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1971 के बाद कल होगी पूरे देश में 259 स्थानों पर मॉकड्रिल

राष्ट्रीय            May 06, 2025


मल्हार मीडिया डेस्क।

पहलगाम हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है. इस बीच भारत के गृह मंत्रालय ने देश भर में मॉक ड्रिल के आदेश जारी किए हैं. इस आदेश के अनुसार, देश भर में कुल 259 स्थानों पर बुधवार, 7 मई को मॉक ड्रिल कराई जाएगी. गांव से लेकर शहरों तक यह पूर्वाभ्यास किया जाना है, जिसमें आपातकालीन स्थितियों में लोगों की प्रतिक्रिया की जांच की जाएगी.

यानी ये देखा जाएगा कि सायरन बजने और ब्लैकआउट जैसी स्थितियों में लोगों की प्रतिक्रिया कैसी होती है? इसके अलावा कंट्रोल रूम के कामकाज की भी टेस्टिंग होती है. यह ड्रिल ऐसे समय में की जा रही है जब पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच जंग को लेकर आशंकाएं गहराती जा रही हैं.

क्या है सरकारी आदेश

5 मई यानी सोमवार को गृह मंत्रालय की ओर से सभी प्रदेशों और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिवों को मॉक ड्रिल के संबंध में आदेश भेजे गए थे. इसमें कहा गया था कि नागरिक सुरक्षा नियम, 1968 की धारा 19 के तहत प्राप्त शक्तियों का उपयोग करते हुए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने पूरे देश के 244 वर्गीकृत नागरिक सुरक्षा जिलों में 7 मई 2025 को नागरिक सुरक्षा अभ्यास और पूर्वाभ्यास आयोजित करने का फैसला किया है. इस अभ्यास का संचालन ग्रामीण स्तर तक करने की योजना है.

मंत्रालय ने बताया कि इसका मकसद नागरिक सुरक्षा तंत्र की तैयारियों का मूल्यांकन करना और उसे बेहतर बनाना है. इस अभ्यास में जिला नियंत्रक, जिला प्राधिकारी, नागरिक सुरक्षा वार्डन या स्वयंसेवक, होम गार्ड (सक्रिय या आरक्षित स्वयंसेवक), एनसीसी, एनएसएस, एनवाईकेएस, कॉलेज या स्कूलों के छात्रों की सक्रिय भागीदारी अपेक्षित है. ये भी बताया गया कि मॉक ड्रिल सुरक्षा उपायों की तैयारियों, उनके प्रभाव और नागरिक सहयोग की जांच-पड़ताल के लिए उद्देश्य से किया जा रहा है.

मॉक ड्रिल क्या होती है

तमाम दफ्तरों में आपने अक्सर देखा होगा कि अचानक से कर्कश हॉर्न बजने लगते हैं. ऐसा लगता है जैसे कोई इमरजेंसी आ गई हो. कहीं आग लग गई हो और लोगों को सुरक्षित जगह पर भागने का इशारा किया गया हो. बाद में पता चलता है कि कहीं कोई आग नहीं लगी है. बल्कि ये तो एक प्रकार का सिक्योरिटी चेक है, जिसमें ये देखा जा रहा है कि अगर बिल्डिंग में आग लग जाती है तो क्या उससे निपटने की तैयारियां पूरी हैं? लोग पैनिक तो नहीं कर रहे हैं? अगर कर रहे हैं तो उन्हें कैसे संभाला जाए? इसी को मॉक ड्रिल कहते हैं. आपातकालीन स्थितियों, आगजनी के अलावा हमले की स्थिति में भी मॉकड्रिल की जाती है.

  जब मॉक ड्रिल किया जाएगा तो क्या-क्या होगा?

7 मई को गृह मंत्रालय के आदेश के बाद होने वाले मॉक ड्रिल में हमले के दौरान नागरिक और सुरक्षा तैयारियों का जायजा लिया जाना है. इसका मकसद ये देखना है कि युद्ध या हवाई हमलों जैसी आपात स्थितियों के दौरान नागरिक और सरकारी तंत्र कैसे प्रतिक्रिया करता है. इस पूर्वाभ्यास में हमले की परिस्थितियां बनाई जाती हैं और हवाई हमले के सायरन बजाए जाते हैं. शहरों में लाइट्स बंद कर दी जाती हैं. नागरिक सुरक्षित स्थानों पर शरण लेने का अभ्यास करते हैं. इमरजेंसी टीम तत्काल एक्शन लेती हैं. ऐसे मॉक ड्रिल का उद्देश्य नागरिकों में हमले के दौरान घबराहट को कम करना, भ्रम को दूर करना और जागरूकता तथा तत्परता बढ़ाकर उनका जीवन बचाना है.

हवाई हमले की चेतावनी देने वाला एयर रेड वार्निंग सायरन बजेगा

क्रैश ब्लैकआउट प्रोटोकॉल एक्टिव होगा, जिसमें लाइट्स बंद कर दी जाएंगी

सड़कों पर ट्रैफिक भी बंद या डायवर्ट किए जा सकते हैं

हमले की स्थिति में खुद को बचाने के लिए छात्रों, नागरिकों को प्रशिक्षण दिए जाएंगे

नागरिक सुरक्षा सेवाएं खासतौर पर फायर ब्रिगेड, आपदा बचाव सेवा आदि को एक्टिव किया जाएगा

मोबाइल का सिग्नल जा सकता है

अधिकारी रेस्क्यू और इवैकुएशन (निकासी) प्रक्रिया की प्रैक्टिस कर सकते हैं

कुछ क्षेत्रों में पुलिस और अर्धसैनिक बल युद्ध जैसी आपात स्थिति के हिसाब से ऑपरेशन कर सकते हैं

मॉक ड्रिल कहां कहां होगा

गृह मंत्रालय ने अपने आदेश के साथ उन जगहों की लिस्ट भी जारी की है, जहां ये मॉक ड्रिल किए जाएंगे. इस लिस्ट में शहरों को तीन कैटिगरी में बांटा गया है. कैटिगरी-1 में 13, कैटिगरी-2 में 201 और कैटिगरी-3 में 45 शहर शामिल हैं.

