मल्हार मीडिया ब्यूरो।
बोफोर्स मामला फिर खुल सकता है। इस मामले में सीबीआई जल्द ही प्राइवेट जासूस माइकल हर्शमैन से जानकारी मांगने के लिए अमेरिका को न्यायिक अनुरोध भेजेगी। हर्शमैन ने 64 करोड़ रुपये के बोफोर्स रिश्वत घोटाले के बारे में महत्वपूर्ण विवरण भारतीय एजेंसियों के साथ साझा करने की इच्छा जताई थी।
गौरतलब है कि तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के दौरान होवित्जर तोपों के लिए स्वीडिश फर्म बोफोर्स के साथ 1,437 करोड़ रुपये के सौदे में रिश्वतखोरी के आरोप लगे थे। दिल्ली हाई कोर्ट ने इस मामले में 2004 में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी को दोषमुक्त कर दिया था। कोर्ट ने एक साल बाद इस मामले में हिंदुजा बंधुओं सहित शेष आरोपितों के खिलाफ सभी आरोपों को खारिज कर दिया था। कथित बिचौलिया ओतावियो क्वात्रोची भी 2011 में अदालत से बरी हो गया था।
प्रक्रिया में लग सकते 90 दिन
अधिकारियों ने रविवार को कहा कि सीबीआई ने न्यायिक अनुरोध भेजने के बारे में विशेष अदालत को सूचित किया है। विशेष अदालत मामले की आगे की जांच के लिए सीबीआई की याचिका पर सुनवाई कर रही है। लेटर्स रोगेटरी (एलआर) भेजने की प्रक्रिया इस साल अक्टूबर में शुरू हुई थी। इस प्रक्रिया में लगभग 90 दिन लग सकते हैं। इसका उद्देश्य मामले की जांच के लिए जानकारी प्राप्त करना है।
क्या है लेटर्स रोगेटरी?
आपराधिक मामले की जांच या अभियोजन में सहायता प्राप्त करने के लिए एक देश की अदालत द्वारा दूसरे देश की अदालत को भेजे गए लिखित अनुरोध को लेटर रोगेटरी कहते हैं। सीबीआई ने विशेष अदालत को सूचित किया कि वह इस मामले की जांच फिर से शुरू करने की योजना बना रही है। सीबीआई ने पहले आठ नवंबर, 2023, 21 दिसंबर, 2023, 13 मई, 2024 और 14 अगस्त, 2024 को अमेरिकी अधिकारियों को पत्र और रिमाइंडर भेजे थे, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिली, अमेरिकी अधिकारियों ने अतिरिक्त समय का अनुरोध किया। सीबीआइ ने अब एलआर मार्ग अपनाने का विकल्प चुना है।
फेयरफैक्स समूह के प्रमुख हर्शमैन ने प्राइवेट जासूसों के सम्मेलन में भाग लेने के लिए 2017 में भारत आए थे। इस दौरान उन्होंने आरोप लगाया था कि घोटाले की जांच में कांग्रेस सरकार ने रोड़े अटकाए। हर्शमैन ने कहा कि वह सीबीआई के साथ विवरण साझा करने के इच्छुक थे। सीबीआई ने कई साक्षात्कारों में उनके दावों पर ध्यान दिया और 2017 में कहा कि मामले की उचित प्रक्रिया के अनुसार जांच की जाएगी।
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