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आम बजट - खरीफ फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य लागत का डेढ़ गुना

राष्ट्रीय            Feb 01, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

कृषि व ग्रामीण क्षेत्र को ज्यादा महत्व देने की उम्मीदों के अनुरूप केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 के आम बजट में अधिसूचित खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को बढ़ाकर उत्पादन लागत का 1.5 गुना करने की घोषणा की, जोकि पिछले साल के मुकाबले पांच फीसदी ज्यादा होगा।

जेटली ने कहा कि सरकार कृषि, आजीविका और ग्रामीण क्षेत्रों के बुनियादी ढांचागत विकास पर ज्यादा खर्च करेगी और खेती में उच्च साख के लक्ष्यों का निर्धारण करने के साथ-साथ फसल बीमा, ग्रामीण सड़क, सिंचाई के लिए कोष में बढ़ोतरी करेगी।

सरकार ने किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि व ग्रामीण विकास पर 2,01,933 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन के साथ खाद्य प्रसंस्करण, दुग्ध उत्पादन, मत्स्य पालन पर जोड़ दिया है।

कृषि व ग्रामीण विकास पर बजटीय आवंटन में पिछले साल के क्रमश: 56,589 करोड़ और 1,35,604 करोड़ रुपये को बढ़ाकर क्रमश: 63,836 करोड़ और 1,38,097 करोड़ रुपये कर दिया है।

खराब हो जाने वाली वस्तुओं के आवागमन को सुगम बनाने के लिए मंत्री ने ऑपरेशन ग्रीन लांच करने का प्रस्ताव रखा है जिस पर 500 करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसके तहत किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एग्री लॉजिस्टिक्स, प्रसंस्करण सुविधा व पेशेवर प्रबंधन को बढ़ावा दिया जाएगा।

एफपीओ के लिए कराधान को अनुकूल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों को उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए सभी अधिसूचित फसलों के लिए आगामी खरीफ सीजन में एमएसपी लागत का डेढ़ गुना बढ़ा दिया जाएगा जिससे खेती की आय में इजाफा हो सके।

जेटली ने नेशनल बैंबू मिशन, कृषि जन्य कमोडिटी के निर्यात का उदारीकरण और आठ करोड़ गरीब महिलाओं को उज्‍जवला स्कीम के तहत मुफ्त एलपीजी कनेक्शन देने की घोषणा की।

किसानों के हकों की बात करने वाले व स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने ट्वीट करके कहा कि सरकार ने लागत की गणना करने वाले सूत्र को बदल दिया है और इस प्रकार किसानों के साथ फिर धोखा होगा।

इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के के लिए बजटीय आवंटन को पिछले साल के 13,014 करोड़ से बढ़ाकर कर दिया है।

इसके साथ ही इस क्षेत्र के लिए संस्थागत ऋण 11 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दिया गया है।

वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा, "हमने पार्टी के घोषणा-पत्र में किसानों को लागत का 1.5 गुना मूल्य देने का वादा किया था। सरकार इस पर संवेदनशील रही है।"

उन्होंने कहा, "अधिकांश अधिसूचित रबी फसलों के लिए उत्पादन लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिया जाता रहा है, लेकिन अब सरकार ने आने वाले खरीफ सीजन में सभी अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी को लागत का करीब डेढ़ गुना करने का निर्णय लिया है। इससे किसानों की आय दोगुनी करने में मदद मिलेगी।"

2017 में धान के लिए एमएसपी 1,550 रुपये, ज्वार के लिए 1,700 रुपये और अरहर पर 5,450 रुपये आंकी गई थी, जिस पर किसानों ने शिकायत की थी कि ये लागत मूल्य से काफी कम हैं।

मंत्री ने कहा कि केवल एमएसपी बढ़ाने से किसानों की आय बढ़ाना संभव नहीं है। इसलिए किसानों को लाभकारी मूल्य देने के लिए एक तंत्र सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।

जेटली के अनुसार, "किसानों को अधिसूचित एमएसपी से फायदा हुआ है। अगर बाजार मूल्य एमएसपी से कम है तो सरकार को किसान से एमएसपी पर खरीदारी करनी चाहिए या एक नया तंत्र तैयार करना चाहिए, ताकि किसानों को एमएसपी मिल सके। नीति आयोग केंद्र के साथ चर्चा कर लाभकारी कीमतों को सुनिश्चित करने के लिए एक ठोस प्रणाली बनाने का काम रहा है।"

वित्त वर्ष 2018-19 के लिए संस्थागत कृषि ऋण के लिए 11 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जबकि पहले यह 10 लाख करोड़ रुपये था।

जेटली ने कहा कि देश में 585 में से 470 'मंडियां' इलेक्ट्रॉनिक राष्ट्रीय कृषि बाजार के तहत आपस में जुड़ी थीं और बाकी इस साल मार्च तक जुड़ जाएंगी।

इसके साथ ही बजट में खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय के लिए आवंटन राशि 715 करोड़ रुपये को दोगुना कर 1,400 करोड़ रुपये कर दिया गया है।



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