कैटिगरी-1 में शामिल शहर

दिल्ली (दिल्ली कैंट सहित)

गुजरात में सूरत, वड़ोदरा और काकरापार

महाराष्ट्र में मुंबई, उरान, तारापुर

ओडिशा में तलचर

राजस्थान में कोटा और रावत भाटा

तमिलनाडु में चेन्नई और कलपक्कम

उत्तर प्रदेश में बुलंदशहर (नरोरा)

इसके अलावा कैटिगरी 2 के तहत हैदराबाद, विशाखापत्तनम, तवांग, हायुलिंग, तेजपुर, डिगबोई, गुवाहाटी, दमन, गांधीनगर, शिमला, अनंतनाग, बारामूला, करगिल, पूंछ, राजौरी, श्रीनगर,उडी़, नौशेरा, पठानकोट, आगरा, प्रयागराज, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, गाजियाबाद, वाराणसी, मेरठ, मथुरा, देहरादून, ग्रेटर कोलकाता आदि शहर शामिल हैं.

कैटिगरी-3 में अरुणाचल का बोमडीला, असम में गोलाघाट, कोकराझार, बिहार का बेगूसराय, गुजरात का भरूच, कच्छ, मेहसाणा, हरियाणा का झज्जर, हिसार, गुरुग्राम, कश्मीर का पुलवामा, झारखंड का गोड्डा, साहेबगंज, महाराष्ट्र का औरंगाबाद, भुसावल, पंजाब का फरीदपुर, यूपी का बागपत, मुजफ्फरनगरबंगाल का बर्धमान, हावड़ा, मुर्शिदाबाद आदि शहर शामिल हैं.

 क्यों किया जा रहा मॉक ड्रिल

 युद्ध जैसी स्थितियों से निपटने के लिए नागरिकों और सुरक्षा तंत्र को तैयार करने के मकसद से ये ड्रिल की जा रही है. एनडीटीवी को डिफेंस एक्सपर्ट और रिटायर्ड मेजर जनरल केके सिन्हा ने बताया कि आमतौर पर ऑलआउट वॉर या लंबे समय तक चलने वाले युद्ध की आशंका को ध्यान में रखकर मॉक ड्रिल करवाया जाता है. साल 1971 के युद्ध के दौरान ये अभ्यास किया गया था. हालांकि, करगिल युद्ध के दौरान ऐसा कोई मॉक ड्रिल कहीं पर भी नहीं हुआ था क्योंकि वह युद्ध एक लिमिटेड सेक्टर में ही सीमित था.

ऐसा नहीं है कि भारत में ही ये मॉक ड्रिल होता रहा है. सिन्हा बताते हैं कि यूरोपीय देश भी ऐसे मॉक ड्रिल करते रहते हैं. खासतौर पर स्वीडन और फिनलैंड जैसे देशों में जहां युद्ध का खतरा नहीं है, वहां भी नागरिक सुरक्षा के लिए न्यूक्लियर हमले से बचाव का पूर्वाभ्यास किया जात है. यहां लोग अंडरग्राउंड बंकर बनाते हैं और हमलों से बचने के हर उपायों का अभ्यास करते हैं.

 आपको क्या करना है?

मॉक ड्रिल के समय सबसे पहले तो आपने घबराना नहीं है. शांत और संयमित रहना है. अधिकारियों की ओर से दिए जा रहे निर्देशों का पालन करना है. पानी-दवाइयाँ और टॉर्च जैसी बुनियादी चीजें तैयार रखनी है. सोशल मीडिया पर अफवाहों या फेक न्यूज को साझा करने से बचना है. अगर बिजली या इंटरनेट कुछ समय के लिए बंद हो जाए तो घबराना नहीं नहीं है. आधिकारिक अपडेट के लिए रेडियो या सरकारी चैनल सुनते रहना है.

 पहले कब किया गया था मॉक ड्रिल

इससे पहले साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध के समय भी देश भर में मॉक ड्रिल किया गया था. तब देश की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी थीं. इसके बाद पहली बार देश में ऐसी मॉक ड्रिल कराई जा रही है. 1971 में युद्ध से कुछ दिन पहले ही देश भर के शहरों में युद्ध पूर्वाभ्यास कराया गया था. इसमें हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन बजाए गए थे. रात में शहरों की लाइट्स बंद कर दी गई थीं ताकि दुश्मन के हमलों से बचा जा सके. जनता को बंकरों या सेफ जगहों पर ले जाने की भी ट्रेनिंग हुई थी. उन्हें बमबारी या हवाई हमलों की स्थिति से बचने की भी ट्रेनिंग दी गई थी. ये मॉक ड्रिल ज्यादातर पाकिस्तान से सटे इलाकों में किए गए थे. इनमें पश्चिम बंगाल, पंजाब, जम्मू-कश्मीर जैसै राज्य और दिल्ली, कोलकाता, मुंबई और चेन्नई जैसे बड़े शहर शामिल थे.

 

 

 


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