नमन!
नीतू सिंह-
एक नौजवान पत्रकार, लेखक, खुशमिजाज युवा साथी Akashdeep Shukla का आत्महत्या करना हमें यह बताता है कि हम सोशल मीडिया की चकाचौंध से इतर मुश्किल समय में जीवन में बहुत अकेले हैं। जब हम समस्याओं से या जीवन के मुश्किल दौर से गुजर रहे होते हैं तो अपने आसपास किसी को भी इतना करीब नहीं मान पाते या जिन्हें मानते भी हैं उनके पास वक़्त नहीं होता या वो समझते नहीं। जब कुछ रास्ता नहीं सूझता तो खुद को अकेला समझकर व्यक्ति आत्महत्या जैसा कठोर कदम उठा लेता है जबकि वह जानता है कि मरना कायरता है, समस्या का समाधान नहीं पर फिर भी उसे यह रास्ता आसान लगता है।
व्यक्ति के आत्महत्या करने के बाद हमें ऐसी दर्जनों पोस्ट पढ़ने को मिलती हैं। ऐसा लगता है कि इतने सारे दोस्त और शुभचिंतक थे फिर भी उसने क्यों आत्महत्या कर ली? पर सच यही है कि सोशल मीडिया से इतर हर इंसान के जीवन में बहुत खालीपन है। और अगर वो किसी मुश्किल समय से जूझ रहा है तब तो वो बिल्कुल अकेला है। मुझे सोशल मीडिया की इस चकाचौंध दुनिया से अब डर लगता है। मुश्किल समय में गिनती के कुछ एक साथी या तो कहें कई बार वो भी नहीं।
दूसरा कोई आकाश आत्महत्या जैसा कदम न उठाए तो ज्यादा नहीं बस अपनों को ही वक़्त देकर उनकी फिक्र कर लीजिए। अगर कोई साथी मुश्किल में है और आपको उसकी भनक लग गई तो आप इसे अपनी जिम्मेदारी समझकर उसे बाहर निकालने में जरूर मदद करें। नहीं तो हमारे बीच के ऐसे बहुत सारे साथी असमय जाते रहेंगे और हम पोस्ट लिखकर सिर्फ अफसोस जताते रह जाएंगे। आकाश का जाना बेहद पीड़ा दायी है। परिवार को इस दुःख से उबरने की ईश्वर हिम्मत दे।
जेपी शर्मा- सर अभी कुछ दिन पहले ही आपने motivate किया था लेकिन आप खुद हार जाओगे ये नहीं सोचा था… आपके साथ फिल्म सिटी में एक ही बार चाय पी थी लेकिन वो वाक्या मुझे हर पल रहेगा… ज्यादा लिखने की हिम्मत नहीं हो रही…. ऊं शांति
सुधीर मिश्रा- बहुत दुख होता है आत्महत्या करने वालों के बारे में जानकर लेकिन कोई हमदर्दी नहीं होती उस शख्स से जो हालात से लड़ना नहीं जानता, अपनों के प्यार और अपनी जिम्मेदारियों को भूल जाता है और गुस्से या दुख में यह भी ध्यान नहीं रखता कि
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