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संभल शाही मस्जिद मामले में हाईकोर्ट ने सर्वे आदेश को वैध ठहराया

राष्ट्रीय            May 19, 2025


 मल्हार मीडिया ब्यूरो।

संभल की शाही जामा मस्जिद को लेकर चल रहे विवाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए ट्रायल कोर्ट के दिए गए सर्वे आदेश को पूरी तरह वैध ठहराया है। कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है। हाईकोर्ट के इस फैसले से मस्जिद कमेटी को झटका लगा है। हिंदू पक्ष ने इसे जीत बताया है। वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि यह इलाहाबाद हाईकोर्ट का बहुत ही महत्वपूर्ण निर्णय है।

जो लोग यह कह रहे थे कि 19 नवंबर को ट्रायल कोर्ट द्वारा नियुक्त सर्वे कमिश्नर की नियुक्ति गलत थी और मस्जिद पक्ष को सुने बिना नियुक्त किया गया था, उनकी सभी दलीलों को कोर्ट ने सिरे से खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि सिविल प्रक्रिया संहिता के आदेश 26 (नियम 9 और 10) के तहत कोर्ट को सर्वे कमिश्नर नियुक्त करने का पूरा अधिकार है। उस समय किसी पक्ष को सुना जाना आवश्यक नहीं होता।

केवल सर्वे के समय दोनों पक्षों की उपस्थिति जरूरी होती है, जिसे 19 और 24 नवंबर दोनों ही दिनों में निभाया गया। विष्णु शंकर जैन ने कहा कि जो लोग इस प्रक्रिया की गरिमा पर सवाल उठा रहे थे।  उन सभी को हाईकोर्ट के ठोस निर्णय ने जवाब दे दिया है। हम अब सुप्रीम कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट पर लगी रोक को हटवाने के लिए याचिका दायर करेंगे।

हाईकोर्ट ने ट्रायल पर लगी रोक को भी हटा दिया है जिससे अब निचली अदालत में मुकदमे की सुनवाई आगे बढ़ेगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पूजा स्थल अधिनियम (प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट) इस मामले में लागू नहीं होता। दोनों पक्षों ने माना है कि यह एक एएसआई संरक्षित स्मारक है जो 1958 के एएसआई अधिनियम के अधीन आता है।

हिंदू पक्ष ने संभल के चंदौसी स्थित सिविल जज सीनियर डिवीजन की कोर्ट में संभल की जामा मस्जिद को हरिहर मंदिर बताते हुए दावा पेश किया है। हिंदू पक्ष का कहना है कि मंदिर पृथ्वीराज चौहान के शासन से पहले बना था, जबकि मस्जिद मुगलकाल में मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि मस्जिद टीले पर बनी है। किसी मंदिर को तोड़कर नहीं बनाई गई है।

19 नवंबर 2024 को हिंदू पक्ष द्वारा दावा पेश करने के दिन ही न्यायालय ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर दिया। उसी दिन कोर्ट कमिश्नर ने मस्जिद पहुंचकर सर्वे भी किया था। करीब दो घंटे तक वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी की गई थी। इसके बाद 21 नवंबर रविवार की सुबह कोर्ट कमिश्नर दोबारा सर्वे करने पहुंचे तो बवाल शुरू हो गया।

टीम को देखते ही भीड़ मस्जिद में दाखिल होने कोशिश करने लगी। रोकने पर पुलिस पर पथराव कर दिया। हिंसक हुई भीड़ ने सीओ की गाड़ी समेत कई वाहनों में तोड़फोड़ कर दी और आग लगा दी। इसी बीच फायरिंग भी शुरू हो गई। पुलिस ने आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ा। बवाल में घिरकर पांच लोगों की मौत हो गई। कई अधिकारियों समेत दर्जनों लोग घायल हुए हैं। तनाव को देखते हुए संभल में इंटरनेट सेवा बंद कर दी गई थी।

सर्वे टीम कोर्ट कमिश्नर चंदौसी के वरिष्ठ अधिवक्ता रमेश सिंह राघव की अगुवाई में आई थी। संभल के डीएम डॉ. राजेंद्र पैसिया और एसपी कृष्ण कुमार बिश्नोई भी टीम के साथ माैजूद थे। बाहर हालात बेकाबू होते देख पुलिस ने आंसू गैस के गोले और लाठियां चलाकर हिंसक लोगों को दौड़ाया और सर्वे टीम को सुरक्षित मस्जिद से बाहर निकाला। कुछ देर में भीड़ फिर जुट गई और पथराव शुरू कर दिया। फायरिंग भी की गई।

जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान भड़की हिंसा में पांच लोगों की मौत हो गई थी और 29 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। हिंसा में शामिल करीब तीन सौ लोगों को आरोपी बनाया गया है। जिनमें से 85 को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस ने 74 उपद्रवियों के पोस्टर भी जारी किए थे और उनकी पहचान बताने वाले को इनाम देने की घोषणा की थी।

न्यायिक जांच जारी

सरकार ने हिंसा की जांच के लिए तीन सदस्यीय न्यायिक आयोग का गठन किया है। इसकी अध्यक्षता इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश देवेंद्र कुमार अरोड़ा कर रहे हैं। आयोग अब तक तीन बार संभल का दौरा कर चुका है। इसके साथ ही प्रभावित लोगों और अधिकारियों के बयान दर्ज किए जा चुके हैं।

 


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