मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सरकार ने बुधवार को राज्यसभा में तेल के दाम को लेकर उठाए गए सवाल को टाल दिया। सरकार से उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए तेल पर शुल्क कटौती करने को लेकर सवाल किया गया था। सवाल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) के शासन काल और मौजूदा राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार के दौरान तेल की कीमतों में अंतर को लेकर था।
प्रश्नकाल के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद रेवती रमण सिंह ने एक अनुपूरक प्रश्न पूछकर सरकार से जानना चाहा कि यूपीए के शासनकाल (2004-2014) में कच्चे तेल की प्रति बैरल कीमत कितनी थी और अब कितनी है।
सांसद ने पूछा, "इस समय कच्चे तेल की प्रति बैरल कीमत कितनी है और तेल (परिष्कृत) का खुदरा मूल्य कितना है? क्या आप आम आदमी को राहत देने के लिए इन पर लगने वाले केंद्रीय करों को घटाएंगे?"
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने जवाब देते हुए कहा कि 'यह अलग सवाल है' और उन्होंने इस संबंध में आगे कोई विवरण नहीं दिया।
इससे पहले, पेट्रोलियम उत्पादों को वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में लाने को लेकर पूछे गए सवाल पर प्रधान ने कहा कि उनका मंत्रालय सैद्धांतिक रूप से इस विचार के पक्ष में है कि एटीएफ (विमान ईंधन) समेत सभी पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए। उन्होंने कहा कि लेकिन यह जीएसटी परिषद तय करेगी कि कब और किस स्लैब के तहत पेट्रोलियम उत्पादों को लाया जाएगा।
प्रधान ने कहा, "संविधान के अनुच्छेद 279 ए (5) में प्रावधान किया गया है कि प्राकृतिक गैस और एटीएफ समेत पेट्रोलियम उत्पादों पर कर लगाने की तिथि की सिफारिश जीएसटी परिषद करेगी।"
उन्होंने कहा, "इस प्रकार, पेट्रोलियम उत्पादों को संवैधानिक रूप से जीएसटी में तो शामिल किया गया है मगर इनपर जीएसटी लगाने की तिथि और दर जीएसटी परिषद के फैसले के अनुसार तय होगी।"
Comments