मल्हार मीडिया डेस्क।
न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटी का कानून बनाने समेत 12 सूत्री मांगों के समर्थन में दिल्ली कूच कर रहे पंजाब के किसानों की आज 14 फरवरी बुधवार को भी अंबाला के पास शंभू बॉर्डर पर पुलिस से भिड़ंत हुई।
प्रदर्शनकारी किसानों ने बॉर्डर के इस पार यानी हरियाणा की तरफ आने के लिए बैरिकेडिंग हटाने की जबरन कोशिश की। इसके बाद वहां भीड़ को तितर-बितर करने के लिए हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे और पानी की बौछार की है।
इस बीच उग्र किसानों ने जींद के दाता सिंह बॉर्डर पर सीआईडी के एक कर्मचारी को बंधक बना लिया है।
सरकार को कई कमेटियों ने यह सुझाव दिया है कि गेहूं और धान की खरीद कम करनी चाहिए और सरकार लगातार इसकी खरीद कम भी कर रही है।
अगर भविष्य में सरकार इनकी खरीद कम करेगी तो निजी कंपनियां उसे बढ़-चढ़कर खरीदेंगी और किसानों को एमएसपी से कम कीमत मिलने लगेंगी क्योंकि तब कंपनियां अपने लाभ के लिए काम करेंगी।
निजी कंपनियां खड़ी करेंगी मुसीबत
जानकारों का मानना है कि अगर सरकार ने एमएसपी की गारंटी का कानून बना दिया तो प्राइवेट कंपनियों पर इसका दबाव बढ़ जाएगा कि वह उस मूल्य से कम पर किसानों की उपज नहीं खरीद सकती।
इससे किसानों के साथ अक्सर कंपनियां उपज की गुणवत्ता को लेकर विवाद खड़ी कर सकती हैं। फिर मामला अदालत तक पहुंच सकता है, जिसमें तीन पक्ष आमने-सामने होंगे।
किसान, निजी कंपनी और सरकार को तब अदालती कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही निजी कंपनियोंकी बेरुखी भी देखने को मिल सकती है। इस सूरत में सरकार को बड़ी परेशानी हो सकती है।
इसी तरह, ज्वार और बाजरा की एमएसपी को देखें तो 10 वर्षों में इसे दोगुना किया जा चुका है। 2013-14 में ज्वार हाइब्रिड की एमएसपी 1500 रुपये प्रति क्विंटल थी, जिसे 2023-24 में बढ़ाकर 3180 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया।
बाजरे की एमसएसपी को भी 1250 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2500 रुपये कर दिया गया। रागी का समर्थन मूल्य तो 10 सालों में दोगुना से भी ज्यादा कर दिया गया।
2013 में रागी की एमएसपी 1500 रुपये प्रति क्विंटल थी जिसे 2023-24 में बढ़ाकर 3846 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। सिर्फ एक साल में इसमें 268 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी हुई है।
फिर MSP गारंटी का कानून बनाने में क्या परेशानी?
साफ है कि किसानों की आय दोगुना करने का वादा करने वाली बीजेपी सरकार ने कई फसलों की एमएसपी को 10 वर्षों में दोगुना कर दिया है। बावजूद इसके सरकार किसानों को इसकी लिखित गारंटी देने में हिचक रही है।
जानकारों की मानें तो अगर एमएसपी का कानून बना दिया गया तो इसे लागू करने में अड़चन आ सकती है क्योंकि एमएसपी उपजों के औसत गुणवत्ता पर तय होता है।
यानी उपज की अच्छी गुणवत्ता पर ही तय होती है। जिन फसलों की गुणवत्ता ठीक नहीं है, उसका क्या होगा, उसकी एमएसपी कैसे तय होगी और उसे किस दर पर खरीदा जाएगा?
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