मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सरकार अगले साल वित्तीय वर्ष में बदलाव की बड़ी तैयारी में लगी है, जो कि जनवरी से दिसंबर हो सकता है। इसके साथ ही देश में 150 साल से चली आ रही अप्रैल-मार्च की वित्त वर्ष की परंपरा में बदलाव हो सकता है।
इस साल सरकार ने बजट को अग्रिम करते हुए एक महीने पहले 1 फरवरी को पेश किया था, इसके बाद यह दूसरा ऐतिहासिक बदलाव होगा। इससे पहले दशकों से देश में फरवरी के अंतिम सप्ताह में ही आम बजट को पेश करने की परंपरा चली आ रही थी। सरकार के जिस प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है, उसके मुताबिक संसद का बजट सत्र दिसंबर से पहले शुरू होगा ताकि बजट की प्रक्रिया को साल की समाप्ति तक पूरा किया जा सके।
वर्ष 2018 से देश के अर्थव्यवस्था में यह एक बड़ा बदलाव होगा। इसके चलते आगामी आम बजट नवंबर 2018 में पेश किया जा सकता है। उच्च स्तरीय सरकारी सूत्रों ने बताया कि अगला बजट केंद्र सरकार की ओर से नवंबर में पेश किया जा सकता है। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी की ओर से बदलाव की वकालत किए जाने के बाद सरकार वित्तीय वर्ष में बदलाव के लिए काम कर रही है और इसे कैलेंडर वर्ष की तर्ज पर ही रखा जाएगा।
गौरतलब है कि बजट की प्रक्रिया को पूरा करने में करीब दो महीने का वक्त लगता है, ऐसे में इस बात की संभावना जताई जा रही है कि सरकार नवंबर के पहले सप्ताह में आम बजट पेश कर सकती है। इस समय देश भर में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक चलता है, जिसे 1867 में अपनाया गया था। प्रधानमंत्री मोदी की ओर से वित्तीय वर्ष को कैलेंडर वर्ष के साथ जोड़ने की इच्छा जताए जाने के बाद पिछले साल केंद्र सरकार ने इसकी संभावना तलाशने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। समिति ने दिसंबर में वित्त मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। नीति आयोग ने भी अपने एक नोट में कहा था कि वित्तीय वर्ष में बदलाव करने से काम के समय का पूरा इस्तेमाल हो सकेगा और साल की शुरुआत के साथ ही विकास कार्य शुरू किए जा सकेंगे।
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