मल्हार मीडिया ब्यूरो।
विपक्ष ने मंगलवार को राज्यसभा में लगातार गतिरोध के लिए नरेंद्र मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराया। संसद के ऊपरी सदन को मंगलवार को 12वें दिन बिना किसी कार्य के दिन भर के लिए स्थगित कर दिया गया।
सदन में भारी शोरगुल के बीच राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद ने गतिरोध के लिए सरकार को दोषी ठहराया।
आजाद ने शोरगुल को लेकर कहा, "हम तीन मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं। इसमें सबसे पहले बैंकिंग धोखाधड़ी पर, जिसमें सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से धोखाधड़ी से अरबों रुपये निकाल लिए गए। इसके बाद आंध्र प्रदेश के विशेष दर्जे और कावेरी जल प्रबंधन पर चर्चा चाहते हैं। हम सभी तीनों विषयों पर सदन में चर्चा चाहते हैं।"
जैसे ही आजाद बोलने के लिए खड़े हुए अन्नाद्रमुक व तेदेपा के सदस्य सभापति के आसन के पास आ गए और नारेबाजी शुरू कर दी। इसलिए आजाद को शोरगुल के बीच अपनी बात को रखने के लिए चिल्लाना पड़ा।
उन्होंने कहा कि कुछ विपक्षी पार्टियों ने सुबह मुलाकात की और तय किया कि सदन में कार्य होना चाहिए और सरकारी बिलों सहित सभी प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए।
शोरगुल के बीच आजाद ने कहा, "हम चाहते हैं कि सदन में कार्य हो। हम इन मुद्दों पर चर्चा चाहते हैं, हम विधेयकों पर चर्चा चाहते हैं। हम चाहते हैं कि इन मुद्दों पर चर्चा के साथ सरकार के कार्य को संपादित किया जाए।"
उन्होंने कहा, "सरकार की तरफ से इन (विपक्षी) राजनेताओं से बातचीत कर मुद्दे को हल करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है। इसलिए सरकार गतिरोध के लिए जिम्मेदार है क्योंकि इस मुद्दे को हल करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया। विपक्ष एकजुटता के साथ सदन की कार्यवाही चलाने व कामकाज में रुचि रखता है।"
इससे पहले कांग्रेस, द्रमुक, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी व भाकपा सहित विभिन्न राजनीतिक दलों ने आजाद के कक्ष में मुलाकात की और राज्यसभा में लगातार चल रहे गतिरोध को लेकर चर्चा की।
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार करोड़ों रुपये की बैंकिंग धोखाधड़ी से बचने के लिए एक 'मित्र पार्टी' का इस्तेमाल कर राज्यसभा की कार्यवाही को बाधित कर रही है।
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