गौरव चतुर्वेदी।
मध्यप्रदेश सरकार का स्वागत है , न्याय प्रिय मां अहिल्या बाई होलकर की नगरी इंदौर में..... राजबाड़ा के गणेश दरबार हॉल में अनूठे तरीके से कैबिनेट बैठक होने जा रही है...... पूरे इंदौर को सजाने - संवारने (प्रचार के लिए होर्डिंग, पोस्टर,कट ऑउट) में बेतहाशा धन की बरबादी की गई है.....
कुछ सवाल खड़े होते हैं और सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या अहिल्या का मोहन, जो मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री हैं और अहिल्या के सिद्धांतों पर चलने का आव्हान करते हुए कैबिनेट बैठक करने जा रहे हैं। क्या मध्यप्रदेश की जनता, भारतीय जनता पार्टी के आला नेताओं द्वारा मुख्यमंत्री बनाने के निर्णय, और इंदौर नगरी से न्याय कर पाएंगे.... लगभग डेढ़ साल के कार्यकाल में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव एकला चलो की राह पर चलते हुए अपनी अमिट छाप जनता के दिलों पर नहीं छोड़ पाए हैं.... इंदौर की कैबिनेट बैठक एक अवसर है जो उन्हें लोकप्रियता की राह पर चलने का सुनहरा मौका दे सकता है.......
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि मां अहिल्या बाई होलकर की न्यायप्रियता को लेकर एक किंवदंती प्रसिद्ध है कि मां अहिल्या बाई होलकर अपने बेटे मालोजीराव को कुचलने के लिए रथ पर सवार हो गई थी। मालोजीराव का अपराध था कि उनके रथ से एक गाय का बछड़ा कुचलकर मर गया था। क्या ऐसी न्यायप्रियता मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव दिखा पाएंगे ?
सवाल है कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव अपनी एकला चलो की राह कब छोड़ेंगे ?
मध्यप्रदेश के वरिष्ठ मंत्रियों और आय ए एस अफसरों के बीच चल रही तनातनी को कब समाप्त कर पाएंगे ? यह इसलिए कि मंत्रियों के फरमान अफसर हवा में उड़ा देते हैं। फिर चाहे वो स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभाल रहे उपमुख्यमंत्री राजेन्द्र शुक्ल हों या फिर पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री प्रहलाद पटेल, उपेक्षा का शिकार नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय भी रहें हैं, इस कतार में पी डब्ल्यू डी मंत्री राकेश सिंह भी शामिल हैं।
मध्यप्रदेश सरकार के बेबाक मंत्री जो कहीं भी और कभी भी कुछ भी बोलने के और कुछ भी करने के आदी हैं। उन पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई कर पाएंगे। ऐसे मंत्रियों में वन मंत्री विजय शाह, वित्त का जिम्मा संभाल रहे उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा, राज्य मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल, राज्य मंत्री प्रतिमा बागरी जैसे चेहरे शामिल हैं। अभी हाल ही की बात करें तो सेना के अपमान को लेकर विवादित बयान देने के आरोप हैं। विजय शाह के मामले में तो उच्च न्यायालय ने स्वत: संज्ञान लेते हुए प्रकरण दर्ज करवा दिया। विवादित मंत्रियों में विश्वास कैलाश सारंग भी शामिल हैं। जिन पर नर्सिंग घोटाले की आंच भी झुलसा रही है।
इंदौर जो भू-माफियाओं की राजधानी कहीं जाती है। जिसके संरक्षण में गुंडे बदमाश पनप रहे हैं। आजकल रोज ही उज्जैन में पाए जाते हैं। सूत्रों के अनुसार भू-माफिया और गुड़े बदमाश किसी भी तरह से मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के कैम्प के सिपहसालारों के साथ देखे जा रहे हैं। कितने सफल हैं या असफल यह भविष्य ही बताएगा लेकिन मोहन कैंप के सिपहसालारों के साथ नजदीकियां दिखाकर भूमाफिया और गुंडे बदमाश अपना काम निकलवाने में सफल हो रहे हैं। इनसे दूरी बनाना एक बहुत बड़ी चुनौती है मोहन यादव के सामने।
क्या ऐसा तामझाम मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में हर सप्ताह के मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक के दौरान होता है। अगर नहीं तो फिर यह कवायद क्यों ?
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव न्याय निपुण माने जाने वाले राजा विक्रमादित्य की नगरी से हैं और अब मां अहिल्या के चरणों में बैठकर निर्णय लेंगे। विक्रमादित्य और मां अहिल्या की न्यायप्रियता अगर सच्चे मायनों में मध्यप्रदेश सरकार द्वारा आत्मसात कर ली गई तो यकीन मानिए मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव एक नई ऊंचाइयों को पा लेंगे वरना भारतीय राजनीति की नाटकीयता में एक बार फिर जनता ठगी जाएगी।
लेखक खबर नेशन के संपादक हैं
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