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चीनी मीडिया ने अमेरिका को दी युद्ध की धमकी,ट्रंप के रूख ने बढ़ाई ड्रेगन की बेचैनी

मीडिया            Jan 13, 2017


मल्हार मीडिया डेस्क।

दक्षिण चीन सागर पर ट्रंप प्रशासन के संभावित रूख ने चीन को बेचैन कर दिया है। उसने अमेरिका को युद्ध की धमकी दी है। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने रेक्स टिलरसन के उस बयान पर यह तेवर दिखाए हैं जिसमें उन्होंने चीन को दक्षिण चीन सागर खाली करने के लिए स्पष्ट संकेत देने की बात कही थी। टिलरसन को अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विदेश मंत्री पद के लिए नामित किया है। कांग्रेस की पुष्टि के बाद वे जॉन केरी की जगह लेंगे।

दक्षिण चीन सागर में बनाए गए कृत्रिम द्वीपों को खाली कर हथियार हटाने की अमेरिकी चेतावनी पर चीन ने गुरुवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी। चीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने गुरुवार को एक लेख में कहा कि दक्षिण चीन सागर की घेराबंदी के लिए अमेरिका को युद्ध छेड़ना पड़ेगा।

ग्लोबल टाइम्स सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा संचालित अखबार है, जिसके विचारों को सरकारी नीति और रुख का आईना माना जाता है। अमेरिका के नामित विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने सीनेट में बुधवार को कहा था कि चीन को कृत्रिम द्वीपों तक पहुंच नहीं मिलनी चाहिए। उन्होंने चीन को कृत्रिम द्वीप खाली करने और वहां से हथियार हटाने को कहा और नए द्वीपों के निर्माण न करने की नसीहत दी। इससे चीन भड़क उठा।

आक्रामक रुख के लिए चर्चित अखबार ने लिखा कि चीन को रोकने के लिए अमेरिका को बड़े पैमाने पर युद्ध छेड़ना पड़ेगा। टिलरसन को परमाणु शक्ति की रणनीति बदलनी होगी अगर वह एक परमाणु संपन्न बड़े राष्ट्र को उसके इलाके से बेदखल करना चाहते हैं। अखबार ने टिलरसन के नाम पर सीनेट से मुहर लगने पर भी संदेह जताया। अखबार के मुताबिक, सिर्फ सीनेटरों का दिल जीतने के लिए और कड़ा रुख दिखाने के लिए टिलरसन ने ऐसा बयान दिया। इसमें सवाल उठाया गया कि क्या अमेरिका फिलीपींस और वियतनाम को दक्षिण चीन सागर में प्रवेश करने से रोकेगा।


अमेरिका चीन से पहले ही कह चुका है कि उसे दक्षिण चीन सागर पर अंतरराष्ट्रीय पंचाट के फैसले का सम्मान करना चाहिए। पंचाट ने विवादित क्षेत्र पर चीन के एकाधिकार का दावा खारिज कर दिया था। हालांकि चीन ने इस आदेश को नहीं माना। विवादित क्षेत्र में उसकी सैन्य तैनाती बढ़ती जा रही है। उसने वहां विमानों को मार गिराने वाली तोपें तैनात कर रखी हैं और लड़ाकू विमान उतारने के लिए हवाई पट्टी भी विकसित कर ली है।


दक्षिण चीन सागर से हर साल पांच लाख करोड़ का व्यापार होती है। ब्रूनेई, मलयेशिया, ताइवान और वियतनाम भी इस विवादित क्षेत्र पर दावा करते हैं।



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